भ्रष्टाचार के मामले में यू.पी.ए. का रिकार्ड नं.1 है

लालकृष्‍ण आडवाणी

समाचारों के कवरेज के अनुसार, बहुसंस्करण वाले अधिकतर दैनिक क्षेत्रीय समाचारपत्र बनते जा रहे हैं। चेन्नई से प्रकाशित होने वाला दि हिन्दू ऐसा समाचारपत्र है जिसके बारे में मेरा मानना है कि देश के किसी भी क्षेत्र की महत्वपूर्ण घटनाएं उसमें पढ़ने को मिले, जरूरी नहीं है। अत: उसका ‘कवरेज‘ वास्तव में राष्ट्रव्यापी है।

मुझे स्मरण है कि स्वतंत्रता के पूर्व जब मैंने पहली बार इस समाचारपत्र को देखा तो मुझे यह एक अनोखा दैनिक प्रतीत हुआ, जिसके मुखपृष्ठ पर कोई समाचार नहीं थे, सिर्फ विज्ञापन थे। अंदर के पृष्ठों पर भी बैनर शीर्षक वर्जित माना जाता था।

मेरे एक सहयोगी ने इस तथ्य की ओर मेरा ध्यान आकृष्ट किया कि हाल में हिन्दुस्तान टाइम्स का पहला पृष्ठ भी ऐसा ही बन रहा है। लेकिन जबकि हिन्दू के विज्ञापन वर्गीकृत विज्ञापनों की भांति पुरानी शैली के अनुरूप एक कॉलम में होते थे और हिन्दुस्तान टाइम्स के विज्ञापन इन दिनों इतने व्यापक और काफी अधिक राजस्व देने वाले हैं। उदाहरण के लिए गत् शनिवार के अंक में (4 फरवरी, 2012) को पहले और दूसरे पृष्ठ पर ‘7 अप, रियल लेमन जूस और 7 अप नेचुरल लेमन फ्लेवर‘ के विज्ञापन प्रकाशित हुए हैं।

हांलाकि मैं जिस संदर्भ में यह विशेष ब्लॉग लिख रहा हूं वह है उसी संस्करण के पहले पृष्ठ पर प्रकाशित दो स्तम्भ का समाचार । समाचार को ‘विज्ञापन‘ के रूप में वर्णित किया गया है, और 5 पंक्तियों में कैप्शन इस प्रकार प्रकाशित हुई है:

फर्स्ट विक्ट्री (First victory)

डाऊन अण्डर (Down under)

इण्डिया बीट आस्ट्रेलिया ( India Beat Australia)

बाय 8 विकेट्स (by 8 wickets)

इन सेकण्ड T20 (In second T20)

उस दिन लखनऊ में जब मीडिया ने मुझसे स्वामी के केस में सीबीआई ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के बारे में पूछा तो मैंने कहा यदि इंग्लैण्ड और आस्ट्रेलिया के टेस्ट मैचों और एक दिवसीय मैचों में दर्जनों बदनामी वाली पराजयों के बावजूद यदि T-20 की एकमात्र विजय से क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड इतना अति आनंदित हो सकता है कि उसने ‘पेड न्यूज‘ के रूप में समाचार प्रकाशित कराया है तो क्यों नहीं भारत सरकार भी क्रिकेट बोर्ड के उदाहरण को अपनाते हुए हिन्दुस्तान टाइम्स के मुख पृष्ठ पर पी. चिदम्बरम को मिली उल्लेखनीय राहत को विज्ञापन के रूप में प्रकाशित करवाती, जोकि भारत सरकार को सर्वोच्च न्यायालय और अनेक उच्च न्यायालयों से न्यायिक आलोचनाओं और भर्त्सना के बाद मिली है।

यदि क्रिकेट के घटनाक्रम को ही आगे बढ़ाया जाए, और यदि 2G स्पेक्ट्रम घोटाले की श्रृंखला को मैच श्रृंखला माना जाए तो स्पष्ट रूप से जुझारू सुब्रमण्यम स्वामी को ‘मैन ऑफ दि सीरिज‘ माना जाएगा।

***

2G स्पेक्ट्रम के संदर्भ में, सर्वोच्च न्यायालय के उल्लेखनीय निर्णय का मुख्य भाग यह है कि: पूर्व संचार मंत्री ए. राजा द्वारा जारी किए गए 122 लाइसेंस निरस्त किए गए; सर्वोच्च न्यायालय ने इन्हें गैरकानूनी और असंवैधानिक माना है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने घोषित किया है कि वे ट्रायल कोर्ट के फैसले के विरूध्द अपील करेंगे। न्यायपालिका को अब इस मुख्य सवाल का फैसला करना है कि: क्या पूर्व संचार मंत्री ए. राजा शांति के एकमात्र खलनायक हैं और इन धोखाधड़ी भरे सौदों के लिए अकेले जिम्मेदार व्यक्ति हैं?

यदि स्वतंत्र भारत में भ्रष्टाचार के घोटालों का सम्पूर्ण इतिहास लिखा जाए तो मुझे कोई संदेह नहीं है कि इन घोटालों की संख्या और उनके वित्तीय आयामों और या उनकी गंभीरता को लेकर पहले की कोई भी सरकार, यूपीए सरकार के संड़ाधभरे रिकार्ड को तोड़ नहीं पाएगी।

औपचारिक रूप से इस सरकार के मुखिया डा0 मनमोहन सिंह हैं लेकिन अब निस्संदेह सभी को यह पता है कि वास्तव में सरकार और प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को यूपीए अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी चला रही हैं!

नीचे ऐसे दस कुख्यात मुद्दों की तालिका दी जा रही है जो दिमाग में उभरते हैं:

1- ‘कैश फॉर वोट घोटाला‘ जिसने भारत के लोकतंत्र को शर्मसार किया।

2- 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला केस

3- राष्ट्रमण्डल खेल घोटाला

4- क्वातरोची केस

5- आदर्श हाऊसिंग केस

6- मुख्य सतर्कता आयुक्त पद पर पी.जे. थॉमस की नियुक्ति

7- भारत से चुराकर स्विस बैंकों या अन्य टैक्स हेवन्स में ले जाए गए भारत के काले धन को वापस लाने में सरकार की घोर असफलता। काले धन के विरूध्द संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के तहत न केवल अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस जैसे बड़े देश अपितु पेरू और नाइजीरिया जैसे छोटे देशों को भी अपना धन वापस लाने में सफलता मिली है।

8- आईएमडीटी एक्ट के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय की आलोचना के बावजूद बंगलादेश से असम और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में व्यापक पैमाने पर अवैध घुसपैठ

9- तेलगी स्टाम्प-पेपर केस

10-पुणे के स्टड-फार्म के मालिक हसन अली वाला काण्ड

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टेलपीस 

इन दिनों पाकिस्तान में एक चुटकला प्रचलन में है: भारत में, सेना प्रमुख की उम्र सरकार तय करती है। हमारे देश में सेना प्रमुख सरकार की आयु तय करता है।

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