‘पाक’ धरती पर कितनी सुरक्षित हैं हिन्दु लड़कियां

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-समन्वय़ नंद-
PAKISTAN WOMEN

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की स्थिति कैसी है, यह किसी से छुपी हुई नहीं है। पाकिस्तान में उत्पीड़न का शिकार होकर आने वाले शरणार्थी से मीडिया के जरिये आप बीती सुनने के बाद अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति का अंदाजा हो जाता है। पाकिस्तान में सबसे अधिक खराब स्थिति अल्पसंख्यक लड़कियों की हैं। पाकिस्तानी समाचार पत्रों में धीरे-धीरे इस संबंध में चर्चा हो रही है।

पाकिस्तानी समाचार पत्र डेली टाइम्स में मोहम्मद अकबर नोटेजाई नाम के एक स्तंभकार का लेख प्रकाशित हुआ है। इस लेख में पाकिस्तान में हिन्दु व ईसाई लड़किय़ों को किस ढंग से जबरन इस्लाम में मतांतरण किया जा रहा है, उसके बारे में जानकारी दी गई है। पाकिस्तान में हिन्दु व अन्य अल्पसंख्यक लड़कियों के लिए जिंदगी कितनी कठिन है, उसका ब्यौरा इस लेख में है। लेखक का कहना है कि अल्पसंख्यक लड़कियों की स्थिति अत्यंत दयनीय है तथा उनका अपहरण की आशंका को देखकर लड़कियों को स्कूलों में नहीं भेजा जा रहा है। इस तरह की दुखद घटनाएं पूर्व में केवल पंजाब व सिंध प्रांत में होती थी। लेकिन अब यह बलूचिस्तान व खैबर पुख्तुनख्वा प्रांत में भी हो रही हैं। पाकिस्तान की सरकार इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही है।

इस लेख में लेखक ने कहा है कि पहले से ही हिन्दु लडकियों का जोर जबरदस्त मतांतरण होता था लेकिन मीडिया में इसकी ज्यादा चर्चा नहीं होती थी। लेकिन कुछ सालों से राष्ट्रीय मीडिया में इस संबंध में खबरें आने के बाद य़ह चर्चा का विषय बना है। अभी हाल ही में रिंकल कुमारी के बलपूर्वक मतांतरण का मामला सर्वोच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान में लिया था जिसके कारण इस मामले की काफी चर्चा हुई थी। लेखक के अनुसार अभी हाल ही में मूवमेंट फॉर सोलिडारिटी एंड पीस इन पाकिस्तान (एमएसपी) द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार अल्पसंख्यक समुदायों के एक हजार लड़कियां जिनकी आयु 12 से 25 वर्ष की आयु के बीच है, उनका हर साल अपहरण कर जोर-जबरदस्ती मतांतरण किया जाता है। इसमें से 70 प्रतिशत लड़कियां हिन्दु होती हैं जबकि 30 प्रतिशत लड़कियां ईसाई होती हैं। केवल इतना हीं नहीं, इन लड़कियों को बाद में वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इस तरह के अमानवीय घटनाओं पर सरकार किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करती है बल्कि इससे इन लोगों को और प्रोत्साहन मिलता है।

लेखक के अनुसार, इस तरह के बलपूर्वक मतांतरण की घटनाएं पंजाब व सिंध प्रांत में बढ़ रही है, लेकिन दो अन्य प्रांत बलूचिस्तान व खैबर पुख्तुनख्वा में इस तरह की घटनाएं बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, अभी हाल में एक घटना सामने आयी थी जब बलूचिस्तान में लीलाराम नाम के एक व्यक्ति के बेटी का अपहरण कर लिया। अपहरणकर्ता ने उसे जबरदस्ती मुसलमान बनाकर निकाह कर लिया। इस तरह की आठ अन्य मामले बलूचिस्तान में सामने आयी हैं।
बलूचिस्तान के मानवाधिकार कमिशन के अध्यक्ष ताहीर हुसैन खान का कहना है कि एक हिन्दु लड़की का बलपूर्वक मतांतरण का मामला देखा है। इस लड़की का नाम नीनम कुमारी था। खैबर पुख्तुनख्वा की राजधानी पेशाबर में एक स्कूल शिक्षिका सपना रानी का अपहरण करने की घटना सामने आयी थी।

इन बलपूर्वक मतांतरण के कारण हिन्दु बालिकाओं को अपने परिवार के लोग शिक्षा से वंचित रखने पर मजबूर हो रहे हैं। लेखक ने पाकिस्तान में एक हिन्दू डॉक्टर के हवाले से लिखा है कि शिक्षा की कितनी आवश्यकता है और शिक्षा का क्या लाभ है, इसकी पूरी तरह से जानकारी है। लेकिन इसके बाद भी हम अपने बेटियों को स्कूल व कॉलेजों में नहीं भेज सकते। क्योंकि हमे डर है वे स्कूल या कॉलेज जाने पर उनको जोर-जबरदस्ती इस्लाम में मतांतरण किया जाएगा। इस कारण हम उन्हें अनपढ़ रखने के लिए मजबूर हैं।

पाकिस्तान के मानवाधिकार कमिशन ने भी इन बलपूर्वक मतांतरण पर चिंता जतायी है। एचआरपीसी द्वारा अपनी रिपोर्ट पेरिल्स ऑफ फेथ में आशंका जताई है कि पाकिस्तान में इस तरह के घटनाएं बढ़ सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के हिन्दुओं के लिए कोडिफायड हिन्दू पर्सनल कानून नहीं है जिससे वे विवाह, तलाक आदि का निपटारा कर सकें। इस तरह के कोडिफायड हिन्दू पर्सनल कानून न होने के कारण कई बार विवाहित हिन्दू महिलाओं का भी अपहरण कर उनका इस्लाम में मतांतरण किया जा रहा है। दुर्भाग्य की बात यह है कि विवाहित हिन्दू महिलाओं का विवाह के संबंध में कोई प्रमाण नहीं होता है जिससे वह न्यायालय में यह सिद्ध कर सकें कि वह पहले से विवाहित हैं। लेखक के अनुसार पाकिस्तान की पाक भूमि में धार्मिक अल्पसंख्यकों विशेष कर हिन्दुओं बलपूर्वक मतांतरण के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। पहले इस तरह की घटनाएं केवल सिंध में होती थी, लेकिन अब यह पाकिस्तान के हर इलाके में होने लगी है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि सरकार हिन्दुओं की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है।

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