धर्म व संत समाज को कलंकित करते यह साधू वेशधारी

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निर्मल रानी

इसमें कोई संदेह नहीं कि जहां पुण्य के कार्य करना कुछ इंसानों की फितरत में शामिल होता है वहीं इस पृथ्वी पर तमाम ऐसे लोग भी हैं जो पाप और पुण्य के अंतर को नकारते हुए अपने सामान्य जीवन में तमाम आपराधिक व पापपूर्ण गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं। और पकड़े जाने पर निश्चित रूप से उन्हें अपने-अपने देशों में बने कानूनों के अनुसार सज़ा का सामना करना पड़ता है, प्रताडि़त होना पड़ता है या फिर समाज की नज़रों से ऐसे लोग गिर जाते हैं। बहरहाल सामान्य व्यक्ति अथवा आम आदमी द्वारा किया जाने वाला किसी प्रकार का अपराध आम लोगों का ध्यान अपनी ओर इतना आकर्षित नहीं करता जितना कि किसी अपराध में कोई विशेष व्यक्ति खासतौर पर साधू-संत, धर्मगुरु या किसी साधू वेशधारी का किसी अपराध में सम्मिलित होना।

पिछले कुछ समय से हमारे देश में इस प्रकार की खबरें गोया आम सी हो गई हैं जबकि किसी साधू वेशधारी या मठ अथवा डेरा प्रमुख को यौन अपराधों व सेक्स स्कैंडल में संलिप्त पाया गया हो। देश के चारों ओर आए दिन ऐसी खबरें अब बराबर सुनने को मिला करती हैं। चाहे टेलीविज़न के माध्यम से अपने प्रवचनों के द्वारा आम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला कोई बाबा हो या कोई गुमनाम सा संत वेशधारी। सभी स्तर के तथाकथित बाबाओं व साधू चोलाधारियों के द्वारा किसी न किसी यौन अपराधों में संलिप्तता का समाचार अक्सर आता रहता है। गत् वर्ष बैंगलौर के समीप स्थित एक मठ का संचालक स्वयंभू भगवान स्वामी नित्यानंद का नाम उस समय सुर्खियों में आया जबकि सन टीवी ने दो मार्च 2010 को उसकी सेक्स संबंधी एक अश£ील वीडियो अपने चैनल पर प्रसारित कर दी। इसके बाद कुछ लड़कियां इस तथाकथित ढोंगी बाबा के विरुद्ध उसके अय्याशी के किस्से उजागर करते हुए खुलकर सामने आ गई। इसके विरुद्ध अपराधिक मुकद्दमा दर्ज हुआ। और आखिरकार दूसरों को प्रवचन,उपदेश व संकट से निजात देने का वादा करने वाला यह ढोंगी व व्याभिचारी व्यक्ति पुलिस के चंगुल से स्वयं को बचाने के लिए दक्षिण भारतीय राज्यों को छोडक़र देश के दूसरे हिस्सों में अपना मुंह छिपाता फिरता रहा। आखिरकार हिमाचल प्रदेश के अर्की क्षेत्र में यह ढोंगी स्वामी नित्यानंद 21 अप्रैल 2010 को गिरफ्तार किया गया और पुलिस इसे यहां से बैंगलौर ले गई। नित्यानंद के झांसे में आई एक महिला ने बताया कि जिस समय वह उसके साथ रंगरेलियां मनाता था उस समय वह महिला से यह कहता था कि मैं कृष्ण हूं और तुम स्वयं को राधा समझो। धर्म को कलंकित करने वाले ऐसे कलयुगी संतों को किस प्रकार की सज़ा दी जानी चाहिए?

