प्रियंका से डरती सोनिया गांधी ?

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डॉ0 आशीष वशिष्ठ

इंदिरा गांधी की पोती, राजीव और सोनिया की बिटिया प्रियंका गांधी वढेरा अपने भैया राहुल की चुनावी नैया को पार लगाने के लिए इन दिनों अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस प्रत्याशियों को जीताने के लिए जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटी हैं। प्रियंका की लोकप्रियता और उसके आस-पास उमड़ते जन सैलाब़ और मीडिया के झुंड को देखकर मंत्र मुग्ध व्यवसायी पति रार्बट वढेरा भी पत्नी की मदद करने के भाव से यूपी के रण में कूद पड़े। अमेठी पहुंचकर राबर्ट ने दो नेक काम किये। पहला कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में बिना इजाजत मोटर साइकिल रैली निकाली और दूसरा मीडिया के सामने खुलकर अपनी जुबान की जंग साफ की। राजनीति के कच्चे खिलाड़ी राबर्ट वढेरा मीडिया और पत्रकारों के सामने जोश और अति उत्साह में जज्बातों में बहकर दिल की बात दुनिया के सामने कह ही गए। राबर्ट ने जो कुछ कहा उससे गांधी परिवार की अंदरूनी और पारिवारिक राजनीति, सोनिया, राहुल और प्रियंका के रिश्ते, प्रियंका और राबर्ट की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और दिलचस्पी सामने आ गयी। हालांकि शाम होत- होते प्रियंका ने राबर्ट की बयानबाजी का खंडन कर दिया लेकिन चाहे-अनचाहे अंदर की बात बाहर तो आ ही गयी। विधानसभा चुनाव प्रचार करने आई प्रियंका और उनके पति राबर्ट वढेरा की बयानबाजी उनके मन में दबी हुई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है या फिर कांग्रेस की कोई सुनियोजित रणनीति, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन प्रियंका गांधी की राजनीतिक महत्वकांक्षा और इच्छा का उबाल और झलक उनके पति राबर्ट वढेरा की बयानों में साफ तरीके से दिखाई दे गयी।

 

राबर्ट ने जो कुछ भी मीडिया के सामने कहा उससे कांग्रेस के भविष्य, पारिवारिक संबंधों और प्रियंका और अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा की साफ झलक दिखाई देती है। जब पत्रकारों ने राबर्ट से सवाल किया कि प्रियंका क्या हमेशा प्रचार ही करती रहेंगी या चुनाव भी लड़ेंगी? जवाब में रॉबर्ट ने कहा कि हर चीज का वक्त होता है। सबकुछ समय आने पर ही होता है। अभी प्रियंका का राजनीति में आने का वक्त नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अभी राहुल गांधी का वक्त चल रहा है। आगे प्रियंका का भी वक्त आएगा, तब वे राजनीति में आएंगी। रॉबर्ट वढेरा के इस बयान को आधा दिन भी नहीं बीता था कि प्रियंका को खुद इसका खंडन करना पड़ा। उन्होंने कहा कि उनके पति व्यवसाय में बहुत खुश हैं वे राजनीति में नहीं आएंगे। जरूर पत्रकारों ने कोई आड़ा-टेढ़ा सवाल किया होगा तभी उनके मुंह से उक्त बयान निकल गया होगा। लेकिन, सच यह है कि वहां प्रियंका के लिए जनता का उत्साह देखकर रॉबर्ट के मुंह से दिल की बात निकली थी। असल मे सोनिया गांधी नहीं चाहती कि प्रियंका गांधी राजनीति में आए। इसलिए ही शाम तक प्रियंका को सफाई देनी पड़ गई, लेकिन राबर्ट अपने दिल की बात कह ही गए।

 

राबर्ट यही चुप नहीं हुए राबर्ट वढेरा द्वारा खुद राजनीति में आने के सवाल पर कहा कि अगर जनता चाहेगी तो वे भी राजनीति में आने को तैयार हैं। वे चुनाव लडना चाहते हैं। रॉबर्ट वढेरा द्वारा खुद राजनीति में आने के संकेत के कुछ समय बाद उनकी पत्नी प्रियंका वढेरा ने इस तरह की किसी भी सम्भावना से साफ इंकार कर दिया। प्रियंका ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि रॉबर्ट राजनीति में नहीं आ रहे हैं और वह अपने काम से खुश हैं। प्रियंका ने कहा, अपने पति को बहुत अच्छी तरह जानती हूं वह अपने व्यवसाय से बहुत खुश हैं। वह राजनीति में नहीं आएंगे। प्रिंयका ने उलटा मीडिया से ही कह दिया कि ‘पत्रकारों ने ऐसा सवाल पूछा होगा जिससे वह उलझ गए होंगे और उनके बयान का गोलमोल मतलब निकाला जा रहा है।’

