शृंखलाबद्ध विस्फोटों ने खोली पुख्ता सुरक्षा प्रबंधों की पोल

 नीरज कुमार दुबे

आतंकवादियों की ओर से भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई को पुनः दहलाने में सफल होने से हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर फिर से सवाल खड़े हो गये हैं। आतंकवादियों ने शहर के भीड़भाड़ वाले झावेरी बाजार, दादर तथा चरनी रोड़ के ओपरा हाउस में सिलसिलेवार विस्फोटों के जरिए 26/11 के आतंकवादी हमले की यादों को ताजा तो कराया ही साथ ही इस बात का संकेत भी दे दिया कि सुरक्षा के तमाम दावों के बावजूद वह अपने कार्यों को अंजाम देने में पूरी तरह सक्षम हैं। आज गृहमंत्री चिदम्बरम कह रहे हैं कि मुंबई में हुए हमले के बारे में किसी प्रकार की विश्वसनीय खुफिया जानकारी नहीं थी। वह इसे केंद्रीय और प्रदेश की एजेंसियों की खुफिया असफलता भी नहीं मान रहे हैं लेकिन मुंबई पुलिस ने विस्फोटों से एक दिन पहले ही इंडियन मुजाहिदीन के जिन दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था, उससे लगता तो यही है कि कहीं न कहीं पुलिस और सरकार को खुफिया सूचना तो थी ही। इसके अलावा ऐसी भी खबरें आई हैं कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने विस्फोटों से चंद घंटे पहले ही भारत को मुंबई समेत कुछ शहरों में संभावित आतंकी हमले की चेतावनी दे दी थी। यदि यह रिपोर्टें सही हैं तो निश्चित ही यह सरकार की ढिलाई का एक बड़ा उदाहरण कहा जाएगा।

इसके अलावा विस्फोटों के बाद जिस तरह घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंसें देर से पहुंचीं और अस्पतालों में अव्यवस्था का आलम रहा वह हमारी आपदा प्रबंधन तैयारियों की भी पोल खोलता है। रिपोर्टों के मुताबिक इससे पहले कि एंबुलेंसे घटनास्थल पर पहुंचतीं, लोगों ने ही कई घायलों को स्कूटरों, कारों इत्यादि में बैठाकर अस्पताल तक पहुंचाया। इसके अलावा जिन अस्पतालों में घायलों का इलाज चल रहा है, वहां देर रात तक घायलों और मृतकों के नामों की कोई सूची तक नहीं थी, सारे दरवाजे बंद करे देने के कारण पीडि़तों के परिजनों तक जरूरी सूचनाएं नहीं पहुंच पा रही थीं।

दूसरी ओर, विस्फोटों के समय पर गौर करते हुए यह कहा जा सकता है कि यह एक बहुत बड़ी सुनियोजित साजिश थी। 26/11 के मुंबई हमलों में दोषी करार दिये गये आतंकवादी अजमल कसाब के 24वें जन्मदिन और भारत पाक विदेश मंत्री वार्ता से 11 दिन पहले अंजाम दिये गये यह विस्फोट भारत पाक वार्ता को पटरी से उतारने के प्रयास भी हो सकते हैं। ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अपने ही स्थानीय आतंकवादी संगठनों के निशाने पर आए पाकिस्तान को भारत की ओर से भी घेरने के लिए भी यह कवायद की गई हो सकती है। इन विस्फोटों के पीछे भले अब तक पाकिस्तानी हाथ की बात साफ न हुई हो लेकिन इतना तो सभी जानते हैं कि जिन्होंने भी इन विस्फोटों को अंजाम दिया है उन्हें फंडिंग कहां से हो रही है।

जहां तक हमारी सुरक्षा व्यवस्था का सवाल है तो यह हैरानी वाली बात है कि जिस झावेरी बाजार को आतंकवादी तीन बार निशाना बना चुके हैं वहां सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध क्यों नहीं किये गये। अब मुंबई में विस्फोटों के बाद देश भर में अलर्ट कर दिया गया है और जगह जगह लोगों की तलाशी ली जा रही है। यह कवायद ज्यादा से ज्यादा सप्ताह भर चलेगी उसके बाद सब फिर ढीले पड़ जाएंगे और इसी ढिलाई का फायदा फिर से आतंकी उठाएंगे और निर्दोष लोगों को अपना शिकार बनाएंगे। विस्फोटों के बाद सरकार ने मुआवजा घोषित कर दिया है और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने का वादा किया है। लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या पिछली बार के हमलों में न्याय के कठघरे में लाए गए लोग दोषी साबित होने और सजा सुनाए जाने के बावजूद सजा से अब तक क्यों ‘वंचित’ रखे गये हैं? निश्चित ही इन सबसे आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर होती है। सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने और मिलजुलकर इससे लड़ने के आह्वान भर से आतंकवाद का मुकाबला नहीं किया जा सकता इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

