बंधन धागों का…..

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rakhi1परमजीत कौर कलेर

( 20 अगस्त रक्षाबंधन स्पैशल)

कहते हैं बचपन के दिन कभी लौट के नहीं आते…समय के साथ सब कुछ बदल जाता है। न वो उम्र रहती है और न वो अठखेलियां। सिर्फ रह जाती हैं तो बस यादें…कभी भाई का गुस्से में बहन की चोटी खींचना तो कभी बहन का रूठना और भाई का बहन को मनाना…ये छोटी-मोटी नोंक झोंक भाई बहन के बीच तब तक चलती है जब तक कि बहन पराए घर नहीं चली जाती है…दरअसल ये नोंक झोंक कुछ ही पल की होती है…फिर सभी बहन भाई एक हो जाते है ..इन सब बातों को सुनकर आप सोच रहे होंगे कि हम भाई बहन के बचपन के बारे में आपको बताने जा रहें हैं…तो आपका सोचना गलत है बहन भाई आपस में चाहे जितना मर्जी झगड़ा कर लें …पर उनका एक दूसरे के बिना एक पल भी गुजारा नहीं हो सकता।ये डांट डपट कुछ ही क्षणों की होती है। ये तो होती हैं बचपन की कुछ खट्टी मीठी यादें जो सिर्फ यादें बनकर रह जाती हैं।मगर उनके दिल में एक दूसरे के प्रति  छिपा होता है प्यार, स्नेह। भाई बहन के इसी प्यार का प्रतीक है राखी का पवित्र त्यौहार …रक्षाबंधन जो बंधन है प्रेम रूपी धागे का जो भारत में मनाए जाने वाले त्यौहारों में सबसे अलग अनुपम और अनूठा है…इस धागे में छिपा होता है एक बहन का अपने भाई के प्रति प्यार…आशीर्वाद…और उसकी लम्बी आयु और खुशहाली की कामना…ये शुभ दिन श्रावण मास की पूर्णिमा को आता है…इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई को रेशम की डोरी यानि कि राखी से सजाती हैं…जिसमें बहनें अपने भाई को राखी बांधती हुई भगवान से उनकी लम्बी आयु , खुशहाली और तरक्की की कामना करती हैं…और अपनी उम्र भी अपने भाई को लग जाने का आशीर्वाद देती हैं…भाई भी बहन की रक्षा करने का प्रण लेता है…त्यौहार हमारे जीवन में ताजगी, रंगत और नई ऊर्जा भरने का काम करते हैं…अगर त्यौहार न होते तो हमारी जिन्दगी की रंगत फीकी हो जाती…ये त्यौहार ही हैं जो हमें एक दूसरे से मिलाने का जरिया बनते है…जिससे दूरियां मिटती हैं और सभी एक होकर त्यौहार मनाने में मदमस्त नज़र आते हैं… समय का पहिया इतनी तेजी से घूमता है कि वक्त कब गुजर जाता है…पता ही नहीं चलता…भाई बहनों के बचपन के पल कब पंख लगा कर उड़ जाते हैं इसका अहसास हमें तब होता हैं जब हम हो जाते हैं बड़े और पीछे छूट जाती हैं बचपन की खट्टी मीठी यादें…ये दिन फिर कभी भी लौट कर नहीं आ सकते हैं…हां मगर ये त्यौहार उन यादों को संजोने का जरिया ज़रूर बनते हैं…ऐसा ही एक त्यौहार है राखी…जो बहन भाई के पवित्र रिश्ते से जुड़ा होता है…

