सैफ-करीना विवाह: बड़े लोगों की बड़ी बातें

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निर्मल रानी

सैफ अली खान और करीना कपूर आखिरकार गत् दिनों वैवाहिक रिश्तों में बंध ही गए। विवाह के समय जहां करीना कपूर के माता-पिता रणधीर कपूर व बबिता ने प्रसन्नचित मुद्रा में नज़र आते हुए पूरे हर्षोल्लास के साथ समारोह में शिरकत की वहीं सैफ अली की मां शर्मिला टैगोर भी इस अवसर पर नवदंपति को अपने शुभाशीष देने के लिए उपस्थित रहीं। गोया स्पष्ट है कि यह रिश्ता जहां सैफ अली खान व करीना कपूर की आपसी पसंद का रिश्ता था वहीं दोनों ही परिवारों के अभिभावक भी इस रिश्ते से खुश व सहमत थे। इस नवदंपत्ति को मेरी भी हार्दिक शुभकामनाएं। खुदा करे इन दोनों का प्यार व इनके मधुर संबंध खूब परवान चढ़ें तथा यह जोड़ी सफल रिश्तों की एक मिसाल कायम करे। परंतु जब हम इन दोनों नव वर-वधू यानी सैफ़ अली व करीना कपूर के इन रिश्तों की पृष्ठभूमि में झांकने का प्रयास करते हैं तो इनके गुज़रे दिनों की कहानी आम लोगों के मस्तिष्क पर एक ऐसा प्रभाव छोड़ती है जो सामान्य, साधारण या आम लोगों के रिश्तों के समय नहीं देखा जाता।

सैफ अली खान ने लगभग दो दशक पूर्व जब अपनी उम्र से लगभग दस वर्ष बड़ी फिल्म अभिनेत्री अमृता सिंह से विवाह किया था उसी समय ‘पूत के पांव पालने में नज़र आने लगे थे’। भारतीय क्रिकेट टीम के बेमिस्ल कप्तान तथा पटौदी रियासत के पूर्व नवाब मंसूर अली खान पटौदी के इकलौते वारिस का इस प्रकार अमृता सिंह जैसी अपने से दस वर्ष उम्र में बड़ी लडक़ी के इश्क में डूबना तथा परिवार में ऐसा वातावरण बना देना जिससे कि परिवार के सदस्य वैवाहिक रिश्ता जोडऩे के लिए बाध्य हो जाएं यह पटौदी खानदान के लिए कोई छोटी-मोटी बात नहीं थी। परंतु ऐसा ही हुआ। सैफ व अमृतासिंह वैवाहिक बंधन में बंधे और इस रिश्ते के मध्य दो बच्चों ने भी जन्म लिया।

परंतु कुछ ही वर्षों के बाद सैफ व अमृता के मध्य अनबन हो गई और दोनों एक-दूसरे से जुदा हो गए। इसके बाद सैफ अली खान काफी लंबे समय तक पुन: ‘कुंवारा’ जीवन बिताने के लिए मजबूर हो गए। यहां फ़िल्मी रिश्तों या अफवाहों की बातें करने का कोई औचित्य नहीं। दूसरी ओर इसी फिल्म जगत में कुछ वर्ष पूर्व तक करीना कपूर यानी मुंबई फिल्म उद्योग के सर्वप्रतिष्ठित घराने कपूर खानदान की होनहार बेटी तथा रणधीर कपूर व बबिता जैसे फ़िल्मी सितारों की कन्या ने शाहिद कपूर के साथ अपनी ऐसी जोड़ी बनाई जो काफी चर्चा में रही। इन दोनों के इश्क़ के चर्चे पूरे देश में तमाम पत्र-पत्रिकाओं में होने लगे। यहां तक कि इन दोनों की शादी होने की खबरें भी प्रकाशित होने लगां। शाहिद कपूर भी फिल्म जगत में अपनी अच्छी पहचान रखने वाला एक सुंदर,आकर्षक व युवा अभिनेता है तथा उसकी पृष्ठभूमि भी कलाकार घराने की ही है। शाहिद कपूर के पिता पंकज कपूर एक सफल व लोकप्रिय अभिनेता हैं तथा उनकी मां नीलिमा अज़ीम भी फ़िल्म व टेलीविज़न में एक सफल अभिनेत्री के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं। अभी करीना व शाहिद के बीच आशिकी के क़िस्से चर्चा में आ ही रहे थे कि इसी के बीच छोटे नवाब पटौदी यानी सैफ़ अली खाँ इन रिश्तों के बीच कूद पड़े और इन रिश्तों में विलेन की भूमिका निभाते-निभाते ख़ुद ही हीरो भी बन बैठे।

