अबकी बार तो फंस गया विपक्ष

मृत्युंजय दीक्षित

दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में विगत 9 फरवरी को घटी बेहद शर्मनाक व दुखद घटना के बाद देश के राजनैतिक दलों ने पाकिस्तान व आतंकवादियों के समर्थन में जिस प्रकार का वातावरण तैयार करने का असफल प्रयास किया है वह उससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण व कांग्रेस के  अपने राजनैतिक इतिहास का सर्वाधिक काला अध्याय ही माना जायेगा। कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी ने सोचा था कि जेएनयू  जाकर और वहां पर  छात्रों के समर्थन में धरना देकर उनकी सहानुभूति बटोरकर देश के प्रधानमंत्री बन जायेंगे लेकिन अब उसके विपरीत परिणाम सामने आने आ रहे हैं तथा भविष्य में और भी अधिक  आयेंगे। आजकल देश के सभी विरोधी दलों के सभी नेता पीएम मोदी का विरोध करते करते मानसिक रूप से दिवालिया और विकृत होते जा रहे हैं। इन नेताओं में मोदी और  भाजपा का विरोध करने के नाम पर कुछ भी शेष नहीं रह गया है। यही कारण है कि आज सभी सेकुलर नेता एक तरफ से जेएनयू कैंपस में संसद भवन में हमले के आरोपी आतंकवादी अफजल गुरू और मकबूल बट्ट की याद में कार्यक्रम में पाकिस्तानन जिंदाबाद के नारे तक का समर्थन कर रहे हैं। बिहार के घेार जातिवादी मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को बिहार का अपना जंगलराज- दो नजर नहीं आ रहा है लेकिन उनको जेएनयू में पाकिस्तान  जिंदाबाद का नारा लगाने वालों का समर्थन करने में आनंद आ रहा है। यह वहीं नीतिश कुमार हैं जिन्होने गुजरात को थर्राने के लिए निकली महिला आत्मघाती इशरत जहां को बिहार की बेटी कहा था, अब लगता है कि जेएनयू कैंपस में पाकिस्तान जिंदाबाद बोलने वाला कन्हैया कुमार उनका अपना बेटा हो जायेगा? यह तथ्य सवंविदित हो गया है कि बिहार के बेगूसराय का रहने वाला कन्हैया कुमार पहले भी भाजपा व पीएम मोदी विरोधी अभियानों का नेतृत्व कर चुका था। लेकिन यह स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति की सीमा की अंतिम पराकाष्ठा है। भारत में स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का आधार बिंदु देशद्रोही आवाज उठाना बनता जा रहा है। यदि देशद्रोही आवाज बोलने वाले लोगों को जेल में डाला जाये तो वह तानाशाही हो जाती है।

जेएनयू छात्रसंघ  अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद राहुल गांधी भारत को हिटलर बता रहे हैं वे तो उन लोगों को देशद्रोही कह रहे हैं जो लोग आजकल सत्ता में हैं और आतंकवाद के खिलाफ पूरे विश्व के साथ मिलकर लड़ाई लड़ रहे हैं।लेकिन राहुल गांधी को अपने दिल में हाथ रखकर पूछना चाहिये कि वास्तव में उन्होनें किया क्या है। राहुल गांधी ने अपने आप को युवाओं का आइकाॅन साबित करने की होड़ में वहां पहुंच गये ,जहां उन्हें कतई नहीं जाना चाहिये था। जेएनयू कैंपस में जाकर राहुल गांधी ने अपने राजनैतिक जीवन में संभवतः बहुत बड़ी और ऐतिहासिक रणनीतिक भूल कर दी है। निश्चय ही राहुल गांधी का कोई सलाहकर उनको बहुत अधिक गलत सलाह देकर उनका रास्ता भटका रहा है। जेएनयू कैंपस जाकर राहुल गांधी ने अपने आप को एक प्रकार से अलगाववादियों के समर्थन में खड़ा करवा लिया है। राहुल गांधी के वहां पर जाने से यह भी साबित हो रहा है कि गांधी परिवार अब सत्ता प्राप्ति के लिए काश्मीर को  आजाद भी सकता है। कांग्रेस के लिए सैनिकों का शहीद होना अब एक बेहद सामान्य घटना हो गयी है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल गांधी से जो प्रश्न पूछें हैं वह बिलकुल सटीक हैं। अमित शाह ने राहुल गांधी से पूछा है कि इन नारों का समर्थन करके क्या राहुल गांधी ने अलगाववादियांे से हाथ मिला लिया है ? क्या राहुल गांधी  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश में अलगाववादियों को छूट देकर देश का बंटवारा करना चाह रहे हैं ?2001 में संसद भवन पर हमले के आरोपी अफजल गुरू का महिमा मंडन करने वालों और काश्मीर में अनगाववाद के नारे लगाने वाले को समर्थन देकर आखिर राहुल कौन सी राष्ट्रभक्ति का परिचय दे रहे हैं। क्या लांसनायक हनुमनथप्पा की शहादत को यह सच्ची श्रद्धांजलि हैं ? इस पूरे घटनाक्रम में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि जब सियाचिन के बहादुरों का शव दिल्ली लाया गया था और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दीरही थी उस समय वहां पर कोई कांग्रेसी प्रतिनिधि नहीं पहुंचा था अपितु इसके विपरीत यही कांग्रेसी जेएनयू कैंपस में आतंकवादियों और पाकिस्तान के समर्थन में आवाज को बुलंद कर रहे थे और आग में घी डालने का काम भी। कांग्रेस की वास्तविक असलियत यही है और आज अमेठी और रायबरेली की जनता को गांधी परिवार का सच बतने का समय आ गया है। यह वही कांग्रेस है जो कभी बटला हाउस पर आंसू बहाती है और इशरत जहां मामले को फर्जी बताकर भाजपा व संघ को बदनाम करने महाअभियान चलाती है। आज की कांग्रेस पूरी तरह से दिवालिया और दिग्भ्रमित हो चुकी है। जेएनयू में तो पूरी तरह से फंस चुकी है। यही नहीं जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सवालों का जवाब देने के लिए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेसवार्ता करी तो उनका दीवाला ही निकल गया पता चल गया कि वे कितने बौद्धिक हैं?इस बात को ऐसे भी कहा जा सकता है कि आखिर सच जुबान पर आ ही जाता है रणदीप सुरजेवाला ने यह साबित कर दिया कि पूरी की पूरी कांग्रेस को ही अफजल गुरू से बेहद प्यार हो गया है यही कारण है कि वह अफजल गुंरू को जी कहकर संबोधित कर रहे थे औ कह रहे थे क अफतल गुरू ने सुप्रीम कोर्ट पर हमला किया था यह तो उनके अतिज्ञान की पराकाष्ठा थी । जिसे बाद में उन्होनें गलती कहकर हालात सुधारने की कोशिश की। और तो और इस पूरे प्रकरण में वह भी बोल रही हैं जिनका तो पूरा इतिहास ही काला है और वह हैं बसपा नेत्री मायावती। बसपा नेत्री मायावती को भी अगले उप्र विधानसभा चुनावों में मुस्लिम मतों की चाहत है लिहाजा वे भी जेएनयू में आतंकवाद व पाकिस्तान समर्थक नारेबाजों के समर्थन में खड़ी हो गयी हैं।

