राजमाता का राजभोज

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एल आर गाँधी

स्वर्ग में विराजमान इंदिरा जी आज गद गद हो गई होंगी …जो काम वे अपने जीवन काल में पूरा नहीं कर पाई उनकी प्रिय पुत्रवधू ने पूरा कर डाला।।।इंदिरा जी तो महज़ गरीबी हटाओ का उद्दघोष मात्र करते करते इतिहास हो गई , पुत्र वधु ने एक ही झटके में गरीबों की संख्या  एक  चोथाई कर डाली … ८० प्रतिशत गरीबों को भरपेट खाना देने का  हुक्म जारी हुए अभी हफ्ता भी नहीं बीता कि योजना आयोग के सिंह साहेब ने अपने ३५ लाख के गुसलखाने से निकल कर घोषणा की कि गरीब तो घट  कर महज़ २२% रह गए है .
सिंह साहेब तो गरीब घटा कर अपने प्रिय गुसलखाने में जा विराजे … लोगों के किन्तु परन्तु पर  सफाई देने  राजमाता  ‘गाँधी ‘ के तीन बन्दर मैदान में आ गए …मियां राज बाबर ने फ़रमाया कि देश की आर्थिक राजधानी में भरपेट भोजन महज १२/- में खाया जा सकता है …. मियां रशीद मसूद ने राजधानी दिल्ली में भरपूर भोजन मात्र ५/- में मिलता है कह कर दिल्ली के गरीब गुरबों का दिल खुश कर दिया  … रशीद मियां ने गरीबों को राज बब्बर की तरह भटकाया नहीं … यह भी बताया की यह ५/- वाला भोजन जामा मस्जिद इलाके में मिलता है  … जब हमारे कश्मीर के  सुलतान जनाब फारूख अब्दुला से किसी ने पूछा कि मियां यह १२/- ५/- में खाना और वह भी भर पेट …क्या  मामला है ,तो जनाब ने फरमाया कि मुए पेट का क्या है ! यह तो एक रूपए में भी भर जाता है । सवाल तो यह है की बन्दे ने खाया क्या है …
कोई कुछ भी कहे मगर हम कश्मीर के सुलतान से पूरी तरहां सहमत हैं … कश्मीर को इतना खा चुके कि अब खाने के नाम से  ही जनाब को उबकाई आ जाती है .रही बात मियां मसूद की … जामा मस्जिद एरिया में ५/- में तो क्या कुछ भी मुफ्त मुफ्त में मिल सकता है … पिछले ३५ बरस से जामा मस्जिद के शाही इमाम साहेब ने बिजली का बिल नहीं भरा … अब तक बढ़ते बढ़ते हो गया है  सवा चार करोड़ … किसी गरीब का या किसी मंदिर /गुरूद्वारे का हज़ार -पांच सौ का बिल बकाया होता तो कब का कट जाता कनेक्शन .
सब सेकुलर सरकार और अल्लाह का करम है ……
जिस देश की राजमाता विश्व की चौथी सबसे अमीर राजनेता हो उस देश में गरीबों का क्या काम ?Sonia-Gandhi

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एल. आर गान्धी
अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

2 COMMENTS

  1. गांधीजी कायल हूँ मैं आपके विचारों का, आपके अन्दर उठती भावनाओं का.आज गरीबी वोट बैंक का पर्याय बन गयी है.बहुत सुन्दर विश्लेषण हेतु बधाई.

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