सुखैन वैध की परम्परा को वापस लाना जरूरी – श्रीपाद येसो नाईक

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shripad yeso naikसुखैन वैध की परम्परा को भारत सरकार फिर से वापस लाना चाहती है क्यांे कि जो उपचार पुरानी परम्पराओं में योग व आयुर्वेद के मिश्रण से हो जाता था और आम आदमी की पहुंच में था उसे खत्म होने से बचाया जा सकता है। यह एक एैसी पैथी है जिसमें सभी उपचार होते है होने से पहले वाले रोगों का और होने के बाद वाले रोगों का भी । चाहे आप आयुर्वेद की बात करे तो मुनि लोग इससे लोगों को लाभ देते थे । उसके बाद होमियोपैथी से इलाज होता था जिसमें शुद्ध शाकाहारी व्यवस्था सृजित है पेडो के अर्क से तैयार यह पैथी आज बहुत ही कम खर्च में लोगों को लाभ दे रही है । जरूरत हे इसके महत्व को हर भारतीय के बीच पहुंचाने की ताकि लोग इससे परिचित हो और एलोपैथी के नाम पर जो अनावश्यक पैसे खर्च कर रहे है उससे निजात पा सके। यह बात केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद येसो नाईक ने एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान अरूण पाण्डेय से कही ।
उन्होने कहा कि भारतीय परम्परा बहुत ही प्राचीन है और ऋषि मुनियों के ज्ञान से सारा विश्व परिचित है उन्होने एैसी जडी बुटियां खोज निकाली जिससे असाध्य रोगों का इलाज हो सका। रामायण की एक धटना जिसमें लंका पर विजय की लालसा में जब लक्ष्मण जी मुर्छित हो गये तो उस समय सुखेन वैघ ने संजीवनी से उपचार किया था यह बात सारा भारत जानता है और हम इसी परम्परा को आगे बढा रहे है। प्राइमरी केन्द्रों पर आयुर्वेंद व होमियोपैथी पद्धति से भी इलाज हो इसकी व्यवस्था मानव संसाधन मंत्रालय की तरफ से की जा रही है और सभी राज्यों से कहा जा रहा है कि अपने राज्य में कुछ बजट जो चिकित्सा के मद से आता है उसका कुछ हिस्सा इस मद में भी खर्च करे।
श्रीपाद ने कहा कि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक आयुष से जुडे मामले जैसे योग व आयुर्वेद को प्राइमरी तौर पर अपने राज्यों में शुरूआत करने को लेकर बात की थी और अनुरोध किया था कि वह अपनी योजना इस बाबत बनाकर उन्हें भेेजें लेकिन आज तक कोई योजना किसी गैर भाजपाई सरकार ने नही भेेजा। उन्होने उम्मीद जताई कि स्मृति ईरानी के प्रयासो ंसे आने वाले समय में हम अच्छा माहौल बना पायेगें। श्रीपाद ने आशा जताई कि जिस तरह से आयुर्वेद के प्रति लोगों का झुकाव हुआ है और उसकी मांग बढी है उसी तरह योग को लेकर भी सभी भारतीय जागृत होगे।
एक सवाल के जबाब में श्रीपाद ने कहा कि जनजाति चिकित्सा पद्धति , पंचकर्म व अन्य चिकित्सा पद्धति जो प्राचीन काल से भारत की पहचान रही है उनपर शोध कार्य चल रहा है लेकिन आयुष बडा विषय है और उसके लिये बडे बजट की आवश्यकता है किन्तु प्रधानमंत्री जी के सहयोग से इसे आगे बढाने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी एक झलक राजपथ पर पिछले 21 जून को दिखी थी।आगे समय समय वह उनका मार्गदर्शन इस मंत्रालय को मिल रहा है जिससे हम अपने लक्ष्य को 40 प्रतिशत तक आने वाले साल में प्राप्त कर लेगें।
श्रीपाद येसो नाईक उत्तरी गोआ निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए ।उनके परिवार में  उनकी पत्नी के अलावा तीन बेटे है और उनकी मां जयश्री येसो नाईक व पिता येसो भिकारी नाईक अब इस दुनिया में नही है।उन्होने बंबई विश्वविद्यालय, मुंबई और गोवा विश्वविद्यालय, पुणे, महाराष्ट्र में पढ़ाई की। उन्होने कई पदो ंपर काम किया जिसमें 1984-1993रू सरपंच, ग्राम पंचायत, दूरभट रहे, उसके बाद 1988-90रू के महासचिव, भाजपा गोवा प्रदेश के रहे, 1988-2000 और 2004 के बाद से राष्ट्रीय कार्यकारिणी भाजपा के सदस्य रहे। उसके बाद 1994-1999 तक गोवा विधान सभा के सदस्य रहे।1995-1996रू सदस्य, लोक लेखा समिति, गोवा विधान सभा रहे।1999रू नेता, भाजपा विधायक दल चुने गये।1999-सितम्बर 2000 तक सदस्य, प्रत्यायोजित विधान संबंधी समिति, गोवा विधान सभा रहे। श्रीपाद येसो नाइक 30 सितंबर 2000 – 2 नवंबर 2001 में 13 वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।2 नवंबर 2001 – 14 मई 2002 तक परिवहन और पर्यटन पर बनी समिति के सदस्य रहे। 2002-2003 में सदस्य, समिति सभा की बैठकों से सदस्यों की अनुपस्थिति पर रहे।24 मई 2003 – 8 सितंबर 2003 तक ग्रामीण विकास के सदस्य, सलाहकार समिति, मंत्रालय रहे। 8 सितंबर 2003 – 22 मई 2004 केा केन्द्रीय राज्य मंत्री, कृषि बने फिर 2004रू राज्य मंत्री, नौवहन व 7 अगस्त 2007 को राज्य मंत्री, नागरिक उड्डयन व 2009 को राज्य मंत्री, सड़क परिवहन और राजमार्ग व 31 अगस्त 2009  राज्य के वित्त मंत्री (राजस्व) ,7 अक्टूबर 2009  14 वीं लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित हुए । मई, 2014 में शहरी विकास संबंधी समिति के सदस्य रहे।27 मई 2014 9 नवंबर 2014 को पर्यटन के सदस्य, सलाहकार समिति, मंत्रालय रहे। इसके बाद 9 नवंबर 2014 के बाद  संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के सदस्यों पर समिति (एमपीएलएडीएस) रहे।

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