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कहो कौन्तेय-४५ (महाभारत पर आधारित उपन्यास अंश) - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
(पाण्डवों का अज्ञातवास) विपिन किशोर सिन्हा कालचक्र अपनी पूरी गति से घूम रहा था - अनासक्त भाव से। समुद्र की लहरों की भांति वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। हमलोगों के जीवन में वनवास के बारह वर्ष पहाड़ की तरह थे। लेकिन काल चक्र के लिए यह अवधि एक तिनके…