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कविता - यही हमारा जीवन है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
यही हमारा जीवन है सोते-जागते रहने के बीच कुछ सहेजा गया अक्षर कुलांचें भरती बेटी आँगन में रंभाती गाय दीया-बाती दिखाती माँ उसकी मनोवेग प्रार्थना यही हमारा जीवन है । वही सड़कों की धूल धकमपेल से बचता भीड़ आगे और आगे चलते चले जाने की होड़ धकियाते चले जाने की…