अपनी हीं जमीं पर ज़ंग

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कुशल सचेती

” नाकाम खुफिया तंत्र, पिलपिला नेतृत्व,
कमजोर राष्ट्र, लचर सुरक्षा व्यवस्था,
आतंकवादियों के लिए साफ्ट टारगेट,
सपनों की नगरी मुम्बई दहशत के साये में | ”

देश की आर्थिक राजधानी को आंतकवादेयों ने जिस तरह निशाना बनाया और जिस तरह भारतीय सेना, नॉसेना और एनएसजी के कमांडो ने अपना आपरेशन किया, उससे स्पस्ट है कि आतंकवादी संगठनों की साजिश कितनी खतरनाक हैं कि पिछले तीन दिन से अपने ही देश की जमीन पर आतंकवादियों को खदेडने के लिये हमें आमने- सामने की जंग लडनी पड रही हैं | सीमओं की रक्षा करते, दुश्मनों के छक्के छुडाते जवान शहीद हो जाये तो उनकी शह ादत न केवल राष्ट्रवासियों बल्कि उनके परिज़नों के लिये गर्व का विषय होती है, लेकिन पाकिस्तान से आंतकवादी नोकाओ के जरिये हथियारो का ज़खीरा ले आए और अति व्यस्त महानगर को बंधक बना कर रख दें आउर हमारे जंबाज़ पुलिस अधिकारीयों को गोली का निशाना बना डालें, भले ही आतंकवादियों से जूझते पुलिस अधिकारिओं की मौत देश के लिए शहादत है | राष्ट्र ऐसे जांबाज अदिकारियों को नमन करता है परंतु मुम्बई पर हमला अपने कमज़ोर सुरक्षा तंत्र का जीता-जागता प्रमाण है | इस हमले ने दिलों को दहला कर रख दिया है |

भारत की अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न करने के लिए आतंकवादियों की साजिश काफी गहरी है | पिचले महीनों देश के बडे शहरो कि निशाना बनाया जा रहा है | कभी दिल्ली को बमों की तपिश झेलनी पडती है, कभी जुज़रात के अहमदाबाद और सूरत को, कभी पूर्वोतर भारत में बम धमाके होते है तो कभी बैगलुरु में | मुम्बई के हमले के तार सीधे पाकिस्तान से जुडे है फिर भी शांति वार्ताए जारी है | मुम्बई पर हमला उस समय हुआ जब पाकि स्तान के विदेश मंत्री भारत में थे |और हमलें से कुछ समय पूर्व ही दिल्ली में विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी के साथ संयुक्त संवददाता सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे | यह कैसी वार्ताए है जिसमे केवल शांति, प्रगती का राग अलापा जाता है | उधर पाकिस्तान की ज़मीन का इसस्तेमाल भारत के विरुध्द षडयंत्र रचने के लिए पिछले कई वर्षो से किया जा रहा है और भारत असहाय हो कर देखता रहता हैं |

प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने एक बार फिर पाकिस्तान का नाम लिये बिना चेतावनी दे डाली कि इस हमलें की जड विदेश में है और आतंकवादियों को मुंहतोड ज़वाब दिया जायेगा | गृहमंत्री का पुराना रटा-रटाया बयान कि आतंकवादी हमलें की सूचना पहले ही खूफिया त&त्र ने दे दी थी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार इससे इंकार करती है | प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि आतंकवाद से जूझने के लोए टास्क फोर्स का गठन किया जायेगा औए अब कह रहे हैं कि आतंकवाद पर काबू पाने के लिये मौजूदा कानून को और कडा किया जाएगा |

” मेरे देश की नाव के के नाखुदाओं,
सजग रहबरो सिर्फ इतना बताओं,
यह ज़लता मुम्बई क्या कह रहा है,
निर्दोषों का खून क्यों बह रहा हैं,
ये जंगल के कानून किसके लिए हैं,
व्यवस्था के नाखून किसके लिए है | ”

देश पर सबसे बडे हमले के बाद देश की आम भावनाएं यही है कि व्यवस्था के नाखून केवल देशवासियों पर ही इस्तेमाल किए जा रहे है | सांपों को दूध पिलाया ज़ा रहा है, जिनके अंदर विष भरी थैलियां छिपी हुई है |

सबसे अहम सवाल यह है कि इतनें बम धमाकों के बावजूद यदि खुफिया तंत्र को हमलें की पूर्व सूचनाएं थी तो हथियारों का ज़खीरा मुम्बई में आया कैसे | आतंकवादियों ने पहले ही पांच सितारा होटलों में अपना संचार नेट वर्क बना रखा था | एक ही रात में 11 जगह हमलें और खुलेआम आतंकवादियों ने जिस तरह पुलिस वाहन को हाइजैक कर हिंसा का तांडव किया, उससे आम आदमी का मनोबल काफी गिरा है |

18 पुलिसकर्मियों की मौत इस बात का सीधा संकेत देती है कि मुम्बई में हमलों का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा तंत्र सज़ग और मज़बूत नहीं था | आज़ राष्ट्र और राज़नीतिज्ञों को सोचना होगा के देश पर आपात हमलों का मुकाबला करने के लिए किस तरह की रणनीति की जरुरत है | गुज़रात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने कि इच्छाशक्ति का अभाव है | पता नहीं हमारे प्रधानमंत्री व सरकार की इच्छाशक्ति कब जागेगी |

दहशतगर्दों ने किया, मुम्बई को भयभीत !
निर्दिषों की मौत, ये कायरता की ज़ीत,
जिंदगी कभी न हारी !
हिम्मत है मन में, तो ज़ंग रहेगी ज़ारी !
संकल्पों में द्रढता का, इतिहास बनायें !
बलिदानी हिम्मतवाला, विश्वास ज़गाएं !!

फांसी उनके नाम करों

”हिंदू आतंकवाद शब्द य बोलते,
शर्म न तुमको आती है !
गोरवमयी इतिहास कलंकित करते,
जीभ नहीं लज़ाती है !
उनको आतंकवादी बतलाते,
चीटीयों को जो जीमाते है !
दुश्मन यदि घर आ जाये,
उसको भी गले लगाते है !
जिनका अपराध सिध्ध वर्षों से,
पहमे फांसी उनके नाम करों !
स्वार्थ और तुष्टीकरण के लिए,
न अपने कुल को बदनाम करों !!”

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