फिल्मों की आड़ में सैक्स रैकेट!!

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देहजीवाओं की गरिमा के खयाल में फिसड्डी सरकारी नियम;

-अनिल अनूप
वेश्यावृत्ति के पीछे सबसे बड़ा कारण क्या है, तो अधिकांश लोगों का जवाब होता है- यौन इच्छा।
यदि आपका भी यही जवाब है, तो हम आपके सामने जो तथ्य प्रस्तुत करने जा रहे हैं, उन्हें पढ़ने के बाद आपका जवाब निश्चित तौर पर बदल जायेगा।
सेक्स वर्कर्स के पुनर्वास के लिए 2010 में दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इस पैनल का गठन किया था। 24 अगस्त 2011 के अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने पैनल की बैठकों में राष्ट्रीय महिला आयोग को भी हिस्सा लेने का निर्देश दिया था।
इस पैनल को अनैतिक मानव तस्करी (रोकथाम) अधिनियम 1956 (आईटीपीए) में कुछ संशोधनों का सुझाव देना है, ताकि देश में रहने वाले सेक्स वर्कर संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीवन-यापन कर सकें।
अखबारों, टीवी या न्यूज वेबसाइटों पर अकसर आप सेक्स रैकेट के खुलासों की खबरें पढ़ते होंगे, जिनकी हेडलाइन कुछ ऐसी होती हैं- ‘ब्यूटी पार्लर में चल रहा था देह व्यापार’, ‘आईएएस के घर पर सेक्स रैकेट’, ‘मुंबई की रेव पार्टी में हाई प्रोफाइल वेश्याएं गिरफ्तार…’ ऐसी खबरें, आप ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते तक याद रखते होंगे।
तथ्य अलग-अलग एनजीओ व विमेन्स स्टडीज़ इंस्टीट्यूट्स द्वारा किये गये अध्ययनों की रिपोर्ट से प्राप्त किये हैं।
राष्ट्रीय एड्स कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार मुंबई देश की सबसे बड़ी सेक्स इंडस्ट्री है। यहां पर 2 लाख से ज्यादा वेश्याएं हैं। सबसे खतरनाक बात यह है कि यहां 50 फीसदी से अधिक वेश्याएं एचआईवी से ग्रसित हैं। वर्ष 2000 में मुंबई में वेश्याओं की संख्या 1 लाख थी।यह संख्या हर साल 10 फीसदी की दर से बढ़ रही है।
देह व्यापार के मामले में कोलकाता दूसरे नंबर पर है। ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार मुंबई एशिया की सबसे बड़ी सेक्स इंडस्ट्री है।
भारत में वेश्यावृत्ति का चलन आज का नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है। प्राचीन भारत में ‘नगरवधु’ हुआ करती थीं। दूसरीं सदी में ईसापूर्व में लिखी गई संस्कृत की कहानी ‘मृचाकाटिका’ में वैशाली की नगरवधु इसी काम के लिये जानी जाती है।
17वीं और 16वीं सदी में गोवा में पुर्तगाली कालोनी हुआ करती थी। यहां पर जापानी दासियां हुआ करती थीं, जिनमें अधिकांश जापान की महिलाएं व कम उम्र की लड़कियां होती थीं, जिन्हें दासी बनाकर उनके साथ सेक्स किया जाता था। पुर्तगाली व्यापारी इन लड़कियों को जापान से पानी के जहाज में भारत लाते थे। यही कारण है कि सदियों से गोवा देह व्यापार का गढ़ बना हुआ है।
19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में अंग्रेजों ने यूरोप और जापान से लड़कियों को लेकर आते थे और भारत में काम कर रहीं अंग्रेजों की सेनाओं में सैनिकों को यौन सुख पहुंचाने का दबाव डालने लगे। ये वेश्याएं सैनिकों को यौन सुख प्रदान करती थीं। यह भी एक बड़ा कारण है कि हजारों की संख्या में भारतीय लोग अंग्रेजी सेना में यौन सुख के लालच में भर्ती हुए।
