जनता के पैसे के दुरूपयोग पर चुप्पी, क्यों..?

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-नन्‍दलाल शर्मा

हालियॉ रिलीज फिल्म ‘नाँकआउट’ का एक चरित्र कहता है। ‘ क्या तुम्हें पता है कि हजार रुपए का नोट ‘ गुलाबी क्यों होता हैं’। क्यों कि वह देश की जनता के खून से रंगा होता है। लेकिन शायद कांग्रेसियों को इस बात का इल्म नहीं हैं कि उनके पालतू पैसाखोरों ने जिस पैसों से अपनी सेहत और मालदार बनाई है, वो पैसा भी खून पसीने से कमाया हुआ था।

देश के नामी गिरामी खानदान के राजकुमार और भविष्य की प्रधानमंत्री कुर्सी पर नजर गङाए ‘युवराज’ को ये दोहराना आता है कि ‘केन्द्र का एक रुपया आम आदमी के पास पन्द्रह पैसे के रूप में पहुँचता हैं। लेकिन ये नजर नहीं आता कि उन्हीं के नाँक के नीचे उनके पालतुओं नें करोंङों पचा डाले। पता भी कैसे चले जब आँखों पर गांधारी की तरह पट्टी बंधी हो और कान बहरे बन गए हो।

यही गांधी परिवार है,जिसका पसंदीदा डॉयलॉग है ‘आम आदमी का हाथ, कांग्रेस के साथ’ लेकिन मैं इसको इस तरह देख रहा हूँ कि ‘आम आदमी का पॉकेट,कांग्रेस के हाथ’। विकास और पारदर्शिता के बल पर युवाओं को भ्रष्ट राजनीति की काल कोठरी में खींच लाने का दंभ भरने वाले युवराज को अपने पैसाखोरों का गला दबाने नहीं आता। बल्कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठकों में पुचकारतें हुए उनका दिन कट जाता हैं।

कलमाडी, चव्हाण, राणे कांग्रेस की गोद में बैठे ए. राजा न जाने कितने पैसाखोर भरे पड़े है कांग्रेस की झोली में, लेकिन कमेटियां बनाकर देश की जनता की आखों में धूल झोंकी जा रही है। आधे महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, लेकिन किसी भी जांच कमेटी का हाथ कलमाडी के गिरेबां तक नहीं पहुंचा है और ये दिवास्वपन ही होगा कि कलमाडी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे।

कारगिल शहीदों की विधवाओं का हक मारने वाले चव्हाण को जिस अंदाज में अभयदान दिया गया है। वो काफी हास्यास्पद है। लेकिन यहां सब कुछ जायज है। वो दौर बीत गया जब कांग्रेस कमेटी की बैठकों में ज्वलंत मुद्दों पर गर्मागरम बहस हुआ करती थी। लेकिन अब इसका आयोजन सिर्फ मैडम के जयकारे लगाने के लिए किए जाते है।

ईमानदारी का तमगा गले में डाले घूम रहे माननीय प्रधानमंत्री को कुछ सूझ ही नहीं रहा है कि वो अपनी मर्जी का करे या मैडम की। लेकिन प्रधानमंत्री जी को तो कुर्सी की लालच ने आ घेरा है, शायद इसीलिए उनकी जुबान पर ताले पड़ गए है। भ्रष्टाचार और घोटालों के मुद्दॆ पर पूरा कांग्रेसी कुनबा चुप बैठा हैं। केन्द्र के पैसे का बहाना लेकर विपक्षी दलों पर शब्दबाणों की बौछार करने वाले युवराज जनता के पैसे का दुरुपयोग होने पर चुप क्यों है, । ‘ हो सकता है उनके पास इसके अलावा और भी काम हो ‘ ।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में जिस तरह से चव्हाण और कलमाडी को जगह दी गई थी। उससे तो यही लगता है कि इन मुर्गों को बख्श दिया गया है। लेकिन जनता इनका पैमाना समझती है और जनता इसका हिसाब भी लेगी। तब पता चलेगा कि अपने दामन में लगे दागों पर नजर रखनी चाहिए, ना कि कट्टरपंथियों की आड़ लेकर खुद के पाक साफ होने का ढोल पीटे।

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