कविता ; सुमन अंत में सो जाए – श्यामल सुमन

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 श्यामल सुमन

कैसा उनका प्यार देख ले

आँगन में दीवार देख ले

दे बेहतर तकरीर प्यार पर

घर में फिर तकरार देख ले

 

दीप जलाते आँगन में

मगर अंधेरा है मन में

है आसान उन्हीं का जीवन

प्यार खोज ले सौतन में

 

अब के बच्चे आगे हैं

रीति-रिवाज से भागे हैं

संस्कार ही मानवता के

प्राण-सूत्र के धागे हैं

 

सुन्दर मन काया सुन्दर

ये दुनिया, माया सुन्दर

सभी मसीहा खोज रहे हैं

बस उनकी छाया सुन्दर

 

मन बच्चों सा हो जाए

सभी बुराई खो जाए

गुजरे जीवन इस प्रवाह में

सुमन अंत में सो जाए

 

 

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