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रिश्ते भी हो गये हैं व्यापार की तरह.... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
इक़बाल हिंदुस्तानी दावा तो कर रहे थे वफ़ादार की तरह , अब क्यों खड़े हैं आप ख़तावार की तरह। अफ़सोस मेरे क़त्ल में ऐसे भी लोग थे, आये थे घर मेरे जो मददगार की तरह । दौलत तमाम रिश्तों की चाबी है…