छह माह में आशाओं के नये दीप जले

मृत्युंजय दीक्षित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा गठबंधन सरकार के अब छह माह पूर्ण हो गये हैं। इन छह माह में मोदी सरकार जिस प्रकार से आगे बढ़ रही है उससे देश की जनता में आशा की नयी उम्मीद जगी हैं नये दीप जले हैं। विगत छह माह में काफी कुछ बदलाव देखने को मिले हैं तथा अब देश की जनता को लगने लगा है कि वाकई अच्छे दिन आ रहे हैं। भले ही उनकी गति कुछ धीमी हो। मोदी सरकार में देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के स्पष्ट संकेत दिखलाई पड़ रहे हैं। मोदी सरकार में पेट्रोल- डीजल के दामों में गिरावट हो रही है , मुद्रास्फीति नियंत्रित होती नजर आ रही है। प्रधानमंत्री जन- धन योजना परवान चढ़ रही है जिसके कारण नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ भी बढ़ रहा है। आमजनमानस को भी लगने लगा है कि महंगाई कुछ कम अवश्य हुई है साथ ही नियंत्रित भी है। पहली बार देश को बोलने वाला प्रधानमंत्री मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलो गांव की ओर कार्यक्रम अपनी रफ्तार पकड़ रहा है। लगभग सभी सांसद सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत एक गांव को गोद ले चुके हैं। गांवो को गोद लेने का कार्यक्रम अनवरत जारी है। इसी प्रकार कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने देश के वैज्ञानिकों से भी एक गांव गोद लेने को कहा है। आईआईटी और आईआईएम को भी कम से कम एक गांव गोद लेने को कहा गया है। यदि यह योजना फलीभूत हुई तो और धरातल पर कामयाब हो गयी तो देश के गांवो व गरीबों के वाकई में अच्छे दिन तो आ ही जायेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छता अभियान भी अब धीरे- धीरे गति पकड़ रहा है। देश की काई जानी- मानी हस्तियां प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान में शामिल होकर स्वच्छता और शौचालय निर्माण के प्रति देश की जनता को जागरूक करने का अभिनव अभियान छेड़ दिया है। प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली से पूरा देश प्रभावित हो रहा है। मोदी की लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है। विभिन्न टी वी चैनलों व सोषल मीडिया में कराये गये विभिन्न सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मोदी की लोकप्रियता लगभग 87 प्रतिशत तक बढ़ गयी है। न्यायपालिका के माध्यम से कोयला घोटाले सहित अन्य बड़े घोटालों की फाइलें आगे बढ रही हैं तथा लगने लगा है कि अब भविष्य में कानून का राज होगा अर्थात हर बड़े मामलों में कानून अपना काम करेगा । कोई भी राजनेता हो या संत या फिर समाज का बड़े से बड़ा अपराधी अपने आपको बचा नहीं सकेगा। केंद्र की मजबूत सरकार तथा मजबूत न्यायपालिका और सक्षम कानून के एक साथ हो जाने के बाद अपराधियों और घोटालेबाजों की नींद अवश्य हराम हो गयी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई बड़ी योजनाएं परवान चढ़ रही हैं जबकि डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी, रेलवे में बदलाव की बयार व गंगा नदी सहित अन्य नदियों का सफाई अभियान अभी सिरे चढ़ना बाकी तो है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी अपने सभी सपनों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से आष्वस्त हैं। प्रधानमंत्री मोदी का करिष्मा हरियाणा और महाराष्ट्र में तो चल गया लेकिन अभी झारखंड और जम्मू कष्मीर में उनकी परीक्षा का एक दौर चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने छह माह के कार्यकाल में देश को एक चैंकाने वाला रक्षामंत्री दिया है। किसी राजनैतिक विष्लेषक ने सपने में भी नहीं सोचा था कि गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर जैसा शानदार व्यक्तित्व देश का रक्षामंत्री बनेगा। देश के नये रक्षामंत्री ने पहली बार ही सभी सेनाओं के प्रमुखोें को प्रतिदिन नौ बजे तक कार्यालय मेंं रहने का फरमान दिया। 28 वर्षो के बाद बोफोर्स तोपों का एक बार फिर बड़ा समझौता किया गया। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय में कई अन्य बड़े हथियार समझौतों को भी हरी झंडी दी जा चुकी है। रक्षा मंत्रालय सहित देश के कई मंत्रालयों में विकास की सुस्त रफ्तार तेज हो रही है। विकास की गति में अब पर्यावरण मंत्रालय रोज ब रोज रोड़ा नहीं बन पा रहा है। सड़क परिवहन मंत्रालय सहित सभी विभागों का काम गति पकड़ रहा है।

