राखी का त्यौहार‌

राखी का त्यौहार‌राखियों से गुलजार बजार,
आ गया राखी का त्यौहार|

मिठाई सजी दुकानों में
शॊरगुल गूंजे कानों में
रेशमी धागों की भरमार
राखियों के ढेरों अंबार
कहीं पर बेसन की बरफी
कहीं पर काजू की कतली
कहीं पर रसगुल्लॆ झक झक‌
कहीं पर लड्डू हुये शुमार|
आ गया राखी का त्यौहार|

कमलिया रखी लाई है
थाल में रखी मिठाई है
साथ में कुमकुम नारियल है
खुशी का पावन हर पल है,
बहन ने रेशम का धागा
भाई के हाथों में बांधा
भाई की आँखों में श्रद्धा
बहन की आँखों मे‍ है प्यार|
आ गया राखी का त्यौहार|

बहन‌ भाई का पावन पर्व,
रहा सदियों से इस‌ पर गर्व
जरा सा रेशम का धागा
बनाता फौलादी नाता
बहन की रक्षा करना धर्म‌
भाइयों ने समझा यह मर्म‌
बहुत स्नेहिल पावन है
भाई बहनों का यह संसार|
आ गया राखी का त्यौहार|

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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