हरियाणा के पर्यटन मानचित्र में शामिल होने को तत्पर ‘बराड़ा’

निर्मल रानी

वैसे तो हरियाणा का सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला पूरे विश्व में अपनी धूम मचा चुका है। ज़ाहिर है हस्तशिल्प प्रदर्शनी तथा पर्यटकों को लुभाने वाले और कई मनोरंजक आयोजनों के लिए सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला अपनी अलग पहचान बना चुका है। परंतु हरियाणा के पर्यटन मानचित्र में ही अब एक और नाम जुडऩे की क़तार में लगा हुआ है, और वह है हरियाणा के जि़ला अंबाला का बराड़ा कस्बा।

हरियाणा राज्य के अंबाला व यमुनानगर के बीचोबीच स्थित बराड़ा कस्बा विश्व में सबसे ऊंचा रावण का पुतला बनाए जाने के लिए पूरी दुनिया में शोहरत हासिल कर चुका है। इस पुतले का निर्माण करने वाले श्री रामलीला क्लब बराड़ा तथा इसके संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिंद्र सिंह चौहान को लिम्का बुक आफ़ रिकॉर्ड में दो बार सम्मानपूर्वक स्थान प्राप्त हो चुका है। इस प्रकार श्री रामलीला क्लब बराड़ा देश में अनूठा कार्यक्रम आयोजित करने वाला भारत का अकेला ऐसा क्लब बन चुका है जिसे दो बार लिम्का बुक आफ़ रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त हुआ है।

गौरतलब है कि क्लब द्वारा 2009 में 175 फुट का रावण का पुतला निर्मित किए जाने हेतु इसे 2011के लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त हुआ है। जबकि 2011 में 185 फुट ऊंचा रावण का पुतला बनाए जाने के लिए 2013 की लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में स्थान मिला। ज़ाहिर है इन रिकॉर्डस के अर्जित किए जाने के बाद अब क्लब की निगाहें गिन्नीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड पर जा टिकी हैं।

परंतु इस वर्ष दशहरा महोत्सव पर श्री रामलीला क्लब बराड़ा ने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य में दशहरा महोत्सव को रजत जयंती समारोह के रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया है। अत: इस वर्ष दशहरा महोत्सव आयोजन केवल विजयदशमी के दिन आयोजित होने वाले रावण दहन कार्यक्रम तक सीमित न रहकर एक पांच दिवसीय दशहरा महोत्सव मेले का रूप धारण करने जा रहा है। देश के रावण के सबसे विशाल पुतले को देखने के लिए उमडऩे वाली भीड़ तथा इसके प्रति न केवल हरियाणा बल्कि पड़ोसी राज्यों के आम लोगों की पुतले के प्रति बढ़ती दिलचस्पी को देखकर दशहरा महोत्सव मेला लगाए जाने का निर्णय लिया गया है।

क्लब ने इस वर्ष दशहरा महोत्सव मेला आयोजित करने की जो रूपरेखा तैयार की है उसके अनुसार 18 अक्तूबर को 195 फुट ऊंचा रावण का पुतला अपनी पूरी लंबाई की पैमाईश करने की ग़रज़ से लेटे हुए पुतले की मुद्रा में जनता के दर्शन हेतु उपलब्ध होगा। 19 अक्तूबर को अपने ही क्लब के पिछले कीर्तिमानों को तोडऩे वाला 195 फुट का यह विशाल पुतला जनता के दर्शन हेतु विशेष क्रेनों के द्वारा तथा क्लब के सैकड़ों सदस्यों की मेहनत से खड़ा कर दिया जाएगा। उसके पश्चात 20 अक्तूबर से इस विशाल रावण के पुतले की पृष्ठभूमि में प्रतिदिन मनोरंजनपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। रोज़ाना शाम पांच बजे से शुरु होने वाले इन कार्यक्रमों में सर्वप्रथ अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन आयोजित होगा। जिसमें अशोक चक्रधर, सुरेंद्र शर्मा व पापुलर मेरठी जैसे कई राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त हास्य कवि अपने हास्य-व्यंग्य के बाण छोड़ेंगे। 21 अक्तूबर को देश के जाने-माने जादूगार शंकर सम्राट दर्शकों का मनोरंजन करने हेतु अपनी कला के हैरतअंगेज़ कारनामे दिखाएंगे। इसी प्रकार 22 अक्तूबर की शाम प्रसिद्ध सूफी गायक हंसराज हंस के नाम की जाएगी। जबकि 23 अक्तूबर को देश के मशहूर पंजाबी गायक एवं नौजवान दिलों की धडक़न प्रीत हरपाल अपनी मनमोहक आवाज़ व आकर्षक अंदाज़ में अपनी शानदार गायकी का प्रदर्शन करेंगे।

