pravakta.com
संस्कार सुर में फुरक कर ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
संस्कार सुर में फुरक कर, 'सो-हं' की गंगा लुढ़क कर; 'हं' तिरोहित 'सो' में हुआ, 'सो' समाहित 'हं' में हुआ ! वह विराजित विभु में हुआ, अपना पराया ना रहा; अपनत्व पा महतत्व का, था सगुण गुण ले मन रहा ! शाश्वत खिला पा द्युति दिशा, मन महल वत चमका…