पंजाब का संकट गहराता जा रहा है| लगभग एक माह से किसानों के आंदोलन ने अकाली सरकार का दम फुला रखा था लेकिन अब गुरु ग्रंथ साहब को लेकर जो क्रोध फैला है, उसे संभालना काफी कठिन हो गया है| हजारों लोग जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि गुरु ग्रंथ साहब के पन्ने फाड़ने वाले लोगों के खिलाफ अभी तक अकाली सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की?
आम सिख लोगों का यह समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार यह दावा क्यों कर रही है कि गुरु ग्रंथ साहब के अपमान की साजिश कहीं विदेश से रची जा रही है| सरकार का कहना है कि ग्रंथ फाड़ने के सिलसिले में उसने जिन दो सिखों को पकड़ा है, उनके फोन की निगरानी से पता चला है कि उन्हें दुबई और आस्ट्रेलिया से निर्देश आ रहे थे|
कोई आश्चर्य नहीं कि जल्दी ही पाकिस्तान पर भी उंगली उठने लगे लेकिन दो सिख ग्रंथी ऐसा कुकर्म किसी के भी निर्देश पर कैसे कर सकते हैं? यह संदेह जरुर पुष्ट हो सकता है कि पंजाब के जो तत्व अकाली-विरोधी हों, यह उनका पैंतरा है|
पंजाब के किसान पहले से ही फसलों के चौपट होने के कारण बिलबिलाए हुए हैं| इस आग में धार्मिक क्रोध का घी उंडेल देने से ज्वालाएं इतनी प्रचंड हो उठेंगी कि अकालियों का तख्त डांवाडोल हो जाएगा| यह डांवाडोल हो भी रहा है| अकाल तख्त की एक अपूर्व बैठक भी हुई है| शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के जरिए सरकार ग्रंथियों को काबू कर रही है और उसने डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम सिंह से भी हाथ मिलाने की कोशिश की है| वह अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा से भी पूर्ण सहयोग की आशा कर रही है| मुख्यमंत्री प्रकाशसिंह बादल आजकल जितने घबराए हुए दिख रहे हैं, पहले कभी नहीं दिखे|
संकट की इस घड़ी में केंद्र का चुप बैठना ठीक नहीं हैं| पंजाब सीमावर्ती प्रांत है और वहां अभी खालिस्तानी जड़ें हरी हैं| यदि पंजाब में अस्थिरता फैल गई तो इसे राष्ट्रीय संकट बनते देर नहीं लगेगी| इसके अलावा मुझे पंजाब के अपने सिख भाईयों से कहना है कि वे कुछ लोगों की मूर्खता के मोहरे क्यों बन रहे हैं? गुरु ग्रंथ साहब का ज्ञान पवित्र और अमर है| उसे कौन नष्ट कर सकता है?