शबनमी आेश के कण

 राकेश कुमार सिंह

शबनमी ओश के कण
मोती सदृस्य बिखरे हुये,
कोमलता पारदर्शी,
मुखड़ा तुम्हारा याद आया !

शीतल मंद वायु का झोका,
मौसम अठखेलियाँ करता हुआ,
गुंजार भ्रमरों का सुना तो,
हँसना तुम्हारा याद आया !

चटखती हुई कलियाँ;
महक पुष्पित फिजा की,
निर्गमित आह्लाद बनकर,
पायल छनकाना तुम्हारा,
बरबस हमें याद आया !

उत्कंठा अटल अभिराम सिंचित,
बेदना घायल पलो की,
गंध बनकर रच बस गया,
अंतर्तम का बाँकपन,
फिर से मुझको याद आया !

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राकेश कुमार सिंह
जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 15 फरवरी सन 1965 को हुआ। शिक्षा स्नातक पेशे से सिक्योरिटी ऑफिसर वाईएमसीए नई दिल्ली में कार्यरत शौकिया लेखन क्रॉउन पब्लिकेशन के द्वारा काव्य संकलन *'यादें'* इपीफैनी पब्लिकेशन के द्वारा काव्य संग्रह *तुम्हारे बिना* और स्ट्रिंग पब्लिकेशन के द्वारा *सीपियाँ*और *काव्यमंजरी* प्रकाशित। (काव्य संकलन 120 सर्वश्रेष्ठ कविताएं *दिव्या* और 200 सर्वश्रेष्ठ शायरियां साझा संकलन में सहभागिता ऑनलाइन पत्रिकाओं जैसे प्रवक्ता.कॉम, अमर उजाला.कॉम, रिटको.कॉम, योर कोटस.कॉम पर हजारों रचनाएं प्रकाशित।

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