सचिन से महान हैं सहवाग

शादाब जफर शादाब

दुनिया की हर मां अपने बच्चे को और दुनिया का हर बच्चा सचिन बनना चाहता है। वही हमारे देश में जब भी क्रिकेट की बात होती है सचिन और सुनील गावस्कर में कौन महान है सदैव इस पर ही चर्च होती है। बात क्रिकेट के भगवान की होती है तो सब से पहले सचिन का नाम लिया जाता है। लेकिन क्रिकेट के दिवानो, क्रिकेट के चाहने वालो, क्रिकेट को ओढने वालो, क्रिकेट को बिछाने वालो और क्रिकेट को खाने पीने वालो के बीच अब एक नही बहस होनी चाहिये कि आखिर सचिन और सहवाग में कौन महान है, कौन इन दोनो में वास्तव में क्रिकेट का भगवान है। क्यो कि इंदौर में वेस्ट इंडीज के खिलाफ चौथे एक दिवसीय क्रिकेट मैच में अपने तूफानी दोहरे शतक के बाद सहवाग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट में जो चमत्कार किये, अपने और देश के लिये कई उपलब्धियंा हासिल की, उस महान सहवाग के बारे में बिना पक्षपात किये हम सब को सोचना होगा। विरेन्द्र सहवाग ने जिस प्रकार से विश्व क्रिकेट मैं सर्वाधिक 219 रन बनाने का रिकार्ड और खिताब भारत की झोली में डालकर भारत को विश्व क्रिकेट में जिस प्रकार अमर किया वो कोई छोटा मोटा रूतबा नही बहुत बडा सम्मान है। क्रिकेट के कुछ पुरोधा, खेल और सचिन प्रेमियो को ये बात जरूर खल सकती है पर क्रिकेट के उस मौसम मैं जब सचिन के चाहने वाले सचिन तेंदुलकर के महाशतक पूरा होने की आस लगाये बैठे हो, मन में महाशतक पूरा न होने की कसक के साथ जी रहे हो ऐसे मैं सहवाग के बल्ले से रनो की कीर्तीमानी बारिश हो और क्रिकेट के बुखार से सारा देश तपने लगे, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, देश की संसद, सचिन सहित देश और विदेश के नये पुराने क्रिकेट्र एक सुर मैं सहवाग की प्रसंशा करने पर मजबूर हो जाये तो यकीनन देश के क्रिकेट प्रेमियो को सहवाग और उस के खेल की प्रसंशा जरूर करनी चाहिये। क्रिकेट के सच्चे प्रषंसको को ईमानदारी से कुछ सवालो के जवाब ढूंढने चाहिये। कानपुर, मुम्बई, राजकोट और अब इंदौर की चार बड़ी पारियो के बाद भी क्रिकेट प्रेमियो की निगाह मैं आखिर अब तक सचिन जैसी छवि सहवाग की क्यो नही बन पाई मुझ जैसे क्रिकेट प्रेमी को बार बार सोचने पर मजबूर करती है। और मेरे मन मैं ये सवाल तभी से निरंतर उठते रहते है जब से सहवाग क्रिकेट खेल रहे है। मेरे साथ ही मुझ जैसे तमाम क्रिकेट प्रेमियो को सहवाग की इंदौर की पारी देखकर शिद्दत के साथ ये महसूस होने लगा है कि अब सहवाग के खेल की तुलना सचिन के खेल से जरूर होनी चाहिये।

