अब तो आंखें खोल

-पंडित सुरेश नीरव-
poem

अमल से सिद्ध हुए हैवान जमूरे अब तो आंखें खोल।
न जाने किसकी है संतान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

मिला है ठलुओं को सम्मान जमूरे अब तो आंखें खोल।
हुआ है प्रतिभा का अपमान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

पराई थाली में पकवान जमूरे अब तो आंखें खोल।
हमारे हिस्से में रमजान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

सुहाने वादे हैं हलकान जमूरे अब तो आंखें खोल।
फरेबी की जगमग दूकान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

गटर भी हमको लगा मकान जमूरे अब तो आंखें खोल।
नगर के मेयर-सी मुस्कान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

निकाली महंगाई ने जान जमूरे अब तो आंखें खोल।
नहीं हैं किस्मत में पकवान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

कराया गुंडों से मतदान जमूरे अब तो आंखें खोल।
बिठाया कुरसी पर शैतान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

कुंआरा बन बैठा परधान जमूरे अब तो आंखें खोल।
दिखा दी अपनी झूठी शान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

चढ़ आया सिर पे पाकिस्तान जमूरे अब तो आंखें खोल।
कि हारा कटपीसों से थान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

रखा है गिरवी हिंदुस्तान जमूरे अब तो आंखें खोल।
कटोरे में डाला ईमान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

कटाने को अपनी ही नाक किया लोगों ने ख़ूब मज़ाक।
भरे हैं नीरवजी के कान जमूरे अब तो आंखें खोल।।

1 COMMENT

  1. बहुत खूब सर। कुछ ही पंक्तियों में पूरे हिंदुस्तान का सच बयां कर दिया। सरल शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी है आपने।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here