अनामिका घटक की कविता – नि:शब्द

खामोश हम तुम

बात ज़िन्दगी से

आँखों ने कुछ कहा

धड़कन सुन रही है

धरती से अम्बर तक

नि:शब्द संगीत है

मौसम की शोखियाँ भी

आज चुप-चुप सी है

गीत भी दिल से

होंठ तक न आ पाए

बात दिल की

दिल में ही रह जाए

जिस्मों की खुशबू ने

पवन महकाया है

खामोशी को ख़ामोशी ने

चुपके से बुलाया है

प्यार की बातों को

अबोला ही रहने दो

नि:शब्द इस गूँज को

शब्दों में न ढलने दो

प्यार के भावो को

शब्दों में मत बांधो

चुपके से इस दिल से

संगीत का स्वर बांधो

स्वर ही है इस मन के

भावों को है दर्शाती

प्यार जो चुप चुप है

जुबां से निकल आती

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here