सवालों के घेरे में एनआईए की विश्वसनीयता एवं तटस्थता

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-गौतम चौधरी

विगत दिनों गुजरात के मोंडासा बम विस्फोट मामले की जांच का जिम्मा राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अपने हाथ में ले लिया। उसके ठीक बाद समाचार माध्यमों में एक खबर आई कि समझौता एक्सप्रेस बम धमाके कि जांच भी एनआईए को सौंप दिया गया है। याद रहे के मालेगांव, मक्का मस्जिद और अजमेर शरीफ की संचिका पहले से ही एनआईए के पास पहेले से पडी है। गौर करने पर एक बात स्पष्ट होती है कि जिस आतंकी हमले में मुस्लमानों को लक्ष्य कर आक्रमण किया गया है वे सारे मामले एनआईए को जांच के लिए दिये गये हैं। हालांकि एनआईए के अधिकृत वेबसाईट पर जो जानकारी मिली उससे एसा लगा कि एनआईए के पास केवल यही नहीं अन्य मामले भी दिये गये है लेकिन जिस प्रकार समाचार माध्यमों में प्रचार किया जा रहा है उससे यह लगने लगा है कि एनआईए का गठन ही एक खास संप्रदाय के लोगों को आतंकी घोषित करने के लिए किया गया हो। इस आशंका में कितनी सत्यता है इस पर तथ्य अभी आने बाकी है लेकिन समाचार माध्यमों की दिशा पर गौर करे तो एनआईए की गतिविधि पर तटस्थ दृष्टिकोण अपनाना थोडा कठिन हो जाता है।

देश में जब लगातार आतंकी हमले होने लगे तो वाजपेयी सरकार में इस बात पर चर्चा चली कि देश में एक एसे जांच अभिकरण की जरुरत है जो संपूर्ण राष्ट्र में प्रभावी हो और उसके पास इतनी शक्ति हो जो कभी भी किसी भी स्थान पर किसी भी मामले को लेकर अभियान चला सके और अन्वेषण कर सके। वाजपेयी सरकार में इस बात पर भी विचार किया गया था कि देश में एक एकीकृत कानून भी बनाया जाये जो आतंकवाद एवं उग्रवाद के खिलाफ प्रभावी भूमिका निभाए। हालांकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा की सरकार का उस समय कांग्रेस और अन्य दलों के द्वारा शासित राज्य सरकारों ने विरोध किया लेकिन जब केन्द्र में संयुकत प्रगतिशील गठबंधन की सरकार बनी तो वाजपेयी मॉडल को फिर से लाने का प्रयास किया जाने लगा। इसी कड़ी में संसद में सन 2008 को एक विधेयक के तहत एनआईए का गठन किया गया।

एनआईए का घोषनाद है संप्रभुता, सुरक्षा और एकता, इसी घोषनाद पर एनआईए काम कर रही है। यह अभिकरण राष्ट्रीय गृहमंत्रालय के अंदर काम करती है ओर इसमें प्रधान के पुलिस महानिदेशक राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण बोला जाता है। इस स्थान पर कोई केन्द्रीय पुलिस सेवा के अधिकारी को ही बैठाया जाता है। वर्तमान में इस अभिकरण में अभिकरण प्रधान को छाडकर 15 गैर पुलिस सेवा के अधिकारी संलग्न है। यह जांच अभिकरण परमाणु उर्जा विधेयक 1962, गैरकानून गतिविधि विधेयक 1967,अपहरण निरोधक विधेयक 1982,. सिविल एविएशन विधेयक 1982, आतंकवाद निरोधी विधेयक 1993, समु्द्रीय एवं महाद्वीपीय सुरक्षा विधेयक 2002आदिकई विधेयकों से शक्ति प्राप्त करता है। इस जांच अभिकरण के साथ समन्वय के लिये देश के प्रत्येक राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से एक एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी को समायोजित किया गया है। वर्तमान समय में इस अभिकरण का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थापित है साथ ही इस के तीन अन्य उप केन्द्र भी स्थापित किये गये है। जो चेन्नई,कोलकत्ता और मुंबई में है। इसके अलावा एक उपकेन्द्र आजकल हैदराबाद में भी अस्थाई रूप से काम कर रहा है। इस जांच अभिकरण के द्वारा जो अनुसंधान किया जाता है उसमें परंपरागत जांच के सिद्धांतों को तो उपयोग में लाया ही जाता है साथ ही कुछ नये प्रयोगो को भी शामिल किया गये है।