20वीं सदी के आते-आते क्रूर अंग्रेजों ने भरतीय लड़कियों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया। यूरोप से आयीं वेश्याएं जब अपनी सेवाएं देने में अक्षम हो जातीं, तो उन्हें छावनी में सैनिकों की सेवा करने व उनके लिये भोजन पकाने के लिये तैनात कर दिया जाता।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की 2007 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 30 लाख से ज्यादा फीमेल सेक्स वर्कर हैं, जिनमें 35.47 सेक्स वर्कर 18 साल की आयु से पहले ही वेश्या बन गईं। वहीं ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट ने और भी खतरनाक आंकड़े प्रस्तुत किये। इस रिपोर्ट के अनुसार पूरे भारत में 2 करोड़ सेक्स वर्कर हैं। जिनमें सिर्फ मुंबई में ही 2 लाख हैं। 1997 से 2004 के बीच वेश्याओं की संख्या में 50 फीसदी इजाफा हुआ।
एचआईवी संक्रमित हो रहा सूरत
एड्स कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात का सूरत शहर तेजी से एचआईवी की चपेट में आ रहा है। 1992 में यहां पर कुल वेश्याओं में 17 प्रतिशत एचआईवी से ग्रसित थीं, वहीं सन 2000 में बढ़कर 43 प्रतिशत हो गईं। 2008 की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2008 में यहां की कुल वेश्याओं में 58 फीसदी एचआईवी संक्रमित पायी गईं। यानी सूरत में वेश्यावृत्ति के जाल में फंसने का मतलब एड्स को न्योता दिया थाl
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बॉर्डर पर एक के बाद एक गांव व कस्बे हैं, जहां वेश्यावृत्ति का व्यापार फलफूल रहा है। इन इलाकों को ‘देवदासी बेल्ट’ भी कहा जाता है।
देश का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया कोलकाता का सोनागाछी इलाका है। दूसरे नंबर पर मुंबई का कमाठीपुरा, फिर दिल्ली की जीबी रोड, आगरा का कश्मीरी मार्केट, ग्वालियर का रेशमपुरा, पुणे का बुधवर पेट हैं। इन स्थानों पर लाखों लड़कियां हर रोज बिस्तर पर परोसी जाती हैं।
यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत सेक्स टूरिज्म के बड़े स्पॉट माने जाते हैं। इनके अलावा अगर 2-टियर व 3-टियर शहरों की बात करें तो वाराणसी का मडुआडिया, सहारनपुर का नक्कासा बाजार, मुजफ्फरपुर का चतुर्भुज स्थान ,आंध्र प्रदेश के पेड्डापुरम व गुडिवडा, इलाहाबाद का मीरागंज, नागपुर का गंगा जुमना और मेरठ का कबाड़ी बाजार इसी काम के लिये फेमस हैं।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश में 12 लाख से ज्यादा बच्चियां वेश्यावृत्ति के कार्य में लिप्त हैं। यह खुलासा देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो की रिपोर्ट में हुआ, जो मई 2009 में प्रकाशित की गई।
10 करोड़ महिलाएं वेश्यावृत्ति में
सीबीआई की रिपोर्ट, जिसे गृह सचिव मधुकर गुप्ता ने जारी किया उसके अनुसार देश में 10 करोड़ महिलाएं वेश्यावृत्ति में फंस चुकी हैं। इनमें 40 फीसदी बच्चियां शामिल हैं।
सीबीआई की रिपोर्ट 2009 के अनुसार देश में देह व्यापार में लिप्त लड़कियों में से 90 प्रतिशत तो देश के अंदर ही एक कोने से दूसरे कोने में ले जाकर बेच दी जाती हैं।
देवस्थानों पर बढ़ रही वेश्यावृत्ति
सीबीआई की रिपोर्ट 2009 के अनुसार देश के तमाम देवस्थानों पर जहां लाखों की संख्या में तीर्थयात्री ईश्वर के विभिन्न रूपों के दर्शन करने आते हैं, वहां पर वेश्यावृत्ति तेजी से बढ़ रही है। यह चलन वर्ष 2000 के बाद से तेजी से बढ़ा है। तत्कालीन गृह सचिव मधुकर गुप्ता के अनुसार सीबीआई अभी तक आंकड़े नहीं जुटा पायी है कि कितनी लड़कियां देवस्थानों के आस-पास बने होटलों, धर्मशालाओं व गेस्ट हाउस में अपनी
सेवाएं दे रही हैं।
सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि हमारे देश के कई हिस्सों में वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने वाली कई प्रथाएं चली आ रही हैं। उदाहरण के तौर पर बंगाल की चुकरी प्रथा ही ले लीजिये, जिसके अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति कर्ज चुकाने में नाकाम रहता है, तो उसके परिवार की महिलाओं को अपना शरीर देकर कीमत चुकानी होती है। इसके अंतर्गत एक साल तक लड़की को वेश्या के रूप में मुफ्त में काम करना होता है। इसके लिये 1976 में में सरकारी कानून आया, जिसके अंतर्गत तब से अब तक करीब 2,850,000 महिलाओं को कर्ज चुका कर छुड़ाया जा चुका है।
वेश्यावृत्ति का एक और कड़वा सच यह है कि जब परिवार में आय के साधन बंद हो जाते हैं, तब परिवार की सबसे बड़ी लड़की यह राह चुनती है। एक रिपोर्ट के अनुसार वेश्यावृत्ति में आयीं महिलाओं में 22 फीसदी सिर्फ इसी कारण आयीं।
नेपाल की एनजीओ मैती की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 2 लाख नेपाली लड़कियां देह व्यापार में लिप्त हैं। इनमें से अधिकांश 14 साल की उम्र से कम हैं।
एनजीओ मैती की रिपोर्ट के अनुसार भारत के लोगों में नेपाल से लायी गईं वर्जिन लड़कियां ज्यादा पसंद की जाती हैं। उनके दाम भी काफी ऊंचे लगते हैं। यही कारण है कि नेपाल से लड़कियों को बहला फुसला कर या अगवा कर के भारत लाये जाने का चलन बढ़ रहा है।
1988 में ऑल बंगाल विमेन यूनियन द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में लड़कियों के वेश्यावृत्ति में आने के कारणों का खुलासा किया गया। रिपोर्ट के अनुसार 5.1 फीसदी महिलाएं माता-पिता के कहने पर इस धंधे में आयीं।
सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार 13.8 प्रतिशत लड़कियां दोस्तों के चक्कर में पड़कर वेश्यावृत्ति में आयीं। इसमें खास आकर्षण पैसा कमाना था।
22.6 प्रतिश महिलाएं अपने अपने ही इलाकों में अपना जिस्म बेचती हैं। यानी ज्यादातर लोगों को उनके बारे में पता होता है।23 प्रतिशत महिलाएं अंजान व्यक्ति अथवा दलाल के चक्कर में फंस कर वेश्यावृत्ति में आयीं।
रिपोर्ट के अनुसार 13 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थीं, जो अपनी बहन या अन्य महिला रिश्तेदार के इस धंधे में होने के बाद दाखिल हुर्इं उन्हीं से प्रेरित होकर।
रिपोर्ट के अनुसार 10 फीसदी महिलाएं प्यार में धोखा खाने पर इस व्यापार में आयीं। या फिर उन्हें शादी का झूठा प्रस्ताव देकर इस प्रोफेशन में धकेल दिया गया। 1.5 प्रतिशत महिलाएं अपने पति की सहमति से इस व्यापार में उतरीं। यह रिपोर्ट पश्चिम बंगाल पर आधारित है। इसे भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो आंकड़े थोड़े ऊपर नीचे हो सकते हैं।
भारत में महिलाओं के बीच वेश्यावृत्ति तो सदियों से चली आ रही है, लेकिन अब पुरुष भी इस धंधे में पड़ने लगे हैं। ऐसे पुरुषों को “जिगोलो” कहा जाता है।
भारत में जिगोलो की सेवाएं दिल्ली में तेजी से बढ़ रही है। दिल्ली में एक जिगोलो एक रात के 1 से 3 हजार रुपए तक लेता है। हालांकि ये सभी कंडोम का प्रयोग करते हैं।
पैसा कमाने की होड़ में डिग्री कॉलेजों के लड़के इस व्यापार में लिप्त हो रहे हैं। इन लड़कों से सेवाएं लेने वाली महिलाएं भी बड़े घरानों की होती हैं, जो एक बार के 3 हजार रुपए तक देती हैं। दिल्ली में करीब 20 एजेंसियां हैं, जो जिगोलो की सप्लाई करती हैं।
जिगोलो का ट्रेंड दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ आदि में स्थिति मिडिल क्लास नाइट क्लबों में तेजी से बढ़ा है।
