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एहसास ‘आधुनिकता’ का - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
ऋषभ कुमार सारण थके हारे काम से आकर, एक कोरे कागज को तख्ती पे लगाया, मन किया कागज की सफेदी को अपने ख्वाबों से रंगने को, उंगिलया मन की सुन के चुपचाप लिखने लगी, और लेखनी भी कदम से कदम लाने लगी, पर दिमाग “डिक्शनरी” में लफ़्ज ढूंढ़ रहा…