तुष्टीकरण की नीति से भगवा आतंकवाद का भय

डॉ. सूर्य प्रकाश अग्रवाल

केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के द्वारा भगवा आतंकवाद देश में फैलने का भय व्यक्त किया गया है। केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम को ऐसा आभास हो गया है कि 62 वर्ष के देश की स्वतंत्रता के जीवन में जिस प्रकार कांग्रेस सहित अनेक छोटे-मोटे राजनीतिक दलों के राजनेताओं के द्वारा अल्पसंख्यक तुष्टीकरण (विशेष कर मुस्लिम तुष्टीकरण) का पौधा सींचा गया है उससे बहुसंख्यक समाज में रोष का उत्पन्न होना स्वाभाविक है। यहीं रोष केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम्् को भगवा आतंकवाद के रुप में परिलक्षित हो रहा है।

यह तो उन्हें भी ज्ञात है कि भगवा रंग हमेशा से ही आतंकवाद का नहीं बल्कि शौर्य, राष्ट्रीयता और त्याग का प्रतीक रहा है। क्या केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम्् यह कह सकते है कि चूंकि भगवा रंग आतंकवाद का प्रतीत है, तो इस रंग को भारत के राष्ट्रीय ध्वज से निकाल देना चाहिए। वर्ष 1947 से पहले भी जब कांग्रेस देश को आजाद कराने के लिए अन्य देशवासियों के साथ अंग्रेजो से लड रही थी तब भी कांग्रेस की झंडा समिति ने भगवाध्वज को राष्ट्रीय ध्वज बनाने की सिफारिश की थी। भगवा रंग की पोशाक संत व साधु धारण करते हैं। यह रंग भारत में हमेशा से ही पूज्यनीय व शौर्य का प्रतीक रहा है। अतः आम भारतीय नागरिक भगवा रंग के प्रति अगाध श्रध्दा रखता है।

वर्तमान में लगता है कि केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम्् स्वंय को देश में बहुसंख्यक अर्थात् हिन्दुत्व विरोधी लॉबी के पुरोधा समझे जाने की गलत फहमी में रह रहे है। वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दुत्व, हिन्दु, हिन्दु संस्कृति व भगवा रंग को बदनाम कर इन सब को आतंकवाद से जोड़ने की राजनीतिक चाल चली जा रही है। क्योंकि आज संपूर्ण विश्व में मुस्लिम आतंकवाद सभी देशों के लिए एक जबरदस्त समस्या व खतरा बन गया है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान में एक ही धर्मावलंबी अपने ही लोगों की हत्याएं क्यों कर रहे हैं? भोगवादी संस्कृति हिन्दुत्व को समाप्त करने का स्वप्न देख रही है। जब गत 1400 वर्ष के दौरान मोहम्मद गजनवी, मोहम्मद गौरी से लेकर बाबर, औंरगजेब व तैमूरलंग तथा अंग्रेज जैसे दुर्दांत इस भगवा रंग को समाप्त नहीं कर सके तो फिर केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम जैसे राजनेता की क्या बिसात है? वे तो न तो कश्मीर की बढती आतंकवादी, नक्सलवादी आतंकवाद, पूर्वोत्तर में अलगाववादी आतंकवादी समस्याओं को ही हल नहीं कर पा रहे है। इन्हीं सभी समस्याओं से आम लोगों का ध्यान भटकाने के लिए वे ऐसे नासमझी के ब्यान देते रहते है।

भगवा मात्र कोई रंग नहीं है अपितू भारत राष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर है। भगवा रंग शालीनता का प्रतीक है भगवा रंग सभी राष्ट्रवादी देशवासियों व सभी समुदायों में सहर्ष स्वीकार्य है। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने जब भगवा रंग को आतंकवाद से जोड़ने का प्रयास किया, तो इससे सभी देशवासी बहुत आहत हुए। भारत के साधु-संतों ने भगवा रंग की पोशाक पहन कर ही प्राचीन समय से आज तक ‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ के कल्याणकारी कार्य किये हैं। केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने भगवा रंग से आतंकवाद को जोड़ कर न केवल तीन रंगों वाले ध्वज को स्वीकार करने वाले भारतीय संविधान का अपमान किया है बल्कि देश की अखंडता के लिए कृत-संकल्पित बहुसंख्यक हिन्दुत्ववादी सोच पर भी कुठाराघात किया है। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के इस ब्यान पर कांग्रेस ने क्यों चुप्पी साध ली? जबकि इस ब्यान के आधार पर ही उन्हें देश के केन्द्रीय गृहमंत्री के गरिमापूर्ण पद से तत्काल निलंबित कर देना चाहिए था। इससे तो लगता है कि केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के इस ब्यान में कांग्रेस का भी अप्रत्यक्ष रुप से हाथ है। कांग्रेस नेतृत्व तुष्टीकरण की अपनी स्थापित राजनीतिक नीति के चलते व मुलायम व लालू इत्यादि जैसे तथाकथित धर्मनिरपेक्षवादी राजनेताओं के चंगुल से कांग्रेस अपने मुस्लिम वोट वापस लाने के लालच में राजनीतिक लाभ के लिए हिंदुत्व विरोधी रुख अपनाये हुए है।

