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कविता:थार रेगिस्तान से.... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बीनू भटनागर रेत के टीले रेत का सागर, मीलो तक इनका विस्तार, तेज़ हवा से टीले उड़कर, पंहुच रहे कभी दूसरे गाँव, दूर दूर बसे हैं, ये रीते रीते से गाँव, सीमा पर कंटीले तार, चोकस हैं सेना के जवान शहर बड़ा बस जैसलमेर। ऊँट की सवारी पर व्यापारी,…