राखी बांधने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। पहले जब युद्ध लड़ने के लिए योद्धा मैदान-ए-जंग में जाते थे तो बहनें अपने भाईयों को कलाईयों पर मौली बांधती थी । उनका विश्वास था कि उनके शूरवीर भाई शत्रुओं को हरा कर सही सलामत लौटेंगे …इस धागें में होती थी एक बहन की अपने भाई के लिए दुआएं ही दुआएं …इन दुआओं की बदौलत ही शूरवीर भाई मैदाने जंग को फतेह करके लौटते थे… हर त्यौहार मनाने के पीछे कोई न कोई ऐतिहासक या धार्मिक महत्व होता है। रक्षाबंधन जिसका संबंध रक्षा से माना जाता है…जो आप की रक्षा करता है आप उसका आभार जताना नहीं भूलते…आप उसे रक्षा सूत्र बांध देते हैं…भगवान श्रीकृष्ण ने रक्षा सूत्र के विषय में कहा था कि रक्षाबंधन के त्यौहार अपनी सेना के साथ मनाओ…इससे पांडवों और उनकी सेना की रक्षा होगी…सच में प्रेमरूपी इस धागे में होती है एक अनोखी शक्ति रक्षाबंधन के संबंध में कई प्राचीन कथाएं भी मशहूर हैं.. …कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर राजा बलि के अभिमान को तोड़ा था…इस त्यौहार को ‘बलेव’ के नाम से भी जाना जाता है…देवता और राक्षसों के युद्ध में जब देवता हारने लगे तब वे देवराज इन्द्र के पास गए। राक्षसों से भयभीत होकर इंद्राणी ने उनके हाथों में रक्षा सूत्र बांधा। जिससे देवताओं का आत्म विश्वास बढ़ गया और इसी आत्मविश्वास की बदौलत उन्होंने राक्षसों के छक्के छुड़ाएंतभी से राखी बांधने की प्रथा शुरू हुई इतिहास गवाह है कि राखी के इस प्रेम रूपी धागे से अनेक बहनों के भाईयों ने जीत हासिल की.. ये मात्र धागा नहीं है…चित्तौड़गढ़ की राजमाता कर्मवती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर अपना भाई बनाया था। यही नहीं रानी कर्मवती पर जब संकट आया तो हुमायूं ने भी उसकी रक्षा के लिए चितौड़गढ़ के किले में पहुंच कर अपना धर्म निभाया यही है इस धागे की ताकत

भारत की धरती को अगर संस्कृति और त्यौहारों की अमूल्य  विरासत कहा जाए तो ये कहना जरा भी गलत नहीं होगा…भारत में तो  त्यौहारों को लेकर एक खास उत्साह देखने को मिलता है…भारत में त्यौहारों का सम्बंध हमारी भावनाओं हमारी संस्सकृति से भी जुड़ा होता हैं…जो हमारी जिन्दगी में रंग तो भरते ही है साथ ही हम सभी गिले शिकवे मिटाकर एक दूसरे के साथ मिलकर त्यौहार मनाते है जिससे हर एक की जिन्दगी में आ जाती हैं रंगीनी और मिठास…राखी भी भाई बहन का पवित्र त्यौहार है…इस धागे में एक बहन का छिपा होता है प्यार और अपने भाई के लिए लाखों दुआएं…बेशक समय के बदलाव के साथ रक्षाबंधन में भी परिवर्तन आया है… फिर भी इस त्यौहार को हर कोई अपने अपने अंदाज में मनाना नहीं भूलता… बहन भाई के त्यौहार पर भाई कितना भी दूर रहे राखी के दिन वो अपनी बहन के पास ज़रूर पहुंचता है…और अगर भाई कहीं फंसा है अपनी बहन के पास पहुंचने में असमर्थ होता है तो बहन अपने भाई को राखी भेजती है…चाहे उसका भाई सात समंदर पार ही क्यों ना हो… राखी को कई नामों से जाना जाता है…रक्षाबंधन को उतर भारत में राखी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है…जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है…पंजाब में राखी को रखड़ी के नाम से जाना जाता है…पश्चिम भारत जैसे गुजरात , गोआ और महाराष्ट्र में इसे नाराली पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है…यहां लोग नारियल को भगवान वरूण यानि कि समुद्र देवता को अर्पित करते हैं…ये आम तौर पर मछुआरे मनाते हैं क्योंकि उनकी रोजी रोटी ही समुंद्र से चलती है…इस दौरान वो समुद्र से मछलिया निकाल उसे बनाकर वरूण देवता को अर्पण करते हैं…दक्षिण भारत में अवानी अवितम के नाम से जाना जाता है…इस शुभ अवसर पर लोग यजुर्वेद को पढ़ना शुरू करते हैं और अगले 6 महीने तक पढ़ते हैं…ब्राह्मण इस दिन स्नान कर धार्मिक स्थानों में नया जनेऊ पहनते हैं और पुराना जनेऊ उतारते हैं…इस दिन कृष्ण जी के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था…इस दिन इनकी जयंति भी मनाई जाती है…पश्चिम बंगाल में राखी को झूलन पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता हैं…सभी लोग इस दिन भगवान कृष्ण और राधा जी की पूजा करते हैं इस दिन राधा कृष्ण जी की मूर्तियों को बड़े ही अच्छे ढंग से सजाया जाता है जिसमें राधा कृष्ण को झूला झुलाया जाता है जिसे झूलन के नाम से जाना जाता है…बहुत सारे हिन्दु घरों में राखी इसी तरह मनाई जाती है…यही नहीं इस दिन राधा- कृष्ण के मंदिरों में इस दिन मेलों का भी आयोजन होता है…इस तरह राखी का ये पवित्र त्यौहार पूरे भारतवर्ष के साथ साथ विदेशों में भी मनाया जाता है…क्योंकि बहुत से भारतीय विदेशों में भी रह रहें हैं…लेकिन वो अपना त्यौहार मनाना नहीं भूलते…