कांग्रेस शायद यह नहीं समझती है कि देश की कुल जनसंख्या के 20 प्रतिशत मुस्लिमों के वोट प्राप्त करने के प्रयास में यदि देश के मात्र 20 प्रतिशत हिन्दु ही एक होकर कांग्रेस का विरोध कर वोट डालने लगे तो कांग्रेस कहीं की भी नहीं रहेगी। कांग्रेस को राष्ट्रीय विषयों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए क्योंकि छोटे-छोटे लाभों के लिए इस प्रकार की घृणित राजनीति करने का नतीजा कांगेस देख चुकी है। कांग्रेस की नीति के कारण ही जब वर्ष 1947 में देश हिन्दु व मुस्लिम दो धर्मां के अनुयायियों के बीच पाकिस्तान व हिन्दुस्थान के रुप में बंट चुका था। ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने हिन्दु धर्म को अपमानित करने का मुख्य एजेंडा अपने राजनीतिक कार्यक्रम में बनाया हुआ है। केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम कांग्रेस के एक वरिष्ठ व प्रमुख पद पर कार्य कर रहे राजनेता है। ऐसा महत्वपूर्ण व्यक्ति यदि कोई विवादित ब्यान देता है तो हिंदुत्व में यकीन करने वाले बहुसंख्यक इस ब्यान को हलके में तो नहीं लेंगे। कांग्रेस ने जब देश भर में केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के इस ब्यान को लेकर हुई किरकिरी को मापा तो कांग्रेस की ओर से यह कह दिया गया कि केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम का यह उनका व्यक्तिगत नजरिया व राय हो सकता है। जब कांग्रेस केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम के ब्यान से सहमत नहीं है तो फिर क्यों राष्ट्रीय सम्मान पर कुठाराघात करने वाले व देश में सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने वाले नेता को क्यों नही दोषी ठहराया गया और उनसे उनका त्यागपत्र क्यों नही लिया गया? हो सकता है कि केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने ऐसा कह कर पर्दे के पीछे किसी व्यक्ति अथवा संस्था को उपकृत कर रहे हों। कांग्रेस स्वयं को सबसे बड़ा धर्मानिरपेक्षवादी राष्ट्रीय दल मानती है। कांग्रेस व अन्य राजनेता हिन्दुत्व को गाहे बगाहे अपमानित करना ही असली धर्मनिरेपक्षतावादी नीति मानती है। कभी काग्रेस को मुस्लिमो को सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग करके, कभी उनको भारी राजकोषिय आर्थिक सहायता प्रदान करके, कभी उनके बच्चों को शिक्षा के लिए मदरसों व इमामों को सरकारी सहायता देकर, कभी मुस्लिम बेरोजगारों को बड़ी संख्या में नौकरी देकर इत्यादि से तुष्टीकरण की वोटवादी राजनीति की जा रही है। देश के प्रत्येक गरीब, पिछड़े व आर्थिक रुप से विपन्न दलित, पिछडे व अन्य को चाहे वह किसी धर्म व जाति का क्यों न हो सबको आर्थिक सहायता व नौकरी क्यों नहीं देने की बात की जाती है? क्यों बार-बार एक विशेष शब्द (मुस्लिम) का ही प्रयोग कोई योजना लागू करते समय किया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने यदि भगवा आतंकवाद की जगह हरा आतंकवाद (मुस्लिम) अथवा सफेद आतंकवाद (ईसाई) शब्दों का प्रयोग किया होता तो, कांग्रेस अब तक केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम को पार्टी से निकाल चुकी होती तथा देश के प्रधानमंत्री देश से सार्वजनिक क्षमा याचना कर चुके होते।

आतंकवाद का किसी धर्म, जाति व सम्प्रदाय से कोई संबंध नहीं होता है। अतः जब भी आतंकवाद को किसी धर्म व जाति व संप्रदाय से जोड़कर देखा जायेगा तो उसका विरोध भी होना स्वाभाविक है। आंतकवादी संपूर्ण समाज व देश का अपराधी होता है और उसको कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए न की सारे सरकारी प्रयास यह सिध्द करने में ही लगा दिये जायें कि देश का बहुसंख्यक समुदाय (भगवा रंग समर्थक) आतंकवादी है, वो भी मात्र उनके सहारे जो चंद भगवाधारी पोशाक के लोग पकड़े गये है और उन्हें भी न्यायालय की कड़ी प्रक्रिया से निर्दोष साबित किया चुका है।

जब देश का बहुसंख्याक समुदाय आतंकवादी हो जायेगा, तो फिर देश में अन्य आतंकवाद तो स्वतः ही समाप्त हो जायेगा। कांग्रेस के केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने हो सकता है कि देशवासियों और विशेषकर अल्पसंख्यकों के सामने भारतीय जनता पार्टी का हव्वा खड़ा करने की कोशिश की हो। उनका बयान यह भी हो सकता था कि यदि आतंकवाद शीघ्र ही काबू में नहीं आया तो देश का हिन्दू भी आतंकवाद की राह पर चल पड़ने को बाध्य हो जायेगा जो एक गंभीर चिंता का विषय होगा। आंतकवाद एक ऐसी दूषित मानसिकता है जो सबसे पहले उसी समाज को नुकसान पंहुचाता है जिस समाज से वह निकल कर बाहर आता है। इसलिए आतंकवादी मनोवृति का विरोध सबसे पहले उसी समाज के लोगों को कराना चाहिए। प्रत्येक धर्म व उसमें सच्ची आस्था रखने वाले लोग सम्मानीय व गुणी होते है। प्रत्येक धर्म अमन व शांति चाहता है। कोई धर्म आतंकवाद का पोषक नहीं होता है। आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता है। इसलिए सभी धर्म के लोगों व सभी राजनेताओं को आंतकवादी घटनाओं की निंदा करके आंतकवादियों को गंभीर अपराधी मानते हुए उनको कठोर से कठोर सजा दी जानी चाहिए तभी विकराल होती आंतकवादी व पृथकतावादी घटनाओं को रोका जा सकता है और भारत देश की अंखडता को बनाये रखे जा सकता है।

* लेखक सनातन धर्म महाविद्यालय, मुजफ्फरनगर के वाणिज्य संकाय में रीडर तथा स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।

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