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मानसिक दिवालियेपन की हदें लांघते सियासी बोल-वचन - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
- सिद्धार्थ मिश्र”स्‍वतंत्र” जिह्रवा ऐसी बावरी कह गई स्‍वरग पाताल, आप कही भीतर भई जूती खात कपाल । इन दिनों चल रहे सियासी व्‍यंगबाणों को देखकर ये दोहा आज और भी प्रासंगिक हो गया है । हो भी क्‍यों ना हमारे अनपढ़ या फर्जी डिग्री के बल पर खुद को…