उधर करीना कपूर को भी शाहिद कपूर से देर तक चले अपने अंतरंग संबंधों को समाप्त करने में कोई हिचकिचाहट महसूस नहीं हुई। बड़े ही आश्चर्यजनक ढंग से कुछ ही दिनों के भीतर इन प्रेम संबंधों के पात्र बदल गए। जहां शाहिद-करीना की जोड़ी को देखकर इन के प्रशंसक ख़ुश हुआ करते थे वहीं अब सैफ़-करीना के बीच के इश्क के रिश्ते चर्चा में आने लगे। मीडिया द्वारा इस जोड़ी का नाम भी सैफ़-करीना से सैफीना रख दिया गया। अब करीना कपूर सैफ़ के साथ हाथों में हाथ डाले वैसे ही दिखाई देने लगी जैसे कि कुछ ही समय पहले शाहिद कपूर के साथ दिखाई देती थी। आए दिन यह जोड़ी विदेश यात्राओं पर जाने लगी तथा तमाम फ़िल्मी व ग़ैर फ़िल्मी समारोहों में एक साथ नज़र आने लगी। और धीरे-धीरे आशिकी के इन रिश्तों के बीच इन दोनों के विवाह की ख़बरें भी आने लगी।

यहां तक कि अपनी मृत्यु से पूर्व एक बार स्वयं नवाब मंसूर अली पटौदी भी करीना कपूर को अपने परिवार की बहू बनाए जाने के समर्थन में अपने विचार व्यक्त करते दिखाई दिए। बहरहाल कुल मिलाकर गत् 16 अक्तूबर को यह बहुचर्चित जोड़ी विवाह के बंधन में आिखरकार बंध ही गई। इत्तेफ़ाक़ से इन रिश्तों में भी दोनों के बीच आयु के अंतर भी लगभग वही है जो सैफ़ अली के पहले वैवाहिक रिश्ते में था। यानी अमृता सिंह जहां सैफ़ से लगभग दस वर्ष बड़ी थी वहीं करीना कपूर सैफ़ से क़रीब दस वर्ष छोटी है।

हालांकि किसी परिवार द्वारा किसी से भी संबंध स्थापित करना या वैवाहिक रिश्ते क़ायम करना किन्हीं दो लोगों या परिवारों के अति व्यक्तिगत् मामले होते हैं। परंतु जब किसी का व्यक्तित्व आम लोगों के साथ किसी भी रूप में जुड़ जाए तो ऐसी सूरत में व्यक्तिगत् रिश्ते भी सार्वजनिक चर्चा का विषय बन जाते हैं। ख़ास तौर पर सेलेब्रिटिज़ के विषय में तो आम जनता बेहद दिलचस्पी के साथ उनसे जुड़ी प्रत्येक ख़बर पर नज़र रखना चाहती है। कहना ग़लत नहीं होगा कि फ़िल्म जगत के लोगों को तो तमाम युवा अपना आदर्श तथा प्रेरणास्त्रोत तक मानते हैं। यही वजह है कि जो युवक-युवतियां अपने पसंदीदा स्टार की बुलंदी तक नहीं पहुंच सकते,उनके करीब नहीं जा सकते या उन्हें देखने का अवसर नहीं पाते वे कम से कम उनके जैसे पहनावे पहनकर, वैसी हेयर स्टाईल रखकर या उस प्रकार अदाएं दिखाने की कोशिश कर स्वयं को उनसे जोडऩे का प्रयास करते हैं। देश में चलने वाला अधिकांश फ़ैशन फ़िल्म जगत के फ़ैशन से ही प्रभावित होता है। तमाम युवा व बुज़ुर्ग आज भी आपको ऐसे मिल जाएंगे जिन्हें प्राण,राजकुमार या शत्रुघ्र सिन्हा के सिगरेट पीने की अदा इतनी भाती थी कि उन्होंने भी उन स्टार्स की नकल करते हुए सिगरेट पीनी शुरु कर दी। अब भले ही उपरोक्त नायकों ने सिगरेट पीनी क्यों न बंद कर दी हो या इनमें से आज कुछ जीवित भी न हों परंतु इनका अनुसरण करने वाले या इनकी नक़ल उतारने वाले तमाम लोग ऐसे हैं जो अभी भी सिगरेट की लत से छुटकारा नहीं पा रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह कि हमारे फ़िल्मी नायक युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत व आदर्श की हैसियत भी रखते हैं।