इसी प्रकार गत् वर्ष दिल्ली में राजीव रंजन द्विवेदी उर्फ इच्छाधारी संत उर्फ भीमानंद को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया। यह संतरूपी राक्षस देश-विदेश में सेक्स स्कैंडल का जाल बिछाए हुए था। यह बहुत हाईप्रोफाईल सेक्स रैकेट चलाता था तथा इसके नेटवर्क में तमाम अमीर घरों की लड़कियां व अमीरज़ादों व विशिष्ट व्यक्तियों के घरों के लोग जुड़े हुए थे। भीमानंद स्वयं को साईबाबा का भक्त बताता था। इसके नेटवर्क का हिस्सा बन चुकी कई लड़कियां अपने-अपने घरों से लापता हो गई थीं। इसने इंटरनेट पर अपने सेक्स रैकेट का जाल बिछा रखा था। इस प्रकार की गंदी व काली कमाई के पैसों से यह ढोंगी भीमानंद चित्रकूट में अपना एक बड़ा आश्रम भी बनवा रहा था। मीडिया में तो यहां तक खबरें आई कि इस अपराधी द्वारा चलाया जाने वाला सेक्स रैकेट देश में पकड़े गए अब तक के सभी सेक्स स्कैंडलों में सबसे बड़ा रैकेट था। ज़रूरत पडऩे पर यह पीले कपड़े धारण कर बाबा बन जाया करता था तो सेक्स व्यापार में अपना रूप बदलकर पैंट-शर्ट अथवा जींस-टीशर्ट आदि पहन कर ‘डील’ करने जाया करता था। कुल मिलाकर इसकी हरकतें इतनी शर्मनाक व हैरतअंगेज़ थीं कि इन्सानियत भी उससे शर्मसार हो जाए। भीमानंद ने सैकड़ों लड़कियों को अपने झांसे में लेकर उन्हें देहव्यापार में धकेल दिया तथा स्वयं उनकी कमाई से ऐश करता गया। यहां तक कि उसी कमाई के पैसों से संत आश्रम बनाए जाने तक की शुरुआत कर डाली। संत समाज को कलंकित करने वाले ऐसे लोग भला समाज को क्या रास्ता दिखा सकते हैं?

ताज़ातरीन घटना पंजाब के बुल्लोवाल के समीप नंदाचौर के एक धार्मिक डेरे में घटित हुई। यहां का डेरा संचालक तेजा सिंह अपनी सीधी-सादी भक्त महिलाओं को अपने जाल में फंसा कर उनके साथ रंगरलियां मनाया करता था। आखिरकार उसके पाप पर से उस समय पर्दा हट गया जबकि गांव के ही कुछ लोगों ने उसे एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में रंगे हाथों पकड़ लिया। उस समय उस तथाकथित संत की जनता ने जमकर धुनाई की तथा बाद में उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। इस डेरा संचालक तेजासिंह के कमरे में तमाम कामोत्तेजक दवाईयां भी बरामद की गई जिससे साफ ज़ाहिर होता है कि यह संतरूपी व्याभिचारी पेशेवर किस्म का अय्याश प्रवृति का दरिंदा था। परंतु यह अपने भक्तों से अपनी वेशभूषा चोले तथा धर्मस्थान के नाम पर उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करता रहता था।

इसी प्रकार धर्म के नाम पर ज्योतिष व तांत्रिक का जाल फैलाए हुए तमाम लोगों के इसी प्रकार के काले कारनामे अक्सर उजागर होते रहते हैं। बड़े-बड़े महानगरों से लेकर छोटे शहरों व $कस्बों तक में इन अपराधी व अय्याश किस्म के तांत्रिकों ने अपने जाल फैलाए हुए हैं। नि:संदेह यह आए दिन कहीं न कहीं किसी न किसी घटना को अंजाम देते रहते हैं। परंतु इनके काले कारनामे तभी उजागर हो पाते हैं जब या तो कोई भुक्तभोगी इन्हें बेनकाब करे या फिर समाज या इनके पड़ोस के किसी व्यक्ति की पैनी नज़रें इनकी काली करतूतों पर समय रहते पड़ जाएं और यह रंगे हाथों धर दबोचे जाएं। मिसाल के तौर पर पिछले दिनों दिल्ली में इसी प्रकार के एक तांत्रिक ने वशीकरण करने के नाम पर अपना नेटवर्क फैला रखा था। अपने पतियों अथवा पुरुष मित्रों को वश में किए जाने की लालच में जो महिलाएं इस तांत्रिक के जाल में फंसती थीं सर्वप्रथम यह तांत्रिक उन महिलाओं को ही अपने वश में कर लिया करता था। उसके बाद यह उनकी नग्न तस्वीरे खींचता व उनकी आपत्तिजनक वीडियो बनाता। उसके बाद उन्हें ब्लैकमेल करता रहता। जब ज़रूरत पड़ती तब वह अपने जाल में फंस चुकी महिलाओं से पैसे वसूलता तथा उनका शारीरिक शोषण करता। इस तांत्रिक ने इसी काली कमाई के बल पर दिल्ली में अपना एक आलीशान आफिस रूपी अड्डा भी बना लिया था।

