आज का युवा दुनिया को बदलने का आभास देनेवाले सैद्धान्तिक बदलावों से उत्साहित नहीं हुआ करता। वे प्रारम्भ से ही बूढ़े रहा करते हैं, अधिक भौतिक लक्ष्यों की उपलब्धि के लिए परिपक्व ढंग से अपने विकल्पों को तौलते हुए वे एक बार में एक पर सोचते हैं। आज का युवा एक ही चीज को और अधिक की कामना करता है, और पैसे, और उपभोक्ता सामग्रियाँ, जीवन की अच्छी चीजें जैसा कि वे जानते हैं। वे अपने जीवन में गुणात्मक परिवर्तन की आकांक्षा नहीं रखते , उन्हें अपने जीवन के तौर तरीकों में परिमाणात्मक बढ़ोत्तरी की अभिलाषा रहती है।
युवाओं की इस तस्वीर में पार्थसारथी राय बेमेल हैं। सुरक्षित एवम् उज्ज्वल भविष्य एवम् स्वीकृति का अश्वासन रहने के बावजूद 36 वर्ष की आयु का यह मेधावी अणु जीव वैज्ञानिक अपने सराहनीय शोध कार्य के साथ साथ समाज में शोषण के विरूद्ध निरलस प्रतिवाद (crusade) के अभियान में लगा रहता है।
वे कोलकाता के इण्डियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एडुकेशन एण्ड रिसर्च में एसिस्टैण्ट प्रोफेसर हैं। गत 8 अप्रिल को उन्हें पूर्व कोलकाता में एक बेदखली अभियान में बाधा पहुँचाने के अभियोग में पुलिस ने गिरफ्तार किया। एक सप्ताह के बाद जमानत पर रिहा किया गया है। उनको जाननेवालों का कहना है कि यह गिरफ्तारी सम्भावनामय राष्ट्रीय सम्पदा के साथ छेड़छाड़ करने जैसा कृत्य है।
उनके व्यक्तित्व के दो भिन्न पहलुओं के कारण उनकी गिरफ्तारी से अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय एवम् देश में उनके प्रशंसकों के बीच काफी उत्तेजना का संचार हुआ। गिरफ्तारी के विरोध में उनके समर्थकों ने इण्टरनेट के सोशल नेटवर्किंग साइटों पर ब्लॉग और पोस्ट के जरिए प्रतिवाद जाहिर किया है।
शैक्षणिक धरातल पर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बंगलोर के माइक्रोबायलॉजी एण्ड सेल बायलॉजी विभाग से उन्होंने पीएच.डी. की उपाधि हासिल की है। संयुक्त राज्य अमेरिका के क्लिवलैंड क्लिनिक, ओहायो अवस्थित लेमर रिसर्च इंस्टिट्यूट के सेल बायलॉजी विभाग में पोस्टडॉक्टोरल फेलो हैं। उनके लिखे गए कई एक लेख नए आयाम उद्घाटित करनेवाले बताए गए हैं। उनके काम के लिए दुनिया भर के कई एक विश्वविद्यालयों ने उन्हें सम्मानित किया है। इनमें बंगलोर के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, माइक्रोबायलॉजी एण्ड सेल बायलॉजी विभाग से सर्वोत्तम पीएच.डी थिसीस के लिए श्रीनिवास स्वर्ण पदक, 2004-05, वेलकम ट्रस्ट-डीबीटी इंडिया एलायंस इंटरमिडियट फेलोशिप, 2010, इंडियन ऐकैडेमी ऑफ साइंसेस, 2010 और क्वांटिटेटिव बायलॉजी पर कोल्ड स्प्रिंग हार्बर सिम्पोजियम, 2009 में फेलोशिप लेक्चर एवार्ड, जहाँ चर्चा का विषय था ‘Evolution: The molecular landscape’. वे पूर्वी भारत में कैन्सर पर एक शोध प्रकल्प के अध्यक्ष हैं।
पार्थसारथी राय ने शोषण के खिलाफ अनेको प्रदर्शनों में भागीदारी की है, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल के द्वारा आयोजित रहे हों। सन 1991 ई से वे विभिन्न आन्दोलनों का समर्थन करते रहे हैं और इस सिलसिले में वे लालगंज, असम, एवम् ओडिसा गए, जहाँ भी उन्हें शोषण के विरुद्ध प्रतिवाद को समर्थन देने की जरूरत महसूस हुई। पॉस्को आन्दोलन के समय वे विस्थापित लोगों के समर्थन में ओडिसा में थे तथा असम के कृषक मुक्ति संग्राम समिति की ओर से आयोजित बाँध विरोधी आन्दोलन में भी उन्होंने भागीदारी की थी। जबकि पुलिस का कहना है कि वे माओवादी समूहों से सम्बद्ध हैं।
उनके जाननेवालों का कहना है कि वे न तो वामपंथी हैं न ही दक्षिणपंथी। पार्थसारथी किसी भी औसत विवेकशील व्यक्ति की तरह किसी गलत बात का प्रतिवाद करते हैं।
ममता बेनर्जी की सरकार पूरी तरह से प्रतिक्रियावादी सरकार हो गई है जो अपने खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकती है हाल के दिनों में ऐसी कई उदहारण मिलेंगे जो इस शक को पुख्ता करती है जिन बुध्हिजीवियों ने इनका समर्थन किया था अब वे माथा ठोंक रहे है इनमे एक महाश्वेता देवी भी है अभी तो शुरू ही हुआ है खेल आगे आगे देखिये क्या होता है लोगो की भावनाओं के ज्वार पर चढ़ कर सत्ता की कुर्सी पर तो चढ़ गई है पर करना क्या है यह तो पता ही नहीं है कभी केंद्र की नीतियों के खिलफ चाहे वे जायज हो या न हों विरोध की राजनीति तो करनी ही है ताकि लगे हम कुछ कर रहे है केंद्र सरकार पेट्रोल या डीजल पर दम बढाये तो इनको गवारा नहीं पर ये एल पी जी सिलेंडर पर दम बढ़ाये तो ठीक और इसका विरोध करने वाले इनके दुश्मन .कैसा विद्रूप चेहरा है इनका वैसे हम कभी मुतमईन न थे इनकी फितरत से और जो हो रहा है उससे वाकिफ भी थे इसलिए कुछ बेकार है बंगाल की जनता झेलें इनको कम से कम पञ्च साल तक
बिपिन कुमार सिन्हा