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एस.एम.एस. से बन रही है एक नई दुनिया - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-ललित गर्ग- पिछले लगभग दो वर्ष से प्रतिदिन सुबह लगभग 6 बजे मेरे मोबाइल पर एक टंकार बिना किसी नागा के बजती है और मैं उस टंकार के साथ आने वाले एस.एम.एस. को पढ़ने के लिये उत्सुक हो जाता हॅूं। इसी एस.एम.एस. के साथ मेरी दिन की शुरूआत शुभ और…