‘‘ बरसो याद आयेगी प्रेम कुमार सड़ाना की आवाज ’’

शादाब जफर‘‘शादाब’’

कुछ खास तरह से, विदाई एक अपने को:-

31 मई को को पूरा हो रहा है इन का आकाशवाणी नजीबाबाद से सेवाकाल।

‘‘ बरसो याद आयेगी प्रेम कुमार सड़ाना की आवाज ’’

‘‘ अजब जादू है उस की गुफ्तूगु में, मुखातिब हो तो पत्थर बोलता है ’’ यू तो ये सिर्फ एक शेर है पर इस शेर को अगर किसी कि ज़ाति जिंदगी से जोडा जाये तो वो शख्स सिर्फ और सिर्फ प्रेम कुमार सड़ाना ही हो सकते है। जिस की आवाज सुनते ही न जाने कितने ही श्रोताओ के सिर का दर्द दूर हो जाता है, कितने ही दुखी चेहरे पर फिर से खुशी लौट आती है, कितने ही श्रोताओ को सडाना जी की आवाज जिंदगी जीने का हौसला देती है, कितने ही श्रोताओ को इस आवाज ने मीलो दूर होने के बावजूद ये एहसास नही होने दिया की वो उन के आसपास नही है। आकाशवाणी नजीबाबाद का वो लाड़ला उद्वघोषक जिसे न जाने कितने लोग अपनी अपनी अपनी आस्था के अनुसार आज प्यार करते है पूजते है अपने परिवार का हिस्सा मानते है। 22 अक्तूबर 1951 को श्रीनगर गढवाल (उत्तराखण्ड़) में श्री किशन चंद सड़ाना के परिवार में जन्मे और मां श्रीमति राधा देवी सड़ाना की गोद में पले बढे प्रेम कुमार सड़ाना जी ने शुरूआती शिक्षा गांव में ही ली। बचपन से ही कविता, कहानी, निबंध में खूब रूची थी, जय श्ंाकर प्रसाद जी, नागार्जुन, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेम चंद से प्रेरित प्रेम कुमार सड़ाना जी ने कविता, कहानी, निबंध आदि विद्याओ में अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिताओ में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त किया। गढवाल यूर्निवस्ट्री से एम0ए0 इतिहास एंव पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा करने के बाद आप आकाशवाणी से जुड गये। आकाशवाणी से जुड़ने के बाद इन के विभिन्न आकाशवाणी केंद्रो से प्रसारित कई नाटक और रूपक जिन में ‘‘उस के हिस्से का असामान’’, ‘‘दहलीज की लक्षमण रेखा’’, ‘‘ एक आचमन गंगा जल’’ व ‘‘समन्वय के लोकनायक श्रीराम’’ चर्चित रहने के साथ ही इन्हे पुरूस्कृत भी किया गया।

फरवरी 1984 से आकाशवाणी नजीबाबाद में सेवारत सड़ाना जी का आकाशवाणी नजीबाबाद में रूतबा किसी सुपर स्टार से कभी कम नही रहा। कार्यक्रम ‘‘हैलो नजीबाबाद’’ ‘‘कुछ बाते कुछ गीत’’, ‘‘चित्रपट संगीत’’, ‘‘आप की पसंद’’, ‘‘आप की फरमाईश’’ ‘‘रोजगार समाचार’’ या फिर कोई भी सामान्य सा कार्यक्रम यदि उद्घोषक सड़ाना जी है तो बस क्या कहना सुनने वालो को कार्यक्रम में दुगना मजा आता था, ऐसा एक बार नही बल्कि हजारो बार श्रोताओ ने पत्रो के माध्यम से ये बात कही की उन्हे फिल्मी गीतो से ज्यादा सड़ाना जी की बातो में मजा आता है। प्रेम कुमार सड़ाना जी की आवाज में गजब का जादू है उन की आवाज एक ओर जहॉ शहद से मीठी है तो वही दूसरी ओर सपेरे की बीन से ज्यादा कशिशदार, हर सुनने वाले को एक पल में अपनी ओर सम्मोहित करने वाली भी है, कानो में पडे तो चलते कदम रूक जाये, उस पर उन का अंदाज-ए-बया ‘‘अरे गजब’’ कह कर एक जोरदार ठहाका मार कर पूरी फिज़ा में मदहोश कर देने वाली उन की हंसी, मानो जैसे किसी ने होली में गुलाब या फिर किसी गुलशन में बेला चमेली की खुश्बू बिखेर के रख दी हो, अपनी पुरकशिश आवाज से रोते को हसॅा देना मानो उन के बाये हाथ का काम था। ये कारण था कि सड़ाना जी भी कार्यक्रम को प्रस्तुत करते हुए कभी कभी तो कार्यक्रम में इतना खो जाते थे कि सिर्फ तीस मिनट के कार्यक्रम में उन का श्रोताओ के बीच एक ऐसा रिश्ता बन जाता था जिसे लोग बरसो बरस याद रखते थे और जब कभी उन्हे अवसर मिलता तो वो सड़ाना जी से मिलने कई कई सौ किलो मीटर दूर से आकाशवाणी नजीबाबाद तक आ जाते थे।ं

