जश्न -ए -आज़ादी का मुबारक मौका है । हम भारतीय फूले नहीं समा रहे । तेजी से विकसित हो रहे इंडिया के सुखद सपनों में खोये हुए लालकिले की प्राचीर से माननीय प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम भाषण सुनकर छाती चौडी हो रही है । निकट भविष्य में हम विश्वशक्ति होंगे । ए सब चल ही रहा था कि तभी अचानक मीडिया का बैताल प्रकट हुआ और उसने हमारी असली औकात बताने वाली जानकारी दी । शायद , आप लोगों तक भी ख़बर पहुँची होगी । अमेरिका (जिसके राष्ट्राध्यक्षों से लेकर नौकरशाहों तक के तलवे चाटने की आदत है हमें ) के न्यूजर्सी हवाई अड्डे पर इंडियन आइकोन शाहरुख़ खान को पूछताछ के नाम पर २ घंटे तक रोक कर रखा गया । भारतीय दूतावास से अनुरोध किए जाने पर खान को जाने की अनुमति मिल पाई । यह पहला वाकयानहीं है जब किसी भारतीय हस्ती के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार किया गया है । ऐसे घटनाओं में पूर्व राष्ट्रपति कलाम , पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नाडिज जैसे बड़े और प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं । अरे , कैसी आज़ादी ? कैसा भूमंडलीकरण ? क्या हम भारतीयों की यही औकात रह गई है ? जहाँ वीआईपी लोगों के साथ जानबूझ कर बदतमीजी होती हो वहां एक आम आदमी क्या उम्मीद रखे ? एक अमेरिकन एयरलाइन्स के द्वारा भारत की जमीं पर डा ० अब्दुल कलाम के कपड़े उतरवाने को लेकर चले हंगामे को अभी महिना भी नहीं बीता है । भारत सरकार के मंत्रिओं ने बड़ी- बड़ी बातें कही थी । ढेरों वादे किए थे । लेकिन लगता नहीं है कि यह सरकार स्वाभिमान का अर्थ समझती है । दरअसल , जब सरकार के मुखिया को हीं किसी के चरण धोकर पीने की आदत हो तब सिपाहियों से कैसी उम्मीद ! अभी हाल में ही हिलेरी क्लिंटन भारत पधारी तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे स्वर्ग से देवराज इन्द्र पधारें हों । सहिष्णुता ,अतिथि सत्कार , वसुधैव कुटुम्बकम आदि के खोखले सिद्धांतों के नाम पर अपने स्वाभिमान को बेच दिया है । हमें सर झुकने की आदत हो गई है । बहार हाल स्वतंत्रता दिवस के दिन हुई इस घटना से एक सवाल उठता है कि क्या बिना रीढ़ की हड्डी वाली मनमोहन सरकार से देश के आन,बाण और शान की रक्षा व्यावहारिक रूप में संभव है ?