राजनीति का साम्प्रदायीकरण हिन्दू या मुस्लिम?

hindu muslimआज देश में ऐसा देश का वातावरण ऐसा बन चुका है कि यदि बहुसंख्यक हिन्दू अपने धर्म के प्रति कोई कार्य करते है तो उसे राजनीति से जोड दिया जाता है। आज दुनिया में हिन्दू धर्म को खत्म करने के लिए कथित नकली धर्मनिरपेक्षतावादी तथा सेकुलर मीडिया जोकि भारत विरोधी शक्तियों के हाथों की कठपुतली बना हुआ है को चिंता हो जाती है कि कहीं हिन्दू समाज एकत्रित न हो जाएं और यदि ऐसा हो गया तो उनकी रोजी-रोटी (जोकि केवल हिन्दू विरोध के कारण ही चलती है) कहीं छिन न जाएं इसीलिये सब मिलकर हिन्दू को सही-गलत की परिभाषा समझाने लगते है।
आज सबको हिन्दुओं के धार्मिक कार्यों को लेकर अत्याधिक परेशानी हो रही है। चाहे इलैक्ट्रोनिक मीडिया हो या प्रिंट मीडिया सब इन कार्यों को देश में धार्मिक उन्माद बढाने वाले कार्य साबित करने में लगे हुए है। भारतवर्ष जो हिन्दू धर्म की जन्म स्थली है आज उसी जन्म स्थान पर कोई भी धार्मिक कार्य करना जैसे अपराध हो गया है। हिन्दुओं के धार्मिक कार्यों को वोटों के ध्रुवीकरण की संज्ञा दी जाती है। किसी को भी एक धर्म विशेष मुस्लिम वोटो के लिए किए जाने वाले कार्य नहीं दिखाई देते। मुस्लिम समाज द्वारा धर्म के नाम पर किए जाने वाले हिंसक दंगे किसी भी सेकुलर राजनैतिक दल या मीडिया को दिखाई नहीं देते। चाहे वह दंगा गाजियाबाद के मसूरी डासना में, कश्मीर में हुआ व अन्य कहीं कुरान फाडने को लेकर किया गया हो या मुम्बई के आजाद मैदान में बंगलादेशी और राहियांग मुसलमानों के लिए।
केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा देश के हिन्दुओं से टैक्स के रूप मे वसूला गया व हिन्दुओं द्वारा मन्दिरों में श्रद्धा से चढ़ाया गया धन जिस प्रकार मुस्लिमों पर लुटाया जा रहा है वह किसी को दिखाई नही देता। मुस्लिम वोटों के लिए जेलों में बंद खूंखार आतंकवादियों को छोडा जा रहा है जिसके कारण देश की सुरक्षा को भयानक खतरा उत्पन्न हो चुका है उस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। हिन्दू यदि अमरनाथ की यात्रा करता है तो उसपर जम्मू-कश्मीर के मुसलमानो को आपत्ति होती है। मुस्लिम वोटो का ध्रुवीकरण करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा की घोषित आतंकवादी इशरत जहां को देश की बेटी बताया जाता है और इस आतंकवादी को मारने वाले देशभक्त पुलिस अधिकारियों को जेल में डाल दिया जाता है। इस आतंकवादी के लिए देश की गुप्तचर संस्था व केन्द्रीय जांच एजेंसी को आपस में लड़ाया जाता है जिसके कारण देश की सुरक्षा को खतरा उत्पन हो गया है। 3 राज्यों के घोषित मुस्लिम माफिया सरगना सोहराबुदीन को मरने के बाद भी निर्दोष साबित करने की भरसक कोशिश जारी है,  खूंखार आतंकवादी लियाकत अली जो होली के पवित्र त्यौहार पर हिन्दुओं का खून बहाने के लिए पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते भारत आता है उसे पुर्नवास नीति के अनुसार छोड़ने के लिए गृह मंत्रालय पर दबाव बनाया जाता है तथा इसको पकडने वाले पुलिस वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की जाती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री खुलेआम घोषणा करते है कि सिर्फ मुस्लिम लड़कियों को 10वीं पास करने पर 30,000 रुपये दिए जाऐंगे हिन्दू लडकियों को नहीं। देश के प्रधानमंत्री योजना आयोग की बैठक में घोषणा करते है कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। हज यात्रा के लिए अरबों रुपये की सब्सिडी दी जाती है, हिन्दुओं से अमरनाथ, कैलाश मानसरोवर यात्रा पर टैक्स वसूला जाता है। मुस्लिम उद्यमियों को कम से कम ब्याज दर पर सब्सिडी के साथ ऋण दिया जाता है हिन्दुओं को ज्यादा ब्याज दर पर ऋण दिया जाता है। मुस्लिम छात्रों को उच्च शिक्षण संस्थानों में कोचिंग व प्रवेश के बाद उनके पढ़ाई की मुफ्त व्यवस्था की जाती है। मुसलमान सड़कों पर अवैध रूप से कानून की धज्जियां उठाते हुए नमाज पढ़ते है, जिसके कारण घंटों ट्रैफिक जाम होता है। हिन्दुओं को धार्मिक यात्रा निकालने के लिए भी मना किया जाता है। जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम समुदाय आए दिन किसी न किसी बहाने से सुरक्षा बलों पर हमला करता रहता है परन्तु उनके तुष्टिकरण के कारण उन पर कोई कार्रवाई नही की जाती बल्कि उन्हें ऐसा करने से रोकने पर उल्टा सुरक्षाबलों पर कार्रवाई की जाती है। कश्मीर के मुस्लिमों को खुश रखने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा हर वर्ष अरबों रूपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। क्या यह राजनीति का साम्प्रदायीकरण नहीं है।
राजनीति का साम्प्रदायीकरण तो देश में आजादी से पहले से ही चला आ रहा है। इसका मुख्य कारण है मुसलमानों को खुश कर उनकी एकजुट वोटों को पाकर देश व राज्य की सत्ता पर काबिज होना। मुस्लिम अपनी एकजुट वोटो के कारण विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा अपनी जायज व नाजायज मांगों को मनवाते रहते है। जिसके कारण राजनीति का पूर्णतः इस्लामीकरण हो चुका है। हिन्दुओं ने तो कभी कोई मांग ही नहीं की। हिन्दू मांग करता है तो केवल देश के लिए परन्तु मुस्लिम मांग करता है सिर्फ अपने लिए।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 84 कौसी परिक्रमा के लिए जो कुछ भी घटित हुआ उसको नकली धर्मनिरपेक्ष राजनैतिक दल व मीडिया हिन्दू वोटों के धु्रवीकरण का नाम दे रहे है परन्तु वास्तव में यह सपा सरकार द्वारा मुस्लिम वोटों को अपने तक सीमित रखने के लिए मुसलमानों का तुष्टिकरण ही है। सपा सरकार हर प्रकार से प्रदेश के मुसलमानों को खुश रखना चाहती है ताकि उसे आगामी लोकसभा चुनावों में एकमुस्त मुस्लिम वोट प्राप्त हो सके और वह केन्द्रीय राजनीति में अपनी पकड मजबूत बना सके।