1992 में एक सर्वे में पाया गया कि मात्र 27 प्रतिशत सेक्स वर्कर ही कंडोम का प्रयोग करते हैं, जबकि 1995 में यह संख्या 82 फीसती तक पहुंच गई और 2011 की रिपोर्ट के अनुसार 86 फीसदी सेक्स वर्कर कंडोम का प्रयोग करते हैं। यानी जितनी तेजी से यह व्यापार बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से एड्स संबंधी जानकारियां भी।
बीबीसी वर्ल्ड ट्रस्ट के द्वारा कराये गये एक अध्ययन के अनुसार घरेलू हिंसा भी वेश्यावृत्ति में जाने के लिये लड़की को प्रेरित करती है। शुरुआत में जब घर से गालीगलौज मिलती है और माता-पिता, भाई बहन साथ नहीं देते, ऐसी स्थिति में लड़कियां यह रास्ता अख्तियार करती हैं।
ऑल इंडिया सप्रेशन ऑफ इम्मॉरल ट्रैफिक एक्ट के अनुसार भारत में वेश्यावत्ति को धीरे-धीरे अपराध के दायरे में लाने के प्रयास चल रहे हैं।
एआईएसआईटीए के अंतर्गत कोई भी वेश्या अपना फोन नंबर सार्वजनिक स्थल पर प्रकाशित नहीं कर सकती है। इसके लिये दस महीने की जेल अथवा जुर्माना हो सकता है।
यदि कोई व्यक्ति 18 साल से कम उम्र की वेश्या के साथ सेक्स करता पकड़ा जाता है तो उसे 7 से 10 वर्ष की कैद हो सकती है।
भारत में कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर वेश्यावृत्ति का स्तर बहुत की बुरा है। ऐसी जगहों पर 30 रुपए से वेश्याओं की कीमत की शुरुआत होती है। ऐसा ज्यादातर गांव व छोटे कस्बों में होता है और यहीं पर असुरक्षित यौन संबंध ज्यादा बनते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार 25 फीसदी “चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूट्स” या तो अगवा कर के लायी गई होती हैं या उन्हें खरीद कर लाया जाता है। वहीं 18 फीसदी वेशयाओं का तो 13 से 18 साल की उम्र में ही कौमार्य भंग हो जाता है।
नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 6 प्रतिशत लड़कियां बलात्कार के बाद बेच दी जाती हैं, उसके बाद देह व्यापार के धंधे में आ जाती हैं।
8 प्रतिशत वेश्याओं ने बताया कि उन्हें उनके पिता ने बड़े व्यापारियों के हाथों बेच दिया, जिस वजह से वो आगे चलकर इस व्यापार में आयीं।
50 मिलियन तो सिर्फ भारत से
दुनिया भर में करीब 200 मिलियन वेश्याएं यौन संक्रमित बीमारियों से ग्रसित हैं, जिनमें से 50 मिलियन तो सिर्फ भारत से आती हैl
वेश्यावृत्ति संसार के सबसे पुराने व्यवसायों में से एक है. स्त्रियां इस धंधे में वह खिलौना होती हैं जिनके साथ जब तक मन होता है खेला जाता है और फिर वासना खत्म होने पर धन देकर छोड देते हैं. स्त्रियों का वेश्या बनना समझ में आता है कि पुरुष स्त्री वर्ग की तरफ आकर्षित रहता है और उसकी वासना स्त्री ही मिटा सकती है. लेकिन आधुनिकता, अराजकता और पश्चिमी सभ्यता में वासना की पूर्ति के लिए शायद महिलाएं काफी नही. और इनका कहना है कि यह कहां का अन्याय है कि मर्द जब चाहे तब अपनी वासना की पूर्ति के लिए वेश्याओं का सहारा ले और स्त्री अपना मन मार कर रह जाए, इसीलिए एक नए व्यवसाय का सृजन हुआ “जिगोलो” या “पुरुष वेश्याएं”.
“पुरुष वेश्याएं” सुनकर काफी अटपटा लगेगा लेकिन यह सच है कि आज यह लोग हमारे बीच काफी अधिक मात्रा में मौजूद हैं. जिगोलो का उपयोग महिलाएं अपनी वासना पूर्ति के लिए करती हैं. जब महिलाएं वेश्या बन कर आराम से धन कमा सकती हैं तो पुरुषों में भी यह काम काफी लोकप्रिय हो गया. जिगोलो बने पुरुषों को लगता है कि यह काम उनके लिए आम के आम गुठलियों के दाम जैसा है. और ऐसा होता भी है, लेकिन जब कड़वी सच्चाई सामने आती है तो पैरों तले जमीन खिसक जाती है. कई लोगों से शारीरिक संबंध बनाने के चक्कर में एड्स और अन्य एसटीडी (यौन संक्रमित रोग) इन्हें हो जाता है.