यह भी आश्चर्यजनक है कि 26/11 हमले के बाद देश में अब तक जो दो आतंकी हमले हुए हैं वह महाराष्ट्र में ही हुए। पहला पुणे के जर्मन बेकरी में और अब दूसरा मुंबई में। निश्चित ही आतंकवादी संगठन जानते हैं कि भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई और साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील राज्य महाराष्ट्र में हमला कर देश भर में तनाव पैदा किया जा सकता है, आर्थिक तरक्की की राह में बाधा डाली जा सकती है, विदेशी पर्यटकों का मोहभंग किया जा सकता है, सरकार को विपक्ष और जनता के सीधे निशाने पर लाया जा सकता है और विश्व भर में एक ‘संदेश’ दिया जा सकता है।

बहरहाल, विस्फोटों में मारे गए लोगों को भगवान अपने चरणों में स्थान प्रदान करे, उनके परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करे, यही हर भारतवासी को प्रार्थना करनी चाहिए। साथ ही सभी को सतर्क और एकजुट रहना चाहिए क्योंकि अपने सुरक्षा बलों की सक्षमता पर पूरा विश्वास होने के बावजूद यह बात हर बार साबित हो चुकी है कि आतंकी कहीं भी हमला करने में सक्षम हैं। अब समय है कि इसी माह भारत और अमेरिका तथा भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली रणनीतिक और विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता में आतंकवाद से मुकाबले और सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने का मुद्दा शीर्षस्थ प्राथमिकता पर हो। हमलावरों, उनके समर्थकों, संरक्षकों और उनको कोष उपलब्ध कराने वालों का पता लगाया जाना चाहिए और जो भी लोग निर्दोष जनता की सामूहिक हत्याओं में शामिल हैं उन्हें कड़ा सबक सिखाया जाना चाहिए। वैसे यह खुशी की बात है कि मुंबईवालों का हौसला डिगा नहीं है। उनके इस जज्बे को सलाम किया जाना चाहिए।

जय हिन्द, जय हिन्दी

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नीरज कुमार दुबे
नीरज जी लोकप्रिय हिन्दी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी डॉट कॉम में बतौर सहयोगी संपादक कार्यरत हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा हासिल करने के बाद आपने एक निजी संस्थान से टीवी जर्नलिज्म में डिप्लोमा हासिल कीं और उसके बाद मुंबई चले गए। वहां कम्प्यूटर जगत की मशहूर पत्रिका 'चिप' के अलावा मुंबई स्थित टीवी चैनल ईटीसी में कार्य किया। आप नवभारत टाइम्स मुंबई के लिए भी पूर्व में लिखता रहे हैं। वर्तमान में सन 2000 से प्रभासाक्षी डॉट कॉम में कार्यरत हैं।

4 COMMENTS

  1. ab देखो राहुल baba नहीं गई मुंबई ? ये तो वाही जताई है जहा कांग्रेस का शाशन na हो ?

    in महोदय को pata है ही की अमेरिका नै ? किया लादेन कई साथ ,?

    ? युवराज जी , जो परधन mantri बनना चाहिती है, vo देश को बतिया गई की vo “daud” कई बारे ? कर saktai है ?

    नहीं ये कुछ नहीं करेगी, गोरी mam लाएगी, और हमारा नाश करेगे !

    जय हो चाचा+लदी मौन्त्बतें की ?

    राहुल जी, जय हो गोरी गोरी memo की ?

    राहुल जी, थोड़ी भी शर्म बची है तो अपने mama qavatrochi के पास चले जाओ ? और अपने accont sambhal लो ?

    वेरना, तिहाड़ इस वेटिंग for यू & राजमाता ?

    tum गोरे खा गई इस महान भारत को !