इस पूरे घटनाक्रम से यह साबित हो रहा है कि आज का विपक्ष  मोदी और भाजपा विरोध के नाम पर पूरी तरह से रास्ता भटक गया है उसे समझ में नहीं आ रहा है कि क्या गलत है और क्या सही? सभी सेकुलर नेता पूरी तरह से अलगाववादियों के साथ दिखलायी पड़ रहे हैं? देश की सुरक्षा के साथ सरेआम खिलवाड़ हो रहा है। आज आतंक के खिलाफ लड़ाई का जो माहौल देश –  विदेश में बना है उसको देखते हुए अब यह जरूरी हो गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की एक सीमा रेखा खींची जायें और अलगाववाद व अलगाववादियों का परोक्ष व अपरोक्ष समर्थन  करने वाले सभी तत्वों को जेल के पीछे डाल दिया जाये।  रही बात तानाशाही के आरोपों की तो सबसे बड़ी तानाशाही तो कांग्रेस ने की है और अभी भी कर रही है। आज कांग्रेस अलगाववादियों के पक्ष में तानाशाही रवैया अपना रही है यह उसके लिए बेहद खतरनाक खेल साबित होगा। आज कांग्रेस यदि अभी माफी मांग ले तो उसका ही भला होगा नही तो गया हुआ समय वापस नहीं आता।

rahul-Gandhi-jnu-3मृत्युंजय दीक्षित

2 COMMENTS

  1. RAHUL GANDHI HAS TO BE IN NEWS ON CONGRESS’S FAVORITE CHANNELS. IT HARDLY MATTERS TO HIM EVEN IF HE IS BY HIS ACTIONS SUPPORTING THE ANTI-INDIA SENTIMENTS. THE EVENT OF 09.02.2016 HAS SHOWN THAT THE CONGRESS IS HARDLY BETTER THAN THE COMMUNISTS.
    SINCE 1962 TO TILL TODAY THEY HAVE AN AGENDA TO TARGET INDIAN DEMOCRATIC SET UP FOR PROGRESS OF THE COUNTRY. THEY WERE IN POWER IN WEST BENGAL FOR CONSECUTIVE MORE THAN 25 YEARS, STILL IT IS HARDLY ANY BETTER THAN IT USED TO BE BEFORE THAT.
    I WISH THE COMMUNISTS DO A LITTLE INTROSPECTION AND REVIEW THEIR POLICIES.

  2. कांग्रेस के नेता कुर्सी के लिये पागल हो रहे हैं इनका लक्ष्य मात्र वोट और सत्ता है इसके लिये वे कुछ भी कर सकते हैं इस हेतु जितना पतन कांग्रेस का इन दिनों हुआ है पहले नहीं हुआ था ,लगता है अब इस पार्टी ने अपने ख़ात्मे की रूपरेखा लिखनी शुरू कर दी है व राहुल इस दुकान का ताला लगा कर ही दम लेगें

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