सडाना जी अपने कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिये उस की गुणवत्ता पर हमेशा बडा ध्यान देते थे। मैने खुद उन्हे आकाशवाणी नजीबाबाद की एल0पी0 रिकॉर्ड लाईब्रेरी में घंटो घंटो कार्यक्रम के हिसाब से फिल्मी गीतो को तलाश करते हुए देखा है। वो कहते थे जब तक गीत मजे का न हो उसे सूनने का और दूसरो को सुनाने का क्या मजा। हमेशा शान्ति के प्रतीक सफेद रंग को पंसद करने वाले प्रेम कुमार सड़ाना जी को मैने हमशा सफेद रंग के कपडो में ही देखा है। ाज भी तनमन से नौजवान लगने वाले सड़ाना जी को देखकर ऐसा लगता ही नही की ये साठ साल के बूढे सडाना जी है। पर उन की 60 साल की जिंदगी की किताब बेहद खूबसूरत, सावन की तरह हरी भरी, बरसात की बूंदो की तरह सुखद एहसास कराने चाली है। ये ही कारण है कि आज जो लोग सड़ाना को जानते है या आकाशवाणी नजीबाबाद सुनते है वो प्रेम कुमार सड़ाना जी की शख्सीयत को बखूबी जानते है, पर अब सड़ाना जी की शहद से भी प्यारी मीठी आवाज और वो ‘‘हाय गजब’’ कहकर जोर का ठहाका मार कर हंसना इसी माह 31 मई के बाद उन के चाहने वालो को रेडियो स्टेशन से सुनने को नही मिलेगी क्यो कि सड़ाना जी आकाशवाणी नजीबाबाद से अपनी सर्विस का सेवाकाल पूरा कर रहे है। 1984 में सड़ाना जी जब नजीबाबाद आये तो उस वक्त यहा उर्दू साहित्य उरूज पर था। ऐसे में एक हिंदी कवि को इन सब के बीच में अपना स्थान बनाना वास्तव काफी कठिन था पर तब से आज तक नजीबाबाद के हिंदी और उर्दू साहित्य में जिस तरह से सड़ाना जी घुले मिले है वो अपने आप में आज मिसाल है। अभिव्यक्ति के संस्थापको में जगह रखने सडाना जी को शहर की जनता के साथ साथ साहित्यकारो ने उन्हे और उन की कविता को वो ही सम्मान दिया जिस के वो हमेशा हकदार रहे है। गालिब एकेडमी नजीबाबाद ने उन्हे ‘‘गालिब सम्मान’’ से नवाजा तो युग हस्ताक्षर ने ‘‘रामअवतार त्यागाी स्मृति’’ पुरूस्कार दिया अभिव्यक्ति की और से दुष्यंत अवार्ड और ‘‘बलबीर सिॅह गौरव सम्मान’’ से नवाजा, बिजनौर के साहित्य जगत से इन्हे ‘‘चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी अवार्ड’’ से भी सम्मानित किया गया। इस के अलावा गीत गजल संगम एकेडमी की और से सडाना जी को उन की साहित्यक सेवा के लिये संस्था के संस्थापक डा0 आफताब नौमानी और मशहूर शायर मौसूफ वासिफ ने सम्मानित किया।

मेरा प्रेम कुमार सड़ाना जी से लगभग 25 साल पुराना रिशता है। इन पच्चीस सालो में मैने कभी उन्हे मायूस देखा ही नही। हर समय मुस्कुराते रहना उन के स्वभाव में शामिल है दूर से देख कर मुस्कुरा देना और पास आने पर अपने दोस्तो को गले लगा कर मिलना शायद आज के दौर में बहुत कम लोग ऐसा करते है। आज इस दौर में दोस्ती और दोस्ताना रिश्ते किस तरह निभाए जाते है शायद सड़ाना जी से अच्छा और कोई बता और निभा कर दिखा नही सकता। वो नजीबाबाद छोड़कर ऋृषिकेश जरूर जा रहे है पर उन के चाहने वालो का प्यार उन्हे हमेशा नजीबाबाद में ही रखेगा। सडाना जी के चाहने वाले इस नम्बर पर उन से बात कर उन्हे अपने अपने अंदाज में विदा कर सकते है। 8126190186

3 COMMENTS

  1. Sir g bchpan ki yaaden judi prem g se.. m realy bug fan of Prem sir.mje bat krni h.. koi contct nmbr ya unka adress de mje plzzzzzzzzz

    • Realy big fan of him.. mje aj b unki awaz wo andaaz yaad ata h..such m .m mlna chhta tha unse.. bchpan ki yaaden judi h unse..realy sweetest prson ..Prem sir i lov u..i lik u..as yor child i m…plz mje mlna h..koi nmbr ya adreesss de koi plzzzz ….

  2. शादाब भाई प्रेम कुमार सडाना जी वास्तव में एक ऐसी आवाज के मालिक है जो इंसान को दिवाना बना कर रख देती है आकाशवाणी नजीबाबाद की रीढ भी इन्हे कहा जा सकता है सच सडाना जी की आवाज हम सब को बरसो याद आयेगी

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