हालांकि राष्ट्रीय जांच अभिकरण के जांच प्रक्रिया पर अभी तक कोई उंगली नहीं उठी है लेकिनजिन मामलों को इस अभिकरण को सौंपा गया है उसमें राजनीतिक दावपेंच स्पष्ट दिखाई देने लगा है। कुल मिलाकर इस अभिकरण का गठन देश में सक्रिय तमाम आतंकवाद और उग्रवाद के तह तक जाने क लिए किया गया है। भारत में यह मान्यता स्थापित हो चुकी है कि यहां आर्थिक या सामाजिक या फिर राजनीतिक गतिरोध के कारण कहीं असंतोष नहीं है। भारत में जहां कही भी असंतोष है उसके पीछे सेमेटिक चिंतन या उससे प्रभावित चिंतन के कारण असंतोष है। इस देश में लंबे समय से हिन्दू, बौद्ध और जैन निवास कर रहे है। बाद में गुरू गोविंदसिंहजी महाराज ने खालसा पंथ की स्थापना की जो थोडा सेमेटिक चितंन से प्रभावित है। पूर्वोत्तर में जो अलगाववाद है वहां ईसाई चिंतन के कारण अलगाववाद प्रभावी हुआ। कश्मीर या देश के अन्य भागों में जहां जहां मुसलमानों की संख्या है वहां अलगाववाद है। इसके अलावे पंजाब में भी पांथिक आतंकवाद ही था। यहीं नहीं तथ्यो की मिमांशा करने के बाद पता चलता है कि माओवादी आतंकवाद और असंतोष के पीछे प्रोटेस्टेन्ट ईसाई चिंतन प्रभारी भूमिका निभा रहा है, लेकिन गौर करने की वात यह है कि इन तमाम अलगाववादी और आतंकवाद को छोड़ मात्र कुछ एसे मामले ही एनआईए को सुपुर्द किया गया है जिसमें हिन्दुओं का नाम आ रहा है। साथ ही एनआईए की जांच प्रक्रिया लगातार लीक हो रही है। एनआईए के जांच से संबंधित खबरें लगातार समाचार माध्यमों में आ रहे हैं जबकि कायदे के अनुसार एनआईए के जांच संबंधी समाचार देने का हकदार केवल केन्द्रीय गृहमंत्री ही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भले एनआईए अपना काम ठीक से कर रहा हो लेकिन उसके उपयोगकर्ता किसी खास योजनासे एनआईए का उपयोग कर रहे है। अगर एसा है तो यह बेहद खतरनाक मामला है और इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए, क्योकि एनआईए के पास अन्य मामले भी होंगे लेकिन समाचार पत्रों या माध्यमो में केवल हिन्दू से संबंधित मामले ही आ रही है। जिससे यह सिद्ध होता है कि एनआईए का, या तो कोई अधिकारी इस मामले को लीक करता है या फिर एनआईए जिस मंत्रालय को मामला सौंप रही हैवहां से मामले लिक हो रहे है। अगर एसा है तो फिर एनआईए की विश्वशनीयता और तटस्थता पर प्रश्न खडा किया जाना स्वाभाविक है।

4 COMMENTS

  1. सांच को आंच क्या ?यदि मोडासा ;मालेगांव मक्का मस्जिद ;अजमेर शरीफ में तथाकथित निर्दोषों का हाथ नहींहै ; तो एन आई ऐ .सीबीआई या कोई अन्य सम्वैधानिक जांच एजेंसी कुछ भी सिद्ध नहीं कर पायेगी .केंद्र की यु पी ऐ सरकार जिसे कुछ लोग धर्मनिरपेक्ष और संघ परिवार छद्म निर्पेक्ष्तावादी फरमाते हैं इसके मंत्री से लेकर संतरी तक आकंठ धर्मान्धता में डूबा है .संघ परिवार को हिन्दुओं{जो भाजपाई हैं } की चिंता है .शिव सेना और राजठाकरे को अप्ला मानुष की चिंता है .कांग्रेस को अपनी विरासत की चिता है .कांग्रेस की विरासत में उच्च आय वर्ग के पूंजीपति और सेकड़ों -हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन के मालिक -बड़े सामंती किसान आते हैं इनमें वे भी आते हैं जिन्हें आपने इस आलेख में बेगुनाह पहले से ही घोषित कर दिया है .अपने वर्गीय दृष्टिकोण से कांग्रेस पूरी कोशिश करेगी की सभी धर्मांध आतंक वादी -चाहे वे मुस्लिम हों ;सिख हों ;ईसाई हों ;नक्सलवादी हों .या हिन्दू भगवा हिंसक आतंकवादी -सभी को स्वछन्द विचरण की पूरी आज़ादी है ;तभी तो कांग्रेस केmanch पर kahin नक्सलवादी तो kahin shankaraachhary ;kahinjain muni ;kahin bhootpoorv daaku और kahin kattarpanthi dharmaandh nazr आते हैं .atev कोई khatra नहीं जांच jaari rahne do

    • श्रीराम जी बात साँच को आँच की नही, अपितु नीयत की है, यहाँ आप एक वर्ग के लिये दूसरे मानदण्ड रखें और दूसरे के लिए अलग तो क्या आप भविष्य के लिए विद्रोह की पृष्ठभूमि तैयार नही कर रहे हैं?

    • prabhu shri tiwari ji aap kaha paye jate hai (ram ka nam yaha likhna achchha nahi laga)….aapki charan raj lene ko ji chahta hai…shradhdhey…yaha bat congress bhajapa ki nahi balki rajnitik swarth aur hinduo se pakshpat ki ho rahi hai…photo se malum hota hai ki aapko chashma lagta hai…yadi technical problem nahi hai to kya aap ye jan buz kar har masla hinduo, bjp, rss ko gariyane ki taraf mod dete hai?

      • वानी जी इन्हे यह बात समझ मे नही आएगी क्योंकि इन्होने तो (आपने सही पहचाना) एक रंगीन चश्मा पहना हुआ है।

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