आर. के. गुप्ता

1 COMMENT

  1. मुस्लिम साम्प्रदायिकता के बारे में इतना कुछ लिखा जाता है लेकिन उन्हें गलत ढंग से प्रोत्साहित करने वाले सेकुलर हिन्दू ही हैं.वास्तव में ये ‘सिकुलर’ हिन्दू स्व-विस्मरण की बीमारी ग्रस्त हैं जो हमारी मेकालेवादी शिक्षा का परिणाम है तथा जो पिछले १७८ वर्षों से देश को खोखला कर रही है.इसी से जुदा प्रश्न उस खतरे का भी है जो हिन्दू-मुस्लिम रुपी दो बिल्लियों की लडाई में बन्दर की तरह लाभ उठा रहा है.मेरा आशय ईसाई संगठनों से है.आज इनके देश में संचालित करने का काम वेटिकन की सीक्रेट सर्विस ओपस देई कर रही है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है और जो कभी चर्चा में भी नहीं आती है.बहुत कम लोगों को पता होगा की इस संगठन के एक प्रमुख अधिकारी एंटोनिया मायिनो उर्फ़ सोनिया गाँधी के एक निकट सम्बन्धी थे और सोनिया गाँधी के प्रभाव के कारन सभी इंटेलिजेंस फाईलों से उसका नाम हटा दिया गया है.देखें लिंक::https://indianintelligence2009.blogspot.in/

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