रक्षाबंधन जो कि नाम से ही जाहिर है रक्षा के लिए बांधा गया धागा। पहले घर में पड़ी मौली से ही बहनें अपने भाईयों को राखी बांध देती थी… रक्षाबंधन जिसका इंतजार बहनें और भाई बड़ी बेसब्री से करते हैं….इस प्रेम रूपी पवित्र धागे में बहन की आशीष के साथ साथ उसकी हर मुश्किल का सामना करने के लिए प्रेरित करने की शक्ति भी छिपी होती है…बहनें तो कई दिन पहले ही अपने भाईयों के लिए प्यारी राखियां खरीद कर रक्षाबंधन के आने का इंतज़ार करती हैं…जो बहनें अपने भाई के पास नहीं जा सकतीं वो डाक के जरिए राखी भेजना नहीं भूलती…बाजार आपकी हर सहूलियत का ख्याल रखता है…मगर आज के आधुनिक दौर में त्यौहारों पर भी मानो बाहरी चमक धमक हावी हो रही है। इसी लिए इन धागों की जगह ले ली है रंग बिरंगे चमकीले धागों ने, यही नहीं बाजार में कई डिजाईनर राखियां आ गई हैं…आपको हर तरह की राखियां मिल जाएंगी….पारम्परिक राखियों की जगह अब जगह ले ली हैं नई नई वैरायटी की राखियों ने…बाजारों में पुराने और नये जमाने की हर तरह की राखियां मिलती हैं…फ्लोरल राखी जिस को फ्लावर की शेप दे कर बनाई गई हैं…जिसे बनाने में चमीकले सितारों और धागों के साथ बड़ा ही अच्छा काम किया गया, साटन रिबन राखी ये राखियां देखने में बड़ी खूबसूरत होती हैं……जिस पर प्लास्टिक का वर्क किया गया होता है…अगर आप बड़ी अलग राखी खरीदने की ख्वाहिश रखते हैं तो जरदोसी राखी जिस पर सिल्क के धागे के अलावा कई किस्म की राखियां जैसे गोल्डन कलर की राखियां होती हैं…जो सबको आकर्षित करती हैं…सैंडलवुड राखी जिसे चन्दन राखी के नाम से भी जाना जाता है …जिस में आम तौर पर मोती लगे होते हैं इस पर  धार्मिक चिन्ह जैसे ओम, स्वास्तिक का डिजाइन बना होता है…जिसे बड़े ही कलात्मक ढंग से सजाया होता है कि देखने वाले राखियों को देखते ही रह जाते हैं …रुद्राक्ष राखी इसके तो बड़े फायदे हैं इस राखी को बांधने से भाई की नैगेटिविटी दूर होती है…बीड्स राखी में भी आपको कई वैरायटी मिल जाएगी जो सिम्पल और सोबर तो है जिससे हर भाई इसको पहनना पसंद भी करेगा…ब्रेस्लेट राखी जो कि नौजवान लड़कों के लिए बनी हैं जिसमें आम तौर पर चेन लगी होती है….और इस चेन को बन्द करने के लिए हुक लगी होती है…ऐसी राखियां आम तौर पर सिल्वर, पीतल, और सोने से बनी होती हैं…जनाब इतना ही नहीं सोने चांदी की राखियां भी बाजार में मिलती है। राखी की इतनी खूबसूरत वैरायटियां हैं कि हर कोई इसे खरीदे बिना नहीं रह सकता। आईए दुकानदारों से जानते हैं कि किस तरह की राखियों की ज्यादा बिक्री हो रही है इस बार…छोटे बच्चों को तो कार्टून वाली, म्यूजिकल राखी, टवॉय राखी बेहद भाती हैं…और भी कई किस्म की राखियां आपको मिल जाएंगी इन राखियों को देखकर आपका दिल चाहेगा कि हम सारी राखियां खरीद लें…सोने चांदी की कीमतें  भले ही आसमान को छू रहें हैं।मगर कई बहनें सोने चांदी की राखियां भी अपने भाईयों को बांधती हैं…भई प्यार का पवित्र त्यौहार राखी है तो बहनें इसे भी खरीदेंगी ही…

