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कहो कौन्तेय-४८:विपिन किशोर सिन्हा
आज मैं अत्यन्त प्रसन्न था। तेरह वर्षों से अपमान की जिस अग्नि में आठों पहर जलता था, उसका प्रतिशोध लेने का