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी सहित कई मंत्रियों को उनकी अनुभवहीनता के चलते विपक्ष उनको किसी न किसी न मामले में घेरने का असफल प्रयास करता है लेकिन निराशा ही हाथ लगती है। मानव संसाधन मंत्रालय ने हाल ही में कक्षा छह से 12 तक जर्मन भाषा के स्थान पर संस्कृत भाषा को पढ़ाने का निर्णय लिया जिसको लेकर देश के तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी लोगों की ओर से इसका विरोध किया गया। इन लोगों को लगता है कि देश की भावी पीढ़ी के लोग संस्कृत पढ़कर 21वीं सदी में नहीं जा सकते जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं हैं।         अपने छह माह के कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को जो भी काम अभी तक सौंपे हैं उसे डोभाल ने चिरपरिचित अंदाज में पूरा किया है। बर्दमान विस्फोट को डोभाल ने जिस गंभीरता व चतुराई से हल किया है तथा नये खुलासे किये हैं उससे बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी गहरे दबाव में आ गयी हैं। अब डोभाल को चीन सीमा विवाद हल करने का जिम्मा दिया गया है। कालेधन पर विपक्ष सरकार को घेरने में लग गया है। सर्वोच्च नयायालय से सुप्रीम फटकार भी लग चुकी है। लेकिन मन की बात कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री देशवासियों से कह चुके हैं कि वे प्रधानसेवक पर भरोसा रखें हम हरहालत में विदेशों में जमा एक- एक पाई लाकर रहेंगे। साथ ही विभिन्न सर्वेक्षणों में भी यह बात उभर कर आ रही है कि लगभग 67 प्रतिशत जनता को उम्मीद है कि देश का कालाधन जो कि विदेशों में जमा है उसे मोदी सरकार वापस लाकर रहेगी। देश की जनता को सरकारी कामकाज में भी सुधार होता प्रतीत हो रहा है। लगभग 80 प्रतिशत जनता का का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली का असर सरकारी बाबुओं व कार्यालयों पर भी पड़ा है।

एक प्रकार से देश की जनता का प्रधानमंत्री मोदी व सरकार पर भरोसा कायम है।प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता विदेशों में बहुत बढ़ी है। नेपाल से लेकर अमेरिका तक फिर वह चाहे संयुक्तराष्ट्र की महासभा की बैठक हो या फिर म्यांमार में आसियान शिखर सम्मेलन व आस्टेªलिया में जी- 20 देशों की बैठक हर जगह मोदी- मोदी की गूंज सुनाई दे रही है। विश्व का हर बड़ा नेता आज मोदी से मिलने के लिए आतुर हो रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को 26 जनवरी को मेहमान बनाकर एक ऐतिहासिक कारनामा कर दिखाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे से भारत अमतेरिका सम्बंधों में एक नया युग प्रारम्भ हो सकता है।

आज प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का आलम यह है कि मोदी अमेरिकी पत्रिका ”टाइम“ के “पर्सन आफ द ईयर” हो सकते हैं। मोदी 7.7 प्रतिशत वोट पाकर तेजी से पहले स्थान पर पहुँच गये हैं। उन्होनें रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को लोकप्रियता के मुकाबले पछाड़ दिया है।