सहवाग द्वारा 219 रनो की इंदौर में खेली गई नायाब पारी से एक तरफ जहां एकदिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर का कीर्तीमान जहां उन के नाम हो गया, वही अंतरराष्ट्रीय वन्डे क्रिकेट मैं सब से तेज दोहरे शतक की उपलब्धि भी उन्ही के नाम के साथ जुड़ गई। सहवाग के खेल की ये खासियत है कि वो हर बार अपना स्वभाविक ही खेल खेलते है, विस्फोटक बल्लेबाजी करते है और मैदान पर टिक जाने के बाद भारत के लिये एक बड़ी पारी खेलते है। क्रिकेट के लगभग हर दिवाने को मुल्तान मैं सहवाग की 309 रनो वाली वो पारी याद होगी जिस के बाद सहवाग को क्रिकेट प्रेमी मुल्तान का सुल्तान के नाम से आज तक पुकारते है। सहवाग 295 रन पर खेल रहे थे वह 300 रन और क्रिकेट में भारत के लिये एक इतिहास 300 रन बनाने वाले पहले बल्ल्ेबाज रहे थे मैच देख रहे दर्शको पर बला का दबाव टेंशन था। ऐसे मैं यदि और कोई बल्लेबाज या खुद सचिन होते तो वो इस मील के पत्थर तक पहॅुचने के लिये वो एक एक रन का सहारा लेता, वैसे सचिन को ऐसे मौको पर देखा भी गया है कि वो एक एक रन लेकर सावधानी पूर्वक अपना शतक पूरा करते है। लेकिन वीरू तो वीरू ठहरे उन्हे किस का डर, उन्हे तो अपना खेल खेलना है दर्शको का भरपूर मनोरंजन करना था। इसी लिये 295 रनो के स्कोर पर खेलते हुए उन्होने एक छक्का मारा और एक झटके मैं 300 का आंकडा पार कर लिया। न कोई डर न कोई खौफ न कोई टेंशन, क्रिकेट की दुनिया मैं आज केवल एक ही ऐसा बल्लेबाज है जो दोहरा और तीसरा शतक लगाते वक्त क्रिकेट के रोमांच को कायम रखने के लिये फिदायीन हो जाता है और वो और कोई नही सिर्फ और सहवाग है।

यू तो क्रिकेट मैं हर रोज कीर्तीमान बनते और टूटते रहते है। कीर्तिमानो का मतलब ही टूटना और फिर कायम होना होता है। लेकिन सहवाग के अब तक के पूरे क्रिकेट कैरियर पर यदि ईमानदारी के साथ नजर डा़ली जाये तो साफ साफ क्रिकेट के इतिहास के सुनहरे पन्नो पर ये लिखा मिलता है कि जब जब ये बल्लेबाज अपनी फार्म में होता है तब तब इसे रोकना दुनिया के किसी भी गेंदबाज के बस मैं नही होता है। ये ही वजह है कि आज भी टेस्ट और वन्ड़े क्रिकेट मैं सर्वश्रेष्ट व्यक्तिगत स्कोर क मामले मैं सचिन नही, सहवाग षिखर पर बैठे है। मुम्बई मैं श्रीलंका के खिलाफ उन के द्वारा खेली गई 319 रनो की पारी और वन्ड़े में वेस्ट इंड़ीज के खिलाफ उन के द्वारा खेली गई 219 रनो की नायाब पारी क्रिकेट के इतिहास के पन्नो पर सहवाग के नाम से दर्ज है जिसे न तो भारत के लिये कभी महान सुनील गवास्कर क्रिकेट के स्कोर बोर्ड पर अंकित करा पाये और न ही क्रिकेट का भगवान कहलाये जाने वाले सचिन के नाम कभी ऐसा प्रर्दशन दर्ज हो सका। इस के बाद सवाल ये भी उठता है कि भारत का ऐसा कौन सा बल्लेबाज है जिसने अपने बूते भारत को हारते हुए मैच जीता दिये वो कौन सा बल्लेबाज है जो खेलता है तो टीम इंड़िया का स्कोर 50 ओवर मैं सिर्फ 149 गेंदो मैं 25 चौको और 7 छक्को के साथ 418 पहॅुच जाता है। दुनिया मे। कौन सा ऐसा बल्लेबाज है, जा 36वें ओवर में 146 रनो पर खेल रहा होता है, तो लगता है कि आज वो खुद 250 रन बनाएगा और टीम इंड़िया स्कोर 50 ओवर में 500 रन होगा। दुनिया का कौन सा ऐसा शतकवीर है, जिस के बारे मैं जिस का विस्फोटक, दमदार खेल देखकर आज क्रिकेट के पंडित कहने पर मजबूर है कि वह एक दिन एकदिवसीय क्रिकेट मैं भी 300 रन बहुत जल्द बनायेगा। आखिर क्या वजह है कि हर क्रिकेट प्रेमी, महान क्रिकेट खिलाडियो और क्रिकेट के पंडितो को क्रिकेट के सररे कायदे-कानून से अलग इतना विश्वास आज इन सब को क्यो और किस लिये विरेंद्र सहवाग पर है, यकीनन सहवाग के खेल, उस की खेल भावना और क्रिकेट के प्रति उस के विश्वास, कडी तपस्या और साधना के कारण।