 

गौरतलब है कि राहुल गांधी से अधिक लोकप्रिय हैं प्रियंका वढेरा लेकिन वे सोनिया की बेटी हैं बेटा नहीं। भारत में पितृसत्तात्मक समाज है। प्रियंका को कांग्रेस का उत्तराधिकारी बनाने से सत्ता गांधी परिवार के पास नहीं रहेगी। इस बात को सोनिया गांधी अच्छी तरह समझती हैं। तभी तमाम कांग्रेसियों और जनता के आग्रह के बाद भी वे प्रियंका वढेरा को प्रत्यक्ष राजनीति में लेकर नहीं आतीं। हालांकि चुनाव के वक्त उनकी लोकप्रियता का जमकर उपयोग किया जाता है। इसके उत्तर की खोज करने पर भी संभवतः स्पष्ट हो जाएगा कि यह सच है कि सोनिया गांधी अपनी बेटी प्रियंका वढेरा (जो अब गांधी नहीं रही) संसद में कभी प्रवेश नहीं करने देंगी। संसद में प्रवेश कर भी लिया तो कांग्रेस में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। यक्ष प्रश्र यह है कि जब प्रत्येक पार्टी एक-एक सीट जीतने के लिए दागियों, भ्रष्टाचारियों और गुंडों को टिकट बांट रहीं हैं ऐसे में एक साफ-सुथरी छवि और निश्चित विजय प्राप्त करने वाली उम्मीदवार को टिकट क्यों नहीं दिया जाता? उससे महज प्रचार ही क्यों कराया जा रहा है? कुछ लोग कह सकते हैं राजनीति में गंदगी है इसलिए सोनिया गांधी अपनी बेटी को राजनीति से दूर ही रखना चाहती हैं। राजनीति इतनी ही गंदी है तो वह खुद क्यों राजनीति में हैं या अपने बेटे को राजनीति में क्यों आगे बढ़ा रही हैं। कुछ लोग कह सकते हैं प्रियंका को भी राजनीति में लाने से परिवारवाद का आरोप लगेगा। सो तो अभी भी लगता ही है। यह भी कहा जा सकता है कि प्रियंका गांधी ही राजनीति नहीं करना चाहती। भई, प्रचार के लिए जी-जान लगाना भी राजनीति ही है। यह तो गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज वाली बात हो गई। एक जिताऊ प्रत्याशी को टिकट नहीं देना गहरी राजनीति की बात है।

जो बातें अब तक घर और मन के भीतर दबी थी, वो गांधी परिवार के दामाद राबर्ट के मुखारविंद से बाहर आ ही गयी। प्रियंका को देश और उत्तर प्रदेश की जनता भरपूर सम्मान और सत्कार देती है। पार्टी के एक धड़े और कार्यकर्ताओं द्वारा समय-समय पर प्रियंका का सक्रिय राजनीति में आने की खबर उड़ाई जाती है, लेकिन प्रियंका ने किसी कारणवश ही खुद को मां और भाई के चुनाव प्रचार तक सीमित रखा है। लेकिन प्रियंका राजनीति में अपनी हैसियत और कद का बखूबी इल्म है। जनता को प्रियंका में दादी इंदिरा की छवि दिखाई देती है, और प्रियंका भी अमेठी और रायबरेली में दादी की भांति पूरी बाजू का ब्लाउज और साड़ी पहनकर आती है। राबर्ट के बयान और उदगार को समझने वाले समझ ही गये हैं, वो अलग बात है कि खुद प्रियंका और राहुल सफाई देते फिरे, लेकिन एक बात साफ है कि अगर प्रियंका सक्रिय राजनीति में आती हैं तो कांग्रेस को निश्चित ही लाभ होगा।

1 COMMENT

  1. आप ठीक समझ रहे हैं लेकिन समस्या ये है कि जनता आज भी वंशवाद को बुरा नहीं समझती वर्ना राहुल को बिहार की तरह सबक सिखया जा सकता था मगर उ.प्र. में कांग्रेस फिर जिंदा होने जा रही है.

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