जयपुर। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत को जयपुर में अश्रुपूरित नेत्रों से अंतिम विदाई दी गई। उनकी शवयात्रा रविवार सुबह 10:35 बजे सिविल लाइंस स्थिति उनके सरकारी आवास से रवाना हुई, जिसमें सभी दलों के वरिष्ठ नेता, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक और उनके हजारों प्रशंसक एवं परिजन शामिल थे।
शेखावत का पार्थिव शरीर सबसे पहले भाजपा की प्रदेश इकाई के मुख्यालय में लाया गया था, जहां कई लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। फूलों से सजा वाहन, जिसमें शेखावत का पार्थिव शरीर था, शहर से गुजरा तो लोगों की आंखें नम हो गई। पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए स़डकों पर हजारों लोग इकट्ठा हो गए। जयपुर की सड़कों पर “भैरोसिंह अमर रहे.. अमर रहे” और “राजस्थान का एक ही सिंह, भैरोसिंह.. भैरोसिंह” की गूंज सुनाई दे रही थी।
शवयात्रा से पहले पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी.एल.जोशी, गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला, हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, लोकसभा में उपनेता प्रतिपक्ष गोपीनाथ मुंडे, राज्यसभा में भाजपा दल के नेता अरुण जेटली, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय कृषिमंत्री शरद पवार, केंद्रीय मंत्री सी.पी. जोशी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाशसिंह बादल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन, नजमा हेपतुल्ला, ज्ञानप्रकाश पिलानिया, अजरुन मेघवाल, गिरिजा व्यास, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष परसराम मदेरणा ने शेखावत की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख मदनदास देवी, भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल, सहसंगठन महामंत्री सौदान सिंह और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी शेखावत को श्रद्धांजलि दी। इनके अलावा मुख्यमंत्री गहलोत ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी की ओर से भी पुष्पचक्र चढ़ाए।
राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके शेखावत का शनिवार को निधन हो गया था। वे 86 वर्ष के थे। उन्हें बेचैनी और सांस लेने में तकलीफ की वजह से गुरूवार को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनके परिवार में उनकी पत्नी सूरज कंवर और एक बेटी है।
एक सच्चे राष्ट्रसेवक की जीवनगाथा
भैरोसिंह शेखावत राजस्थान के सबसे अधिक लोकप्रिय नेताओं में एक थे। श्री शेखावत का जन्म 23 अक्तूबर 1923 को राजस्थान के सीकर ज़िले के कचारियावास गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 1952 में भारतीय जनसंघ के सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। वह 1952 में पहली बार सीकर जिले के दांतारामगढ़ से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे। वे मध्य प्रदेश से 1974 में राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा किए जाने के बाद उन्होंने 19 माह जेल में बिताए।
श्री शेखावत ने 22 जून 1977 को पहली बार राजस्थान के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में राजस्थान में गरीबोत्थान के लिए “अंत्योदय योजना” शुरू की थी, जिसकी देश-विदेश में काफी प्रशंसा हुई।
केंद्र की जनता पार्टी सरकार के असामयिक पतन के बाद देश में हुए आम चुनावों में कांग्रेस एक बार फिर से केंद्र में सत्तासीन हुई। श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद-356 का प्रयोग करते हुए 16 फरवरी 1980 को शेखावत की सरकार को बर्खास्त कर दिया। इसके बाद राज्य विधानसभा के चुनाव कराए गए। भारतीय जनसंघ में आपसी फूट के कारण कांग्रेस दोबारा सत्ता में आ गई।
6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनसंघ के स्थान पर भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। इस गठन में श्री शेखावत की प्रमुख भूमिका मानी जाती है।
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या और उसके बाद देश भर में उपजे सहानुभूति के कारण राजस्थान की सत्ता एक बार फिर कांग्रेस के हाथों में चली गई। विधानसभा की 200 में से 114 सीटों पर कांग्रेस के सदस्य विजयी हुए थे।
हालांकि, 1989 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल गठबंधन ने इतिहास रचते हुए लोकसभा के साथ-साथ राज्य विधानसभा में भी अनूठी विजय हासिल की। गठबंधन के प्रत्याशी राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुए। वहीं विधानसभा की 200 सीटों पर भाजपा के 140 सदस्यों ने जीत दर्ज की। भैरोसिंह शोखावत दोबारा राजस्थान के मुख्यमंत्री बने।
अगले विधानसभा चुनाव यानि 1993 में भाजपा और जनता दल का गंठबंधन टूट गया। लेकिन शेखावत के कुशल नेतृत्व में इस चुनाव में भी भाजपा मजबूती से डटी रही। भाजपा 96 सीटें जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस ने जोड़-तोड़ की राजनीति के तहत शेखावत को सरकार बनाने से रोकने की पूरी कोशिश की, पर निर्दलीय विधायकों के समर्थन से शेखावत तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।
1998 के चुनाव में प्याज की बढ़ती कीमतों के कारण भाजपा को राजस्थान विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
2002 में उपराष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के सुशील कुमार शिंदे को हराकर शेखावत देश के 11वें उपराष्ट्रपति बने। जुलाई 2007 में भैरोसिंह शेखावत ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार वो कामयाब नहीं हो पाए। वह 21 जुलाई 2007 तक उप-राष्ट्रपति के पद पर रहे।