और 24 अक्तूबर यानी विजयदशमी के दिन एक बार फिर दुनिया का सबसे ऊंचा रावण जिसकी लंबाई इस वर्ष 195 फुट निर्धारित की गई है को अग्रि की भेंट कर दिया जाएगा। इस प्रकार श्री रामलीला क्लब बराड़ा इस वर्ष से पहली बार पांच दिवसीय दशहरा महोत्सव का आयोजन कर इस पूरे आयोजन को एक विशाल मेले का रूप देने जा रहा है। श्री रामलीला क्लब बराड़ा का यह आयोजन अपने-आप में और भी कई विशेषताओं को समाहित किए हुए है। एक तो यह कि रावण के पुतले की लंबाई को समाज में व्याप्त तमाम बुराईयों व कुरीतियों के प्रतीकस्वरूप मानकर उसका दहन किया जाता है। सांप्रदायिकता, जातिवाद, दहेजप्रथा, कन्या भ्रुण हत्या, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, मंहगाई, रिश्वतखोरी, अशिक्षा, असमानता, जनसंख्या वृद्धि, मिलावटखोरी जैसी तमाम सामाजिक बुराईयों को रावण का यह विशाल पुतला प्रतिबिंबित करता है। इस पुतले की एक ओर विशेषता यह है कि इसका निर्माण आगरा से आए हुए मुस्लिम कारीगरों के हाथों से किया जाता है। इस पुतले के निर्माण हेतु मुस्लिम परिवार आगरा से आकर यहीं बराड़ा में ही बस गया है। श्री रामलीला क्लब बराड़ा के आकर्षण का एक और बिंदु यह भी है कि जहां इस क्लब के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिंद्र सिंह चौहान हैं वहीं क्लब के संयोजक की जि़म्मेदारी जाने-माने स्तंभकार व लेखक तनवीर जाफरी द्वारा निभाई जाती है। ज़ाहिर है इतने बड़े आयोजन में चौहान व जाफरी की सामूहिक भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि यह आयोजन सर्वधर्म संभाव व सांप्रदायिक एकता की भी अनूठी मिसाल पेश करता है।

इस आयोजन को एक दिन के आयोजन से बदलकर पांच दिन के दशहरा महोत्सव मेले के रूप में परिवर्तित किए जाने के विषय में क्लब संयोजक तनवीर जाफ़री का कहना है कि चूंकि रावण के पुतले के निर्माण में लगभग 8 महीने का समय लग जाता है। लिहाज़ा विजयदशमी के दिन ही पुतले को खड़ा कर उसी शाम पुतला दहन कर दिया जाना ऐसा प्रतीत होता था गोया 8 महीने की कड़ी मेहनत एक ही दिन में मात्र एक घंटे के आयोजन में स्वाहा कर दी गई हो। इसके अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष रावण के इस विशाल पुतले को देखने हेतु आने वाली जनता का भी यही मत होता था कि रावण के पुतले को विजयदशमी से कुछ दिन पहले ही दर्शनार्थ खड़ा कर दिया जाना चाहिए। लिहाज़ा इस आयोजन विशेषकर रावण के पुतले का दर्शन करने हेतु जनता की गहरी दिलचस्पी ने क्लब को इस बात के लिए बाध्य कर दिया कि रावण का यह विशाल पुतला विजयदशमी से 6 दिन पूर्व ही खड़ा कर दिया जाए। ज़ाहिर है इस विशाल पुतले के खड़े होने के पश्चात इसकी पृष्ठभूमि में पांच दिन तक चलने वाले विभिन्न मनोरंजक कार्यक्रमों का सिलसिला दशहरा महोत्सव मेले की शान में और इज़ाफा करेगा।

