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कहो कौन्तेय-८५ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
विपिन किशोरे सिन्हा कर्ण के लिए अर्जुन का अन्तिम प्रश्न मेरी अनकही अभिव्यक्ति को कर्ण बूझ गया, ऐसा मुझे लगा। सूर्यपुत्र कर्ण से अपने वार्त्तालाप के उद्देश्य को संप्रेषित करते हुए मैंने कहा - "मृत्युंजय! तुम्हारे जीवन के एक सबसे महत्त्वपूर्ण सत्य से आवरण हटाने के लिए मैंने इस निर्जन…