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आदर्श परिवार निर्माण में युवाओं की भूमिका - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. मनोज चतुर्वेदी भारतीय संस्कृति में ही अपना कुटुंब है कि अवधारणा रही है, पर पाश्चात्य संस्कृति ने यौन संबंधों द्वारा पति-पत्नी, पुत्र, पुत्री को ही परिवार माना है। यह कहां तक सही है, इस पर विचार करने की जरूरत है। क्या स्वयं में 'मैं' ही परिवार हूं? क्या पुरूष…