हिन्दी के प्रचार-प्रसार में संचार माध्यमों की भूमिका

0
494

राजेश करमहे

अक्षर अविनाशी, शब्द ब्रह्म, ध्वनि सृष्टि का स्पंदन,

धन्य हो हिन्दी भाषा, नागरी तुझको नमन.

 

वसुधा कुटुम्ब, अतिथि ईश्वर, परहित जीवन समिधा अर्पण,

समृद्ध हो हिन्दी संस्कृति, भारती तेरा चरण वंदन.

 

सर्वधर्म समभाव युक्त धर्मनिरपेक्ष जीवन दर्शन,

धन्य हो भारतमाता, भारतवासी तुझे नमन.

 

सुनता रहा है विश्व जिसे, करता नत अभिनन्दन,

सूर, कबीर, तुलसी की जननी; वाक्देवी शत नमन.

 

दौर यह बाज़ारों का, व्यवस्था का उदारीकरण

हिन्दी-क्षेत्र में देख संभावनाएं जग ने खोला वातायन.

 

पर हिन्दी चैनल के नाम हो रहा जो पश्चिमीकरण

केले के पत्ते पर मानो पिज्जा का रसास्वादन.

 

सावधान भारतवासी! अपसंस्कृति का न हो चलन,

बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कर न कर पायें मनमानापन.

 

जय हो रचनाधर्मीगण, साधु रेडियो दूरदर्शन,

अन्तर्जाल हो मुट्ठी में, हिन्दी का हो विश्व चमन.

 

हिन्दी भाषा की त्रिवेणी, क्षेत्रीय बोलियों से संपन्न,

सबकी आश्रयस्थली जैसा ‘प्रवक्ता’ का मन-आँगन.

 

हिन्दी एक विचारधारा, पोषक जन-संचार वाहन,

सुगम, सुलभ, सुदूर फैलाते, हर्षित करते जन-गण-मन.

 

संस्कारो से बनते भाव, भावों से भाषा का सृजन,

भाषा के साहित्य से होता , राष्ट्रप्रेम का संचारण

 

गीत, नाट्य, संदेशों से करता जन- मन आलिंगन,

धन्य हो आकाशवाणी, हिन्दी का तुझको नमन.

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here