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विचार देखें, विचारधारा नहीं - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
तेजेंद्र शर्मा हिंदी साहित्य की त्रासदी है कि लंबे अरसे तक इस पर साम्यवादियों का कब्जा रहा। उनका मानना है कि उनकी विचारधारा के बाहर जो कुछ लिखा जा रहा है, साहित्य ही नहीं है। जबकि मेरा मानना है कि साहित्य के लिए विचार आवश्यक है, जो लेखक के भीतर…