शायद तुमने अपने विनाश को कुरुक्षेत्र में खींचा है
गीता वो है जिसको गाते हर वीर यहाँ बलिदान हुआ है
गीता वो है जिसको गाते हर जीवन का वैराग्य हुआ है
गीता वो है जिसको रट म्यानों में तलवारें हुंकार उठी थी
आरि की सेना पर गीता जब बन काली सी नाच उठी थी
आज हमारी गीता पर जो प्रतिबन्ध की तुने सोचा है
शायद तुमने अपने विनाश को कुरुक्षेत्र में खींचा है
तुम भूल गए वो पाञ्चजन्य हुंकार हमारे वैभव का
तुम भूल गए वो तेज हमारे तलवारों के गौरव का
गीता का सन्देश यही है गौरव से निर्भय हो जीयो तुम
गीता का निष्काम कर्म ही जीवन सरिता में घोलो तुम
आज हमारी गीता पर जो प्रतिबन्ध की तुने सोचा है
शायद तुमने अपने विनाश को कुरुक्षेत्र में खींचा है
शायद तुमको याद नहीं क्या था भारत के वीरों का गौरव
शेरों के दल में निर्भय खेला था भारत के वीरों का शैशव
जिस गीता को पढ़ मसीह ने येरुसलम का उपदेश दिया
जिस गीता को पढ़ मसीह ने निष्काम कर्म वैराग्य लिया
आज हमारी गीता पर जो प्रतिबन्ध की तुने सोचा है
शायद तुमने अपने विनाश को कुरुक्षेत्र में खींचा है
उस गीता से पापी तुम आज डरे सहमे क्यों फिरते हो !!
पूछो चर्चों के पादरियों से इतना गीता से क्यों डरते हो ??
जाकर यूनानी से पूछो डरते भारत की तलवारों से क्या ???
उन मतवालों के लिए आज साइबेरिया क्या रसिया क्या ??
उस गीता से पापी तुम आज डरे सहमे क्यों फिरते हो !!
पूछो चर्चों के पादरियों से इतना गीता से क्यों डरते हो ?? वाह बहुत अच्छे.