पुरुष वेश्याओं का समाज में ज्यादा प्रयोग महिलाओं द्वारा किया जाता है खासकर उम्रदराज महिलाओं और विधवाओं द्वारा. कामकाजी महिलाएं जिन्हें घर पर अपने पति से सुख नहीं मिलता वह इन जिगोलो की सर्विस का मजा लेती हैं.
लेकिन सबसे अहम सवाल कि रोजगार के इतने साधन होने के बाद भी युवा वर्ग इस दलदल भरे काम को करता क्यों है?
सबसे पहले तो यह जिगोलो प्रणाली भारत में अन्य सामाजिक प्रदूषण की तरह पश्चिमी सभ्यता से आई जहां नंगापन सभ्यता का हिस्सा है. पश्चिमी सभ्यता के कदमों पर चलते हुए भारत में भी युवा वर्ग इस काम को करने लगा क्योंकि उसे इस काम में ज्यादा मेहनत नजर नहीं आता और कमाई चकाचक.
भारत जहां गरीबी काफी ज्यादा है और रोजगार के साधन सीमित हैं, वहां अच्छे जीवन-शैली की तो छोड़ दीजिए अगर आम जिंदगी भी जीनी है तो काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे में बहकते युवा वर्ग को यह काम पैसा कमाने का नया और आसान तरीका लगता है.
भारत एक ऐसी जगह है जहां आपको पानी से लेकर देह सब बिकता नजर आएगा. साथ ही पश्चिमी देशों की नकल करना तो अब भारतीयों की पहली पसंद होती जा रही है. वेश्याओं का भोग करते मर्दों को देखकर उन्मुक्त हो चुकी महिलाओं को अपनी वासना की पूर्ति के लिए जिगोलो के रुप में साधन मिला. और युवाओं के लिए जब पैसा जिंदगी से बढ़कर हो तो कोई काम गंदा या बुरा नहीं मानते.
लेकिन जब भी युवा वर्ग इस तरह का कोई नया काम करता है तो हमेशा इसका सही चेहरा ही उसे दिखता है. उसे इसे काम में छुपा दूसरा पहलू नजर ही नहीं आता. जिगोलो कार्य तो लडकों को सही लगता है क्योंकि पैसों के साथ उन्हें इस काम में मजा भी आने लगता है लेकिन इतनी स्त्रियों से संबंध बनाने के बाद अक्सर उनमें से ज्यादातर एड्स या अन्य घातक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. नतीजा जब वह उम्रदराज होते हैं तो महिलाएं उन्हें इस लायक नहीं समझतीं कि वह उनसे मनोरंजन कर सकें और एड्स आदि के साए में आने से उनका विवाह करना सुरक्षित नहीं होता.
भारतीय समाज के शहरी जीवन में यह प्रदूषण कुछ ज्यादा ही फैला हुआ है क्योंकि एक तो यहां महिलाएं उतनी उन्मुक्त नहीं हैं लेकिन अंदर ही अंदर दबी भावनाओं को शांत करने का वह अक्सर इसका इस्तेमाल करने से पीछे भी नहीं हटतीं. भारतीय समाज में विधवाओं की जो हालत है उससे कोई भी अनजान नहीं और ऐसे में ऐसी महिलाएं इस नए धंधे को आगे बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाने लगती हैं.
यानी इसके समाज में आने का सबसे बडा कारण भी समाज ही है.
जिगोलो का काम कितना बुरा होता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें पुरुष वेश्या कहा जाता है. महिलाएं पुरुषों को उसी तरह इस्तेमाल करती हैं जैसे वह महिलाओं को करते हैं.
इन सब में सबसे अहम बात छुपी रह जाती है कि भारतीय समाज में यह चीज हमारे संस्कारों और सभ्यता के लिए दीमक की भांति है. जिस युवा पीढ़ी पर जमाने भर का बोझ होता है वह चन्द मुश्किलों के आगे झुक कर इस दलदल में फंस जाता है और अपने भविष्य के साथ मजाक कर लेता है.