मैं मानता हॅू कि कभी भी किसी भी खिलाड़ी की किसी भी खिलाडी से तुलाना नही कि जानी चाहिये क्यो कि सब ने वक्त के हिसाब से अपने अपने खेल से भारत का नाम रोशन किया पर यदि किसी खिलाड़ी के साथ नाइंसाफी होती है तो मन को मलाल जरूर होता है वो उस खिलाड़ी के प्रति जिसने हमेशा देश का नाम रोशन किया क्यो कि भारत टेस्ट में एक पारी में सर्वाधिक 726 रन बनाता है तब सहवाग का नाम आता है क्यो कि इस में भी सहवाग के 293 रन होते है। ट्वंटी-20 मे। भारत का जब सब से बडा स्कोर 218 और 211 बनता है तो दोनो ही बडे स्कोर मैं में सहवाग के बल्ले का जादू दिखता है यानी 218 में सहवाग 68 और 211 में सहवाग के 64 फिर ऐसे महान बल्लेबाज को आखिर किस लिये नजर अंदाज़ कर दिया जाता आखिर क्यो सचिन की तरह सहवाग को क्रिकेट का भगवान नही कहा जाता, क्यो सहवाग को मास्टर बलास्टर नही कहा जाता क्यो सचिन की तरह देश के क्रिकेट प्रेमियो द्वारा पूजा नही की जाती। जब कि सहवाग ने हमेशा सचिन से ज्यादा, सचिन से अच्छा क्रिकेट खेला है। फिर आखिर क्यो किस कारण सहवाग एक महान क्रिकेटर, बेमिसाल बल्लेबाज देश और देश के क्रिकेट प्रेमियो की नाइंसाफी और बेरूखी का शिकार है।

4 COMMENTS

  1. सचिन और सहवाग दोनों ही महान खिलाड़ी हुए है। इन दोनों की तुलना करना गलत है, सहवाग सचिन को अपना गुरु मानते है, और सचिन और सहवाग भारत के महानतम ओपनर्स है।सचिन संसार के सबसे महान बल्लेबाज़ों में से जाते है तो सहवाग संसार के सबसे आक्रामक बल्लेबाज़ों में से एक है दोनों के खेलने का तरीका अलग है इसीलिए इनकी तुलना करना ठीक नहीं है।

  2. सहवाग को कभी भी सचिन से दोयम नहीं समझा गया. लेकिन सचिन हमेशा ही अपनी टीम स्पिरिट , बेहतर खेल के साथ विरोधी खिलाडियों के साथ बेहतर तालमेल के कारण सहवाग ही नहीं बाकी खिलाडियों से महान माना जायेगा. सचिन हमेशा ही दूसरी टीमो के लिए सिरदर्द रहा इसका सबूत उसका रिकॉर्ड है. इसी लिए एक खिलाडी के रूप में वो ग्रेट है.

  3. अनावश्यक विवाद पैदा करने कि कोशिश नहीं करनी चाहिए। सचिन और सहवाग की कैसी तुलना? स्वयं सहवाग सचिन को अपना गुरु मानते हैं। दोनों महान खिलाड़ी हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से दोनों को समान प्यार करता हूं। कभी मेरे मन में यह विचार आया ही नहीं कि दोनों में कौन महान है। इस तरह का लेख न सिर्फ प्रशंसकों को दो खेमों में बांटता है, बल्कि खिलाड़ियों में भी वह भावना भरता है जिसे स्पोर्ट्स्मैन स्पिरिट नहीं कहा जा सकता। किसी भी लेखक को अपनी जिम्मेदारी का एहसास जरुर होना चाहिए। इस लेख को कम-से-कम लोग पढ़ें तो ज्यादा अच्छा हो। सहवाग और सचिन न पढ़ें, तो सबसे अच्छा।

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