दिल्ली में ही एक अन्य तांत्रिक भी महिलाओं के साथ उनका शारीरिक शोषण करने के आरोप में उस समय गिरफ्तार किया गया था जबकि वह उन परेशान महिलाओं को अपने जाल में फंसा लेता था जो महिलाएं उसके पास अपनी पारिवारिक परेशानियों का समाधान कराने हेतु या अपने पति के कारोबार की उन्नति की मनोकामना लेकर उसका उपाय जानने हेतु तांत्रिक के पास आया करती थीं। यह तांत्रिक भी न केवल ऐसी महिलाओं से शारीरिक संबंध स्थापित करने का प्रयास करता बल्कि वह इनसे धन लाने को भी कहा करता था। इस प्रकार की घटनाएं पूरे देश के लगभग सभी प्रांतों से समय-समय पर सुनाई देती हैं। सवाल यह है कि इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने वाले उन लोगों के साथ सरकार व कानून को कैसे पेश आना चाहिए जोकि अपने ‘धर्म उद्योग’, मठ, धर्मस्थान, धार्मिक डेरा, आश्रम, ज्योतिष व तांत्रिक विद्या आदि की आड़ में बड़ी आसानी से साधारण लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हो जाते हैं तथा उनके संपर्क में आने के बाद अपने गुप्त एजेंडे पर चलते हुए कभी किसी महिला को ब्लैकमेल कर उनसे धन मांगने लगते हैं, किसी का सोना व आभूषण ठग लेते हैं, किसी की नग्रावस्था में फोटो खींच लेते हैं या उसकी अश£ील वीडियो बना डालते हैं। महिलाएं इनके धार्मिक चोले व इनके ढोंगी रूप व साज-सज्जा को देखकर इनकी ओर विश्वास करते हुए आकर्षित हो जाती हैं परंतु उन्हें शारीरिक शोषण के दौर से गुज़रना पड़ता है, आख़िरकार विश्वास के नाम पर विश्वासघात किए जाने वाले इन लोगों को हमारे देश का कानून कैसी सज़ा दे।

यदि हम बाबा रामदेव की मानें तो ऐसे संतरूपी भेडिय़ों को तो फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। निश्चित रूप से हमारा समाज एक धर्मपरायण समाज है। इस समाज के अधिकांश लोग डेरों, चोलों व धर्मस्थान आदि से प्रभावित हो जाया करते हैं व इसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। ऐसे स्थानों के संचालकों,गद्दीनशीनों व प्रमुखों पर भी आम लोग मजबूरीवश, परेशानीवश या आस्थावश पूरा विश्वास करने लग जाते हैं। अब यदि समाज के इन सीधे-सादे व अबोध लोगों को अपने मोहजाल में फंसा कर इस प्रकार के ढोंगी धर्माधिकारी उनके साथ दुराचार करें या उन्हें ब्लैकमेल करें अथवा किसी अन्य प्रकार का अनैतिक कार्य करें तो यह निश्चित रूप से न केवल किसी भक्त के साथ किया गया विश्वासघात है बल्कि वास्तविक धर्म व धर्मगुरुओं व सच्चे संतों को भी कलंकित करने व उनकी शान में बट्टा लगाने का जानबूझ कर किया जाने वाला कार्य है। अत:इस विषय पर बाबा रामदेव के विचारों का समर्थन किया जाना चाहिए तथा निश्चित रूप से ऐसे दुराचारी,ढोंगी लोगों को फांसी के तख्ते पर ही लटका दिया जाना चाहिए।

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