अगर कानूनी नजर से देखा जाए तो यह बिलकुल मान्य नहीं है. पुरुष वेश्यावृत्ति को भी वेश्यावृत्ति की तरह देखा जाता है और इसे गैर-कानूनी माना जाता है. भारत में वेश्यावृत्ति के खिलाफ कई कानून हैं लेकिन पुरुष वेश्यावृत्ति के खिलाफ कोई ठोस कानून नहीं है . हालांकि इसके बावजूद भी भारतीय कानून इसे वेश्यावृत्ति ही मानता है. जबकि विश्व स्तर पर इसे मनुष्य के स्वतंत्रता के अधिकार से जोड़ कर देखा जाता है.
कई बार पुरुष वेश्यावृत्ति को छुपाने के लिए लिव इन रिलेशनशिप का भी सहारा लिया जाता है. ऐसे में महिलाएं साथी के साथ रहती हैं और किसी कानूनी लफड़े से भी बच जाती हैं.
पुरुष वेश्यावृत्ति को अब व्यापार से जोड़ कर देखा जा रहा है. केरल जैसे राज्यों में जहां लोग गरीब हैं वहां सैलानी अब भारत का रुख सेक्स पर्यटन के रुप में भी करने लगे हैं जहां सैलानी घूमने-फिरने की बजाय सेक्स के लिए आते हैं. सबसे बुरी हालत तो तब दिखती है जबकि इस गन्दे व्यवसाय में कई बार मासूम बच्चों को भी धकेल दिया जाता है.
जिंदगी को व्यापार बनाकर देखने वाले मानव स्वतंत्रता का उद्घोष करते नजर आते हैं और इस आड़ में अपने छुपे अनैतिक मंतव्यों को पूर्ण करने की ख्वाहिश रखते हैं. क्या भारतीय संस्कृति इतनी लाचार और कमजोर है जो ऐसे दुराचारियों के दबाव में आकर परंपराओं और संस्कृति को तोड़ देगी?
अभी भारत में समलैंगिकता और वेश्यावृत्ति तथा लिव इन रिलेशनशिप के प्रति दृष्टिकोण बदलने की बात की जा रही है. बिका हुआ मीडिया और शासन तंत्र भी रह-रह के ऐसे विचारों को समर्थन देता प्रतीत होता है. इसलिए देश की जनता को स्वयं कठोर निर्णय लेकर अपना विरोध दर्शाना चाहिए जिससे शासन को मजबूर कर के ऐसे मुद्दों पर उचित कदम उठाना पड़े.
फिल्म इंडस्ट्री का योगदान…
फिल्म इंडस्ट्री में सेक्स रैकेट का धंधा पांव पसारता जा रहा है। मंगलवार को सावधान इंडिया की अभिनेत्री को सेक्स रैकेट के धंधे में लिप्त पाए जाने पर गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक यह एक्ट्रेस 50 हजार से 1 लाख रुपए तक लेती थी। हालांकि, यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी बॉलीवुड और साउथ की एक्ट्रेसेस सहित कई मॉडल्स सेक्स रैकेट में फंस चुकी है। लेकिन, यह तो साफ है कि सेक्स रैकेट में नाम आने के बाद बदनामी के साथ-साथ करियर भी खराब हो जाता है। यदि हम पिछले एक दो साल पर नजर डाले तो 10 से ज्यादा एक्ट्रेस सेक्स रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार हो चुकी है।
श्वेता बसु प्रसाद: इस अभिनेत्री को हैदराबाद पुलिस ने एक होटल से 8 जून 2016 को सेक्स रैकेट में गिरफ्तार किया था। वर्ष 2002 में आई शबाना आजमी की फिल्म मकड़ी और इकबाल में छोटी बच्ची के किरदार निभाकर श्वेता बसु प्रसाद ने जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की थी। श्वेता ने मकड़ी फिल्म में अपने अभिनय के लिए बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीता था। इस फिल्म के बाद श्वेता टीवी सीरियल कहानी घर घर की और करिश्मा का करिश्मा में भी नजर आई। 23 वर्षीय श्वेता फिलहाल तेलगु सिनेमा में काफी सक्रिय थी।
