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रे देवों के अंश जाग जा......... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
रे देवों के अंश जाग जा......... कौटिक देखे कर्मरत, पर तुझसा दिखा न कोई। इतने सर संधान किये,फिर क्यों तेरी भाग्य चेतना सोई।। आज रौशनी मद्धम-मद्धम, तारों की भी पांत डोलती, खाली उदर में आती-जाती, सांय-सांय सी सांस बोलती, कितने घर चूल्हा ना धधका, सब घर चाकी सोई है।…