“जब मोदी-लहर से भयभीत हो काँप उठा इन्द्र का सिंहासन”

indrasanमोदी लहर का कहर अभी तक धरती तक ही सीमित था परंतु अगर इंद्रलोक के विश्वसनीय सूत्रो की माने तो हाल मे भाजपा द्वारा झारखंड भू-खंड जीतने, दुनिया के स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर मे अप्रत्याशित चुनावी प्रदर्शन करने और एक के बाद एक राज्य को कब्जियाने की मुहिम से स्वर्ग लोक मे मानो ऐसी खलबली मच गयी है कि इन्द्र का सिंहासन भी काँपने लगा है।

 

ऐसा माना जा रहा है कि इन्द्रलोक का प्रमुख पर्यवेक्षक दल धरती पर हो रही इस अविश्वसनीय एवं अचंभित करने वाली राजनीतिक गतिविधि पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। इंद्र के बेहद करीबियों की माने तो धरती पर नरेंद्र मोदी नामक मनुष्य के बढ़ते कद और शक्तियों के विस्तार से देवराज काफी विचलित होकर चिंतन की मुद्रा मे आ गए हैं। उनकी व्याकुलता का आलम कुछ ऐसा है कि उन्हे डर है जिस तरह यह मनुष्य धरती पर अपनी शौर्यता और बल मे इजाफा कर धरती के बड़े भूमण्डल ‘भारत’ पर अपना शासन स्थापित कर रहा है, कहीं भविष्य मे यह महामानव अल्पकाल मे ही ‘विश्वजीत’ बन कर स्वर्ग पर भी चढ़ाई न कर दे।

 

खबर तो यह भी आई है कि इंद्र ने इस बाबत सृष्टिकर्ता-ब्रहमाजी के साथ आपातकालीन गुप्त बैठक की है जिसमे भविष्य मे अगर ऐसी कोई परिस्थिति बनती है तो उसका सामना एवं निपटारा कैसे करना है, उसकी नियोजित ढंग से योजना बनाई गयी है।

 

इस बीच धरती पर पुख्ता सबूतो के साथ नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रेसवार्ता कर सनसनीखेज बयान जारी किया है। उनका कहना है भारतीय सुरक्षा एजेंसियो से मिली सूचनाओ के आधार पर हम कह सकते हैं कि नरेंद्र मोदी की वाराणसी यात्रा से ठीक पहले मूसलाधार वर्षा होना महज एक संयोग नहीं था, इसके पीछे मोदी के राजनीतिक रथ को रोकने की एक बड़ी गहरी साजिश है। प्राथमिक दृष्ट्या जांच ने इसके पीछे आकाशरूपी ताकतो, मुख्यतः इंद्र लोक के हाथ होने की आशंका जताई है।

 

सूत्रो की माने तो सरकार को सैटलाइट द्वारा सृष्टिकर्ता-ब्रह्मा और देवराज इंद्र की ‘सीक्रेट-मीटिंग’ का एक विडियो हाथ लगा है जिसमे इंद्र-ब्रह्मा धरती पर मोदी लहर को समाप्त करने की रणनीति बनाते हुए साफ नज़र आते हैं। इसी के एक दृश्य मे ब्रह्मा इंद्र से कहते हैं “वत्स। यह मानव, कोई सामान्य मानव नहीं है”, जिसने धरती के एक बहुत बड़े भूभाग पर वर्षो से शासन कर रहे काँग्रेस समूह को मिट्टी मे नेस्तनाबूद कर दिया। यही नहीं, धरती के लोग इस महामानव को ‘नमो-नमो’ कह कर संबोधित करते हैं।

 

‘नमो’ शब्द से ही प्रतीत होता है कि यह मानव देवाधिपति महादेव की भांति ही विनाशक है, जो काँग्रेस का नाश करने के बाद देखो किस-किस के नाश-विनाश या फिर सर्वनाश का कारण बनता है। ब्रह्मा ने कहा “मेरे सहयोगी पालनहार विष्णु को भी उम्मीद है कि अयोध्या मे जल्द ही ‘नमो’ ही उन्हे तम्बू से उठाकर भव्य मंदिर मे विराजित करेगा”। यह सुनते ही इंद्र के चेहरे पर अस्थिरता के बादल छा गए, वह बड़े गमहीन,गंभीर और अधीर होकर छोटे मन से ब्रह्मा से बोले “प्रभु! मेरा सिंहासन” ?

 

ब्रहमाजी इंद्र की बात सुन कर आनंद के कारण रोमांचित हो गए और एक चिकित्सक के रूप मे बोले “बेटा, दिन मे दो बार ‘ॐ नमो शिवाय’ और रात मे सोते समय तीन बार ‘नमो-नमो’ का जाप करो। ऊपरवाला जल्द ही तुम्हारे सारे संकट काट तुम्हें भयमुक्त बनाएगा।

 

आश्चर्य के कारण मूर्छित हुए इंद्र ने ब्रह्मा से कहा “हे भगवन! हमारे भी ऊपर कोई है” ?

ब्रह्मा बोले “हमारे ऊपर वो प्रकृति है जिसने हमे बनाया (खुद तो रंभा के नृत्य मे मदमस्त रहते हो) अब जा भाई……मुझे बहुत काम है…… तूने बहुत पकाया।

 

(यह लेख लेखक की कोरी कल्पना से प्रेरित है अगर भविष्य मे कोई ऐसी घटना होती है तो इसे महज एक संयोग या लेखक की दूरदर्शिता समझा जाए)

 

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