मिस्टी मुखर्जी : 9 जनवरी 2014 को मुंबई में एक आईएएस ओपी गुप्तारू के घर छापेमारी के दौरान हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था। चौंकाने वाली बात यह थी कि रैकेट कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड अभिनेत्री मिस्टी मुखर्जी चला रही थी। गिरफ्तारी के वक्त मिस्टी मुखर्जी भी आपेत्तिजनक स्थिति में गिरफ्तार की गई थी।
श्रावणी : तेलुगु धारावाहिक ‘हिमाबिंदु’ और ‘लाया’ में काम कर चुकी एक्ट्रेस श्रावणी को एक हाई-प्रोफाइल सेक्स रैकेट मामले में 3 अक्टूबर, 2013 को मधापुर में रंगे हाथों पकड़ा गया था। इतना ही नहीं साथ में जयराज स्टील के मालिक संजन कुमार गोयनका को भी धर लिया गया था।
किन्नरा : दक्षिण भारतीय अभिनेत्री किन्नरा को सेक्स ब्रोकर की भूमिका के लिए आरोपित किया गया था। इसका खुलासा एक न्यूज चैनल के स्टिंग में किया गया। बताया जाता है कि प्रोडयूसर्स और डायरेक्टर्स को प्रलोभन देकर किन्नरा ने फिल्मों में कई रोल हथियाएl
भुवनेश्वरी : कई तमिल फिल्मों और धारावाहिकों में काम कर अच्छा पैसा कमाने के बावजूद भी भुवनेश्वरी ने जिस्मफरोशी का रास्ता अपनाया। 2009 में भुवनेश्वरी को चेन्नई में मुंबई की दो लड़कियों सहित जिस्मफरोशी करते पकड़ा गया। भुवनेश्वरी पर अपने ही अर्पाटमेंट से सेक्स रैकेट चलाने का आरोप था। इस एक्ट्रेस के पड़ोसियों ने पुलिस को गड़बड़ी की आशंका की सूचना दी थी और मामला सेक्स रैकेट का निकला।
सायरा बानू : हैदराबाद में 23 अगस्त 2010 को एक बड़े सेक्स रैकेट का भंडाफोड हुआ। इस रैकेट में एक्ट्रेसेज को रंगे हाथों पकड़ा गया। मौके से 9 लोगों को पकड़ा गया जिनमें 2 फिल्म एक्ट्रेस शामिल थी। इनमें से एक साउथ की सर्पोटिंग एक्ट्रेस सायरा बानू थी। साथ ही, एक उजबेकिस्तान की महिला को भी गिरफ्तार किया गया।
यमुना : पॉपुलर दक्षिण भारतीय अभिनेत्री यमुना को बेंगलुरु पुलिस ने कथित सेक्स रैकेट में शामिल रहने के आरोप के चलते गिरफ्तार किया। पुलिस ने बेंगलुरु की वि_ल माल्या रोड़ पर स्थित एक होटल से यमुना को गिरफ्तार किया था।
ऐश अंसारी : ‘चलते चलते’ और ‘ओम शांति ओम’ जैसी बड़ी फिल्मों में काम कर चुकी दक्षिण भारतीय एक्ट्रेस ऐश अंसारी को 5 नवंबर, 2013 को रंगे हाथ जिस्मफरोशी करते हुए पकड़ा गया। जोधुपर के राइकाबाग रोड स्थित एक होटल में तीन अन्य महिलाओं के साथ इस एक्ट्रेस को धर लिया गया। बताया जाता है कि ऐश अंसारी से जुड़ा यह सेक्स रैकेट ऑनलाइन ऑपरेट होता था।
निहारिका : दक्षिण की एक और अभिनेत्री को जिस्मफरोशी में लिप्त होने के चलते पकड़ा गया। निहारिका ने कुछ फिल्मों में जूनियर आर्टिस्ट के रूप में काम किया। निहारिका एक ज्वैलर के साथ रंगे हाथों पकड़ी गई थी। निहारिका ने बताया कि ज्वैलर ने उसे फिल्मों में काम दिलाने का भरोसा दिलाया था। उसका कहना था कि वह सेक्स रैकेट से इसलिए जुड़ी थी कि उसको फिल्मों के ऑफर मिलते रहें।
सुकन्या : तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों की एक्ट्रेस और प्रोफेशनल भरतनाट्यम डांसर सुकन्या को चेन्नई के एक होटल से मार्च, 2016 में देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
-अनिल अनूप

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