मुस्लिम सांसद के लिये देश से बढ़कर धर्म

बड़े दुःख की बात है कि उत्तर प्रदेश के संभल (जिला मुरादाबाद) से बहुजन समाज पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क लोकसभा स्थगित होने के समय ‘‘वंदेमातरम्’’ की धुन बजने के दौरान उठकर चले गये। शफीकुर्रहमान बर्क ने 1997 में स्वतंत्रता दिवस के गोल्डन जुबली समारोह के वक्त भी ऐसा किया था। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा इस पर कड़ी चेतावनी देने के बाद बर्क ने कहा ‘‘मैं चेतावनी को मानने से इंकार करता हूं क्योंकि मैं ‘‘वंदेमातरम्’’ को इस्लाम के खिलाफ मानता हूं तथा इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। भविष्य में भी मैं ऐसा करने से परहेज नहीं करूंगा।’’
श्रीमान बर्क साहब देश को यह बताने का कष्ट करेंगे कि ‘‘वंदेमातरम्’’ में ऐसा कौन सा वाक्य या लाईन है जो इस्लाम का विरोध करती है। सांसद महोदय यदि वंदेमातरम् इस्लाम विरोधी है तो आप इस देश में क्या कर रहे है आपको तो पाकिस्तान में होना चाहिए था। आपके अनुसार यदि वंदेमारम् इस्लाम विरोधी है तो आप भारत माता की कोख से उत्पन्न अन्न क्यों खाते है! भारत माता की संतानों द्वारा दी गई वोटों से ही चुनकर आप सांसद बने हैं।
आप के अनुसार वंदेमातरम् इस्लाम विरोधी है तो उसका गान करने वाला सारा देश भी इस्लाम विरोधी हुआ। तो बर्क साहब आप चैथी बार संसद सदस्य बनकर भी इस्लाम को देश से बड़ा क्यों मान रहे हो। वंदेमातरम् गीत की विशेषता है कि यह गीत हिन्दू-मुसलमान का भेदभाव नहीं करता, मन्दिर-मस्जिद जाओ या न जाओ, यह धरती जिस पर तुम रहते हो, जिसका पानी पीते हो है एवं अन्न-फल खाते हो उसे अपनी माँ तो मानो, धरती को माँ मानने में न तो हिन्दू धर्म बाधक है न इस्लाम। गीत के रचियता बंकिमचन्द्र जी ने इस गीत के माध्यम से दलित, पिछडे आदि सभी वनवासियों को भी मातृभूमि से जोड दिया था।
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा बहन मायावती ने भी अपनी पार्टी के सांसद द्वारा किए गए इस कुकृत्य पर कोई भी टिप्पणी नहीं की। मायावती जी किस आधार पर अपने आपको भारत माता की बेटी कहती है। जबकि उनकी पार्टी का सांसद वंदेमातरम को इस्लाम का विरोधी बताता है। मायावती जी को अपने इस सांसद को तुरन्त अपनी पार्टी से निकाल देना चाहिए यदि वे ऐसा नहीं करती है तो उनके लाखों प्रशंसक यह सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि कौन साम्प्रदायिक है?
इस प्रकार के कट्टर साम्प्रदायिक लोगों का हमारी संसद में होना देश का अपमान है। ऐसे लोग समय-समय पर अपनी धर्मान्धता का प्रदर्शन करके ही साम्प्रदायिकता फैलाते है। ऐसे ही लोग जो वास्तविक साम्प्रदायिक होते हैं अपने आप को धर्मनिरपेक्ष कहते है। यह कैसी विड़म्बना है कि अपने धर्म के लिए राष्ट्रगीत का अपमान करो और देश से बढ़कर धर्म को मानो, परन्तु धर्मनिरपेक्षता का झूठा प्रचार करके सरकार पर दबाव बनवाकर विभिन्न योजनाओं द्वारा केवल मुसलमानों को लाभ पहुंचाकर साम्प्रदायिकता को बढ़ाते रहो।
देश की जनता को धर्मनिरपेक्षता व साम्प्रदायिकता के अंतर को समझना होगा। आज देश का अपमान करने वालों को धर्मनिरपेक्ष व राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा करने वालों को साम्प्रदायिक बताकर झूठा प्रचार करने वालों को भी अपनी-अपनी कार्य प्रणाली में सुधार लाना होगा।

विनोद कुमार सर्वोदय

1 COMMENT

  1. यही है इस देश का सैक्युलरिज़म, इसे सहा जाता है और हिंदुत्व की बात करना भी इस सैक्युलरिज़म मे मना है  बात करेगा वो राजनैतिक अछूत हो जायेगा, उसे सत्ता से दूर रखने के लियें कोई भी पार्टी किसी भी पार्टी से गठबंधन कर लेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here