इस विषय पर क्लब के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिंद्र सिंह चौहान का कहना है कि उनका यह आयोजन देश में सांप्रदायिक सद्भाव एवं सामाजिक एकता की जो ख़ूबसूरत मिसाल पेश करता है उसकी दूसरी मिसाल देश में कहीं देखने को नहीं मिलती। चौहान के मुताबिक जिस प्रकार गणेश चतुर्थी को लेकर ऐसी खबरें सुनने को मिलती रहती हैं कि मुस्लिम कारीगरों द्वारा गणेश जी की प्रतिमाएं बनाकर देश के सांप्रदायिक सौहाद्र्र को मज़बूत किया जा रहा है। उसी प्रकार दुनिया के सबसे ऊंचे रावण के निर्माण में भी अपने मुस्लिम सहयोगियों की सक्रिय भागीदारी श्री रामलीला क्लब बराड़ा के लिए गर्व का विषय है। इस पुतले का निर्माण कर श्री रामलीला क्लब बराड़ा भी देश के सर्वधर्म संभाव के ढांचे को मज़बूत व सुरक्षित रखने में अपना अहम किरदार निभा रहा है।

क्लब के समस्त पदाधिकारियों को यह भी विश्वास है कि उनके इस कठोर परिश्रम के परिणामस्वरूप तथा तमाम बुराईयों के प्रतीक रूपी रावण के इस पुतले को अग्रि की भेंट किए जाने के बाद देश व समाज से भी एक न एक दिन बुराईयों व कुरीतियों का अंत ज़रूर होगा। चौहान के अनुसार ठीक उसी प्रकार जैसे कि रावण का पुतला प्रत्येक वर्ष कितना ही ऊंचा क्यों न होता जाए परंतु उसका अंतिम हश्र तो आग के हवाले हो जाना ही होता है। इस प्रकार दशहरा महोत्सव मेले का बराड़ा में 20 से लेकर 24 अक्तूबर तक चलने वाला पांच दिवसीय आयोजन हरियाणा में एक और पर्यटन केंद्र के रूप में अपना नाम दर्ज करने जा रहा है। आयोजकों का कहना है कि अपने क्लब की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर जिस मेले व मनोरंजन पूर्ण कार्यक्रमों की शुरुआत की जा रही है वह सिलसिला अब प्रत्येक वर्ष चलता रहेगा। और पांच दिवसीय मेला प्रत्येक वर्ष लगता रहेगा। इसी प्रकार रावण के विशाल पुतले की भी प्रत्येक वर्ष विजयदशमी से लगभग एक सप्ताह पूर्व खड़ा किए जाने की भी स्थायी योजना है। इस वर्ष दशहरा महोत्सव मेले की शुरुआत के अवसर पर मुंबई से एक फिल्म निर्माण कंपनी के सदस्य भी आ रहे हैं जोकि मेले के कुछ अंश रिकॉर्ड कर उन्हें शीघ्र ही बनने वाली एक फ़ीचर फ़िल्म

में स्थान देंगे। इस प्रकार कहा जा सकता है कि भविष्य में अंबाला का बराड़ा कस्बा भी दशहरा महोत्सव मेला आयोजन को लेकर हरियाणा के पर्यटन मानचित्र में अपना स्थान बनाने वाला है। सरकार, शासन-प्रशासन व आम जनता द्वारा ऐसे आयोजन को पूर्ण सहयोग व समर्थन दिए जाने की ज़रूरत है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here