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कविता/की जब मैंने दुख से प्रीत - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कल क्या होगा, इस चिंता में रात गई आँखों में बीत। होठों पर आने से पहले, सुख का प्याला गया रीत। आशाओं का दीप जला ढूँढा, न मिला जीवन संगीत। किस्मत भी जब हुई पराई, फूट पडा अधरों से गीत। साथी सुख तन्हा छोड़ गया जब, दर्द मिला बन मन…