फिल्म ‘सरकार 3’ की समीक्षा

डायरेक्टर:– रामगोपाल वर्मा
स्टार कास्ट:—सरकार 3 में अमिताभ बच्चन के साथ मनोज बाजपेयी, यामी गौतम, अमित साध और जैकी श्रॉफ और रोहिणी हथनगाडी मुख्य भूमिका में हैं| फिल्म ‘काबिल’ में बेहतरीन अभिनय कर तारीफ बटोरने वाली यामी गौतम इस फिल्म में काफी एग्रेसिव रोल में हैं |
अवधि: 2 घंटा 12 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 3 स्टार

इस फिल्‍म की शुरुआत सुभाष नागरे यानी सरकार के हाथ हिलाने से शुरू होती है और जनता, सरकार के नारे लगा रही है. यानी फिल्म के पहले ही दृश्य में यह साफ हो जाता है कि यह सरकार जनता का मसीहा है. पहली दोनों फिल्मों में सुभाष नागरे के बेटे शंकर की भूमिका में अभिषेक बच्चन थे जो तीसरे भाग में नहीं हैं क्योंकि दूसरी सरकार में शंकर की हत्या कर दी गई थी. ‘सरकार 3’ में एक्‍टर अमित साध, सुभाष नागरे के पोते की भूमिका में नजर आए हैं जो सुभाष नागरे के बड़े बेटे विष्णु का बेटा है. विष्णु की हत्या पहली सरकार में ही कर दी गई थी |

फिल्म की कहानी —– सरकार (अमिताभ बच्चन) और उसके एकक्षत्र साम्राज्य की तरफ आकर्षित करती है, कहानी में सरकार का पोता शिवाजी नागरे (अमित साद) वापसी करता है और सरकार के काम करने के स्टाइल पर पैनी नजर रखता है. शिवाजी की गर्लफ्रेंड अनु (यामी गौतम) अपने पिता की मृत्यु का बदला सरकार से लेना चाहती है और उसके लिए शिवाजी की मदद लेना चाहती है. सरकार के काफी करीबी गोकुल (रोनित रॉय) और गोरख (भरत दाभोलकर) कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिसकी वजह से कहानी में बहुत सारे ट्विस्ट टर्न्स आते हैं, साथ ही नेता देशपांडे (मनोज बाजपेयी) और बिजनेसमैन माइकल वाल्या (जैकी श्रॉफ) की एंट्री होती है. वाल्या को सरकार और उसकी नीतियों से सख्त नफरत है, जिसकी वजह से वह सरकार के साम्राज्य को तहस-नहस करना चाहता है. क्या वह इस मंसूबे में कामयाब हो पाता है?

हर बार हम आपको फिल्‍म की खामियों और खूबियों के बारे में बताते हैं ताकि आप यह तय कर सकें कि आपको फिल्‍म देखनी है या नहीं, तो इस बार भी हम आपको बता रहे हैं इस फिल्‍म की कुछ खामियां और कुछ खूबियां. सबसे पहले फिल्म की अच्छाइयों की बात करें तो फिल्म के हर एक फ्रेम पर अमिताभ बच्चन का कब्‍जा है और इस बार भी निर्देशक रामगोपाल वर्मा ने अच्छे से सरकार के रुतबे को दिखाया है. कैमरा वर्क अच्छा है जिसमें अच्छे-अच्छे क्लोजअप और किरदारों के हावभाव को शूट किया गया है और यही इस फ्रेंचाइजी की विशेषता भी रही है. ‘गोविंदा-गोविंदा’ गाने को बेहतरीन तरीके से बैकग्राउंड म्यूजिक की तरह इस्तेमाल किया गया है. फिल्म का दूसरा भाग अच्छा है और अच्छे ट्विस्ट एंड टर्न्स हैं.

फिल्म की कमजोर कड़ियां —
—फिल्म की कहानी काफी प्रेडिक्टेबल सी है, जिस पर और भी ज्यादा काम किया जा सकता था. वहीं बहुत सारे सीन्स काफी ड्रैग किए हुए लगते हैं, जिन्हें छोटा करके फिल्म को और क्रिस्प बनाया जा सकता था.
—फिल्म का स्क्रीनप्ले बेहद कमजोर है, जिसकी वजह से कोई भी किरदार सम्पूर्ण नहीं हो पाया है, और कुछ ना कुछ कमी हरेक सीन में है. सीन्स और बेहतर हो सकते थे.
–फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर काफी लाउड है, जिसकी वजह से एक वक्त के बाद काफी शोरशराबा जैसा लगने लगता है.
— इसके अलावा फिल्‍म की कुछ कमजोरियों पर नजर डालें तो पहली दोनों फिल्मों की ही तरह इस फिल्म में भी जानता की भलाई के लिए सरकार काम करना चाहते हैं और जनता से जो भी धोका करे उसके खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं मगर ‘सरकार 3’ का प्लॉट थोड़ा भटका हुआ नजर आता है. पहली दोनों फिल्मों में फिल्म की रफ्तार अच्छी थी और किरदारों को अच्छे से गढ़ा गया था, लेकिन इस फिल्‍म में ऐसा नहीं नजर आया है. फिल्म में बड़े-बड़े दृश्य और लंबे-लंबे संवाद फिल्म को कमजोर बनाते हैं. फिल्म का पहला भाग खास तौर से कमजोर है.

करीब 9 साल बाद आया रामू की फिल्‍म का तीसरा भाग ‘सरकार 3’ पहली दोनों फिल्मों से थोड़ी कमजोर पड़ती है मगर इस फिल्म के क्लाइमेक्स ने फिल्म को मजेदार बनाया है, इसलिए ‘सरकार 3’ के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार ||

जानिए आखिर फिल्म को क्यों देख सकते हैं..??
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने उम्र के हिसाब से सरकार के किरदार में हुए परिवर्तन को स्क्रीन पर बखूबी दर्शाया है, और अपनी आवाज में भी एक बदलाव किया है, जो काफी सराहनीय है. समय के साथ-साथ सरकार का पोता यानी चीकू भी बड़ा हुआ है जिसे अमित साद ने अच्छा निभाया है. वहीं जैकी श्रॉफ, रोनित रॉय, रोहिणी हथनगाडी और यामी गौतम का काम भी सहज है. मनोज बाजपेयी ने भी अपनी पात्र को उम्दा ढंग से निभाया है. बाकी सभी कलाकारों का काम बढ़िया है. तो अगर आप इन एक्टर्स के दीवाने हैं, तो एक बार जरूर देख सकते हैं. अन्यथा टीवी पर आने तक का इंतजार कर सकते हैं.

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