आ गया तुम्हारे सामने.
तुमको दया आ गयी.(सचमुच?)
तुमने फेंका एक टुकड़ा रोटी का.
रोटी का एक टुकड़ा?
फेंकते ही तुम अपने को महान समझने लगे.
तुमको लगा तुम तो विधाता हो गये.
मरणासन्न को जिन्दगी जो दे दी.
मैं कहूं यह भूल है तुम्हारी,
तुम्हारे पास इतना समय कहां?
आगे ध्यान देते भी कैसे?
तुम तो खुश हो गये अपने इस कारनामे से.
पर काश! तुम देखते.
पता तुम़्हें लग जाता.
तुमने मजबूर किया उसे तडपने के लिये.
अब भी वह जूझ रहा है जीवन और मरण के बीच.
मरेगा वह फिर भी
पर कुछ देर तड़पने के बाद.
तुम दे सकते हो रोटी का एक टुकड़ा
काफी नहीं है वह किसी की जिन्दगी के लिए.
कितना अच्छा होता,
अगर तुम दे सकते किसी को जिन्दगी.