वैसे भी जब से मोदी की सरकार बनी है तब से रोज ही कुछ न कुछ बदल रहा है और हो भी रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर बच्चों को संबोधित किया। हाइटेक युग में प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के माध्यम से जनता से सीधे अपनी बातें कहकर सभी को हैरान कर दिया है। फिलहाल अभी तो मोदी सरकार बनी है छह माह हो गये हैं। सरकारी कामकाज को लगभग समझ लिया है तथा कुछ पर काम जारी है। शीघ्र ही कई कोणों से कुछ धमाके होंगें ही। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कांग्रेसमुक्त अभियान में लगे हुये है। मुस्लिम तुष्टीकरण और जन- धन की लूट बंद हो चुकी है अब इनको लूटने वालों के बंद होने का समय आ गया है।रोजा इफ्तार और चादरें चढ़ाने तथा सरकारी बंगलो पर कब्जा करने का खेल भी समाप्त हो चुका है। यही कारण है कि कुछ लोग मोदी के खिलाफ अभी भी जहर उगल रहे हैं तथा उनको ”दंगागुरू“ और “सेल्फीगुरू” तक कहकर अपमानित करने का असफल प्रयास कर रहे हैं। ऐसे लोगों की जमीन दरक रही है। नयी सरकार में आशाओं के दीप बराबर जल रहे हैं। अच्छे दिन आ रहे हैं।

2 COMMENTS

  1. मृत्युंजय दीक्षित जी आप तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा गठबंधन सरकार के अब “छह माह में आशाओं के नये दीप जले” दिखा रहे हैं लेकिन खेद है कि भारत में पढ़ा लिखा एक ऐसा वर्ग है जो निराशा में उन दीपों को ही बुझाने में लगा हुआ है| स्वतंत्रता दिवस प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से भारत पुनर्निर्माण की रूपरेखा व्यक्त करते उन्होंने करोड़ों लोगों के दिल में आत्मविश्वास जगा दिया है। इसके अतिरिक्त कुल जनसंख्या के अल्पसंख्यक पढ़े-लिखे स्वार्थी लोग तीव्र अभाव-ग्रस्त भारतीय समाज में अराजकता के बीच अनुचित व्यक्तिगत लाभ अथवा विशेषाधिकार के कारण दूसरों के कंधे पर बैठ जीवन यापन कर रहे हैं| उन्हें देश में विकास और उसके सार्वजनिक लाभ अथवा राष्ट्र-प्रेम से कोई दूर का भी संबंध नहीं है| ऐसी अवस्था में इन लोगों को तो उनका “व्यक्तिगत सिंहासन” डोलते दिखाई देता है| बौखलाते केवल विरोध ही उनके चरित्र का अंग बन कर रह गया है| अंधों में इन कानें राजाओं की अवहेलना करते हुए सामान्य नागरिक में आत्म-सम्मान व व्यक्तिगत गौरव के भाव जगाने होंगे|

  2. मैं युवा लेखक के दो एक बातों से अवश्य सहमत हूँ.एक तो देश को बहुत अरसे के बाद एक बोलने वाला प्रधान मंत्री मिला है.आप जबतक प्रधान मंत्री की बात को समझने का प्रयत्न करेंगे ,तब तक एक नयी बात सामने आ जाकयेगी और आप उसमे उलझ कर रह जाएंगे,पर मूल रूप से आजतकउन्होने जो किया है,वह या तो उनके विदेश मंत्री को करना चाहिए था या उनके मीडिया सलाहकार को.अभी तक जिस को लोग उछाल रहे हैं,वह है पेट्रोल और डीजल के दामों में भारी गिरावट .क्या माननीय लेखक बता सकते हैं की उसमे प्रधान मंत्री या उनकी सरकार का क्या योगदान है?अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत आज उस स्तर पर पहुँच गयी है,जहां शायद पांच वर्ष पहले थी.क्या पेट्रोल और डीजल के भाव उस स्तर पर पहुंचे हैं?रजत शर्मा जैसे नमो समर्थक ने भी इंडिया टी.वी. में स्वीकार किया है कि इसमें भारतीय सरकार का कोई योगदान नहीं है.एक तो इन महीनों खाद्य सामग्रियों की कीमत यों भी कम रहती है,उसपर डीजल के दाम घटने का भी प्रभाव उसपर पड़ा है.नदियों की सफाई के नाम पर केवल राजनीति हो रही है.उस पर कोई ठोस काम अभी भी नहीं उठाया हुआ. विदेशों से लाये गए काले धन में से सबको पंद्रह लाख देने की बात कही गयी थी.अब तो वेंकट नायडू ने यहां तक कह डाला कि भाजपा या नमो ने ऐसा कोई वादा किया ही नहीं था.

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