राजनाथ क्या करें, क्या न करें?

Rajnath-Singhगृहमंत्री राजनाथसिंह दक्षेस-गृहमंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान जाएं या न जाएं और जाएं तो पाकिस्तानी नेताओं से द्विपक्षीय बात करें या न करें, यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ है। क्या राजनाथसिंह सिर्फ इसीलिए न जाएं कि हाफिज़ सईद ने उनके विरुद्ध प्रदर्शनों की धमकी दी है? पाकिस्तान सरकार चाहे तो वह आजकल में ही उन सब लोगों को गिरफ्तार कर सकती है, जो पाकिस्तान की इज्जत से खेल रहे हैं। यदि राजनाथसिंह वहां जाना स्थगित करते हैं तो किसकी इज्जत खराब होगी? क्या भारत की? नहीं, पाकिस्तान की! मेहमान की नहीं, मेजबान की!

राजनाथसिंह जाएं जरुर लेकिन अपनी सुरक्षा का पूरा ख्याल करें। पाकिस्तान का मीडिया उन पर टूट पड़ेगा। खासतौर से बुरहान वानी की मौत के बाद! यह आश्चर्य की बात है कि पाकिस्तानी दूतावास सुरक्षा के नाम पर सिर्फ एक गार्ड को वीज़ा दे रहा है। मैं कहता हूं, वह दस को क्यों नहीं दे देता? यदि उन्हें उचित सुरक्षा न मिले तो राजनाथसिंह को चाहिए कि वे न तो कोई सभा करें और न ही पत्रकार-परिषद!

जहां तक पाकिस्तानी नेताओं से मिलने की बात है, वे सबसे मिलें। फौजियों से भी मिलें। खुलकर बात करें। आतंकवाद पर तो दक्षेस-बैठक में बात होगी ही, कश्मीर पर भी वे आगे होकर दो-टूक बात क्यों न करें? कश्मीर का मसला युद्ध से, आतंकवाद से, घुसपैठ से, चीन-अमेरिका की गोद में बैठने से, संयुक्त राष्ट्र में रोने-धोने से याने किसी भी तरह से हल नहीं हुआ। अब उसे बातचीत से हल करें। यह बात राजनाथसिंह पाकिस्तानियों के दिल में बिठा सकें तो क्या कहने? इस काम के लिए उनके टीवी इंटरव्यू सर्वश्रेष्ठ रहेंगे। दक्षेस देशों में व्यापार बढ़े, यातायात बढ़े, वीज़ा आसान हो, पूरी दक्षिण एशिया एक-दूसरे के लिए खुल जाए, इसके लिए यह पहली शर्त है कि दक्षेस के दो सबसे बड़े देशों में आपसी संबंध सहज हों।

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