तो क्या सैफ़ अली खान व करीना कपूर के बीच के रिश्तों व इनके वैवाहिक संबंधों तक पहुंचने के पूरे घटनाक्रम का भी युवाओं को अनुसरण करना चाहिए? क्या ऐसे रिश्ते भी हमारे देश के युवाओं के समक्ष किसी प्रकार का आदर्श प्रस्तुत करते हैं? यदि मोटे तौर पर शाहिद-करीना संबंध विच्छेद तथा सैफ-करीना संबंध के जुडऩे के प्रकरण को देखा जाए तो हमें यह नज़र आता है कि शाहिद व करीना की जोड़ी न केवल हमउम्र जोड़ी थी बल्कि सुंदर,आकर्षक व मासूम सी दिखाई देने वाली एक ऐसी जोड़ी भी थी जिसे देखकर आम लोग ख़ुश हुआ करते थे। परंतु वर्तमान सैफ़-करीना की जोड़ी ने इनके प्रशंसकों के मध्य वैसा उत्साह पैदा नहीं किया जो शाहिद-करीना के रिश्तों के समय था।

परंतु निश्चित रूप से सैफ़ की तुलना में शाहिद कपूर का किसी ‘नवाब’ ख़ानदान से संबंध न होना तथा किसी भव्य पैलेस का स्वामी न होना ही संभवत: करीना-शाहिद के रिश्तों में आई दरार का कारण बना। यहां एक बात गुज़रे दिनों की भी याद करने का वक्त है जबकि अभिषेक बच्चन व करिश्मा कपूर के बीच शादी की ख़बरें बिल्कुल गर्म थीं और उसी बीच करिश्मा कपूर ने अपनी मां के बहकावे में आकर अभिषेक बच्चन से यह जानकारी हासिल करने का प्रयास किया था कि उनके अपने नाम कितनी संपत्ति है और जब सह सवाल अमिताभ बच्चन के कानों में पड़ा उसी समय अभिषेक व करिश्मा के बीच के रिश्ते समाप्त हो गए थे। इस घटना से भी साफ़ ज़ाहिर है कि करिश्मा हो या करीना इनकी नज़रें व्यक्ति पर कम तथा व्यक्ति की संपत्ति पर अधिक टिकी रहती हैं। आगे चलकर करिश्मा कपूर के वैवाहिक जीवन का क्या हश्र हुआ इसका जि़क्र यहां करना मुनासिब नहीं है। परंतु सैफ़ करीना के बीच स्थापित हुए वैवाहिक संबंधों का भविष्य क्या होगा इसे देखना ज़रूरी है। क्योंकि साफ़तौर पर यही ज़ाहिर हो रहा है कि करीना कपूर ने किसी अपने ‘प्यार’ के साथ नहीं बल्कि धन-दौलत और संपत्ति के साथ रिश्ते स्थापित किए हैं। हमारे देश के युवाओं को ऐसे सेलिब्रिटिज़ को अपना आदर्श मानने से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि बहरहाल प्रशंसक या समर्थक तो आम घरों के सदस्य होते हैं और सैफ़-करीना-शाहिद जैसे प्रकरण तो ‘बड़े लोगों की बड़ी बातें’ की श्रेणी में खप जाया करती हैं।

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