  2. साथियों भारत में होने वाले ये हमले कभी बंद नही होने वाले ये सास्वत सत्य है
    .
    अब सवाल उठता है क्यों ?

    थोडा दिमाग पर जोर डालो सीधी लाइन में सोचो इसका उत्तर बिलकुल आसन है लेफ्ट राइट मत जाओ .

    उलटे सीधे बयान दे कर जनता को भ्रमित करने वाले ही इन हमलो के पीछे है .
    और इसी बात का फायदा उठा कर १०० करोड़ की आबादी को उल्लू बना कर सत्ता सुख भोग रहे है
    कल तक अखबारों के फ्रंट पेज पर अन्ना ,रामदेव जैसे लोग थे अब देश के निठल्ले लोगो के सचित्र बयान अखबारों की सोभा बढ़ा रहे है .लोकपाल ,कला धन दोनों गये न तेल लेने .

    इस कला में देश के नेता माहिर हो गए है जब भी लोग देश, समाज, विकास ,के मुद्दे उठायेगे सीधे उसे तेल लेने भेज दो ..

    समझ गए दोस्तों

    इसी लिए आज तेल के दम बढे हुए है .

  3. राहुल का कहना कुछ हद ठीक ही है की ये हमले नहीं रूक सकते(गनीमत है उन्होंने यह नहीं कहा की इन छोटे मोटे हमलों से इंडिया की कितनी आवादी कम होगी?),क्योंकि न हममे इन हमलों को रोकने की ताकत है न वह दृढ इच्छा शक्ति जो ऐसे हमलों को रोकने में समर्थ हो.अमेरिका में एक हमला १० वर्षों पहले हुआ था.उसके बाद कोई हमला नहीं हुआ,पर क्या कारण है की हमारे यहाँ बार बार हमले हो रहे हैं और हम हमलों के बाद केवल ब्यान बाजी करके अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं.हर हमले के बाद चाक चौकसी शरू हो जाती है,पर कुछ दिनों बाद हम सब यह भूल जाते हैं और दूसरे हमले के शिकार हो जाते हैं.इसमें सरकार तो दोषी है ही,पर आम जनता भी कम दोषी नहीं है.कुछ अरसे पहले की बात है.मैं ट्रेन में सफर कर रहाथा.वाराणसी स्टेशन पर एक सज्जन डब्बे में आये और बैग रखकर चले गये.कुछ देर के बाद मेरी नजर उस लावारीस बैग पर पड़ी तो मैंने पूछना शुरू किया तो पता चला की बैठे सवारियों में किसी का नहीं है. कुछ लोगों ने कहना शुरू किया की किसी का भी आपको क्या मतलब है,पड़ा रहने दीजिये.ऐसे बैग के मालिक दस मिनट के अंदर आगये और अपना बैग लेकर चले गये,पर मुझे सुनने को मिल गया की आप जैसे बुजुर्ग को तो शांति से बैठना चाहिए.ऐसे हर जगह कोई बम थोड़े रखेगा?.उन मूर्खों को कौन समझाये की ऐसे ही कहीं भी बम रखा जा सकता है..मेरा कहने का अर्थ केवल यह है की सरकारी सतर्कता के साथ नागरिक सतर्कता भी आवश्यक है,इन सबसे निपटने के लिए.अफ़सोस तो यह है की हमारे देश में दोनों ही सतर्कता का अभाव है.

  4. mumbai valo app ki himmat को salam ! rahul जी आपको शर्म नहीं अति ये कहते की – हमलो नहीं रुक सकती ? अगर yahi कम किसी यासे राज्य मई hota jah कांग्रेस नहीं है तो ap turan वहा पहुच जताई और सर्कार को कोसती , अब तो अप्प mumbai bhi नहीं jaogai ? utart परदेश चलाई गई thai , ? की वहा कांग्रेसी सर्कार नहीं है ?

    अमेरिका की बार करती हो rahul जी , kaha hamla हो रहा वहा aur जो अमेरिका नै किया laden वो अप्प bhul गई ?

    rahul जी, jab अप्प परधन मंत्री बनो तो कसाव अदि अन्ताक्वादियो को जरुर chod doge esa hum janta ka vishvash है aur ek कम जरुर करोगे की atankvadiyo को bharat ane kai liye “सुब्सिद्य” जरुर dogai ! जय हो आपकी युवराज जी ????????????????????????????????????????????????????

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