लंबे इंतज़ार के बाद राखी वाले दिन सबसे पहले बहनें सुबह उठकर अपने भाईयों को राखी बांधने के लिए पूजा की थाली तैयार करती हैं…जिसमें होते हैं राखी के धागे,चावल, मिठाई, रोली और दीपक…बहन भाई की आरती उतार कर उसे माथे पर तिलक लगाकर उसे राखी बांधती है। इस राखी में होती हैं एक बहन की अपने भाई के लिए लाखों दुआएं, जिसमें भाई की लम्बी आयु, तरक्की और सलामती के लिए बहन की दुआएं….भाई भी इस दिन बहन की रक्षा करने का वचन देता है और ताउम्र अपने वायदे को निभाता है….और उसकी हर मुश्किल में सहायता करता है….यही नहीं राखी बांधने के बदले भाई भी अपनी बहन को कुछ उपहार देना नहीं भूलता है…भई अपनी लाड़ली बहन को रूपए या उसकी मनपसंद गिफ्ट देता है। एक बहन की तमन्ना भाई से कुछ लेने की नहीं होती है…भाई उसे प्यार से एक रूपया भी दे तो वो भी उसके लिए बहुमूल्य सौगात होती है….वो चाहती है कि उसका भाई बस उसे खुश होकर मिले और वो हमेशा खुशहाल जीवन व्यतीत करें। लेकिन वो बहन जिसका भाई नहीं होता है…वो इस त्यौहार पर उदास रहती है…जब बहन पीहर छोड़ कर पराये घर चली जाती है तो उसका अपना भाई ही उसे मिलने के लिए जाता है…भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए तो तत्पर रहता ही है। बहन भी अपने भाई के लिए हर मुश्किल वक्त में कंधे से कंधा मिला कर खड़ी रहती है….मगर जिस बहन का कोई भाई नहीं होता, उस बहन की ज़िंदगी में उदासी ना रहे इसके लिए कई संस्थाए और कई एनजीओ काम कर रही हैं जो ऐसे मौके पर मुंहबोले भाईयों को बहनों से मिती हैं और बहनों की उदास ज़िंदगी को खुशहाल बना देती हैं…एक भाई की भी तमन्ना रहती है कि उसकी बहन हमेशा फूलों की तरह महकती रहें और उसके चेहरे पर हमेशा ही मुस्कराहट कायम रहें…बहन के चेहरे पर कोई शिकन भी न आए …वो हमेशा अपनी बहन को फूलों की तरह हसता और मुस्कराता हुआ देखना चाहता है…जब वे पराये घर में चला जाती है तो एक भईया की तमन्ना बस यही रहती के वो अपने घर में खुशहाल जीवन व्यतीत करे।बेशक त्यौहार में बदलाव आ रहा है फिर भी हम इन त्यौहारों को मनाना नहीं भूलते …और नए जोश और नई ऊर्जा के साथ इन त्यौहारों को मनाते हैं…हम भी यही चाहते हैं कि भाई – बहन का यह प्यार इसी तरह बरकरार रहे और इसमें कभी भी रुसवाईयां और दूरियां न आएं। मिठाईयों के मिठास से साथ बहन भाई का प्यार यूं ही कायम रहे ।

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  1. रक्षाबंधन पर्व के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए धन्यवाद। आपने कहा कि इसे दक्षिण भारत में अवानी अवितम के नाम से जाना जाता है। ऐसा लगता है कि संभवतः इस तरह तमिलनाडु में कहते होंगे। दक्षिण भारत के अन्य प्रदेशों में (कम से कम आंध्रप्रदेश में) यह नाम प्रचलित नहीं है। अकेले तमिलनाडु को (पांडिचेरी सहित) सारा दक्षिण भारत मान लेना सही नहीं होगा।

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